दिल्ली यूनिवर्सिटी में शिक्षा पाना और महंगा होने वाला है. यूनिवर्सिटी नए सेशन में बीटेक, लॉ और कुछ पीएचडी प्रोग्राम्स सहित अपने कई अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज की फीस बढ़ाने की योजना बना रही है. इस कदम के कारण शिक्षकों और विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि यह हायर एजुकेशन फाइनेंशिंग एजेंसी (HEFA) से लिए गए लोन को चुकाने के लिए छात्रों के पैसे का इस्तेमाल करने की कोशिश है. नए फीस स्ट्रक्चर के तहत, फर्स्ट ईयर के बीटेक छात्रों को पहले के 2.16 लाख रुपये की बजाय इस साल 2.24 लाख रुपये फीस देनी होगी.
इस आगामी सेशन में पांच साल के इंटीग्रेटेड लॉ प्रोग्राम के लिए फीस में 5% की बढ़ोतरी की गई है, जो पहले 1.9 लाख रुपये से बढ़कर 1.99 लाख रुपये हो गई है. सबसे ज्यादा बढ़ोतरी पीएचडी कोर्सेज में हुई है, 60.2% की बढ़ोतरी के साथ, इस आगामी सेशन में कुल फीस 4,450 रुपये से बढ़कर 7,130 रुपये हो जाएगी. विदेशी छात्रों के लिए कुछ प्रोग्राम्स की फीस में बढ़ोतरी की गई है.
क्या है विवाद
शिक्षकों और अकादमिक परिषद के सदस्यों ने आरोप लगाया कि डीयू ब्याज सहित HEFA लोन चुकाने के लिए फीस बढ़ा रहा है. कार्यकारी परिषद के सदस्यों का कहना है कि इस तरह से फीस स्ट्रक्चर में बढ़ोतरी करना गलत है. क्योंकि छात्रों का डीयू को चुनने का एक कारण इसकी फीस है. लेकिन पिछले दो वर्षों में, डीयू ने ज्यादा फीस स्ट्रक्चर वाले कोर्स शुरू कर दिए हैं. हालांकि, डीयू रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया.
उन्होंने दावा किया कि फीस बढ़ोतरी का HEFA लोन से कोई लेना-देना नहीं है. डीयू के पास लोन का ब्याज चुकाने के लिए पर्याप्त पैसा है. डीयू ने कम से कम फीस बढ़ाने की घोषणा की है और कमजोर आर्थिक वर्ग या 4-8 लाख रुपये की वार्षिक आय वाले परिवारों के छात्रों के पास पहले से ही फीस माफी का विकल्प है.