हम सबको पता है कि साल 2023 को International Year of Millets के तौर पर सेलिब्रेट किया जा रहा है. इसलिए हर तरफ मिलेट्स को लाइफस्टाइल में शामिल करने को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. बहुत सी जगहों पर मिलेट्स को सकारात्मक रेस्पॉन्स मिला है. सबसे अच्छी बात यह है कि स्कूलों में भी इस पर ध्यान दिया जा रहा है.
आज हम आपको बता रहे हैं दक्षिण दिल्ली में निजी तौर पर संचालित बिड़ला विद्या निकेतन स्कूल के बारे में. जहां मिड डे मील में मिलेट्स को शामिल करके एक अनोखी पहल शुरू की गई है. हाल ही में, छात्र जब नए शैक्षणिक सत्र के पहले दिन स्कूल पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि आम तौर पर दोपहर के भोजन के लिए मिलने वाले आलू के परांठे की जगह मिक्स्ड मिलेट्स के पराठे हैं. साथ ही, चावल जगह रागी से इडली बनाई जा रही है. वहीं, खीर के लिए बर्नयार्ड मिलेट का इस्तेमाल हो रहा है.
मिलेट्स सर्व करने वाला पहला स्कूल
आपको बता दें कि इस स्कूल में नर्सरी से दूसरी कक्षा तक के छात्रों के लिए स्कूल में मिड डे मील और एक मिठाई दी जाती है. और अब से सप्ताह में तीन बार मिलेट्स इस मील का हिस्सा बनेंगे. इस तरह से यह स्कूल बच्चों के मिड डे मील में मिलेट्स को शामिल करने वाला पहला स्कूल बन गया है.
बताया जा रहा है कि सीनियर छात्रों के लिए भी स्कूल कैंटीन में मिलेट्स प्रोडक्ट्स उपलब्ध रहेंगे. सोमवार को स्कूल के पहले दिन मेन्यू में रागी की इडली, वेजिटेबल पर्ल सलाद और चौलाई के लड्डू दिए थे. स्कूल की प्रिंसिपल मिनाक्षी कुशवाहा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि बच्चों को परोसी गई रागी इडली बहुत पसंद आई. उन्होंने सामान्य आटे की जगह कूटू के आटे का इस्तेमाल किया है.
एक्सपर्ट की मदद से तैयार किया फूड प्लान
कुशवाहा ने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को बाजरे का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है. मिलेट्स को नजरअंदाज किया जाता है लेकिन ये पोषण से भरपूर होते हैं. छात्रों को मिड डे मील में लौकी, मटर पनीर और पराठे जैसे भारतीय व्यंजन दिए जाते हैं. लेकिन स्कूल ने इनमें मिलेट्स को शामिल करने का फैसला किया है.
बच्चों को मिलेट्स में शामिल प्रोटीन, कैल्शियम और अन्य मूल्यों को दिखाते हुए विभिन्न मिलेट्स के बारे में जानकारी दी गई.
आपको बता दें कि स्कूल ने एक विशेषज्ञ, पूर्णिमा ठाकुर की मदद से फूड प्लान तैयार किया. पूर्णिमा ठाकुर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सहायक निदेशक हैं और उन्होंने दिल्ली के आईसीडीएस कार्यक्रम के साथ राजस्थान सरकार के साथ भी काम किया है.