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DU पैनल का प्रस्ताव, दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए आयोजित कराई जाए संयुक्त प्रवेश परीक्षा

दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) की एक समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में प्रवेश परीक्षा आधारित प्रवेश प्रक्रिया की वकालत की है. इस समिति को स्नातक प्रवेश सुधारों पर विचार-विमर्श करने का काम सौंपा गया था. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस साल की प्रवेश प्रक्रिया को देखते हुए यह भी बताया कि कट ऑफ लिस्ट/अंकों के आधार पर दाखिला करने से कई तरह की परेशानियां होती हैं.

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हाइलाइट्स
  • DU में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा का प्रस्ताव

  • अलग-अलग बोर्ड के छात्र लेते हैं DU में दाखिला

दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) की एक समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में प्रवेश परीक्षा आधारित प्रवेश प्रक्रिया की वकालत की है. इस समिति को स्नातक प्रवेश सुधारों पर विचार-विमर्श करने का काम सौंपा गया था. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस साल की प्रवेश प्रक्रिया को देखते हुए यह भी बताया कि कट ऑफ लिस्ट/अंकों के आधार पर दाखिला करने से कई तरह की परेशानियां होती हैं.

बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट के निष्कर्ष और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) सेल के निर्माण सहित विश्वविद्यालय से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर 10 दिसंबर को होने वाली अकादमिक परिषद (एसी) की बैठक में चर्चा की जाएगी. 

डीयू में आते हैं 39 बोर्डों के छात्र: 

परीक्षा डीन डीएस रावत की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति का गठन कुलपति योगेश सिंह ने किया था. रिपोर्ट में बताया हुआ है कि समिति का विचार है कि जब तक स्नातक प्रवेश कट-ऑफ आधारित है, तब तक किसी भी तरह अस्थिरता को नहीं टाला जा सकता है. 

अलग-अलग बोर्डों द्वारा दिए गए अंकों को सामान्य करने का कोई एक फार्मूला नहीं हो सकता है. क्योंकि इसमें परेशानी हो सकती है कि यह किसी न किसी पैमाने पर न्यायसंगत नहीं होगा.  

समिति की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार 39 बोर्डों से छात्र डीयू में आए हैं. इनमें सबसे अधिक प्रवेश केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से था. इसके बाद केरल बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन, बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन हरियाणा, इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (ICSE) और बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन, राजस्थान का नंबर आता है.

एक सामान्य प्रवेश परीक्षा है विकल्प? 

इस साल डीयू में दाखिला लेने वाले 90 फीसदी आवेदकों में पांचों बोर्ड शामिल हैं. समिति ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि केरल बोर्ड के आवेदकों की संख्या हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब के बोर्डों के आवेदकों की संख्या से अधिक थी. 

कटऑफ से संबंधित मुद्दों और विभिन्न बोर्डों द्वारा आवंटित अंकों में भिन्नता को देखते हुए रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि "न तो कट-ऑफ आधारित प्रवेश और न ही विभिन्न बोर्डों द्वारा दिए गए अंकों का सामान्यीकरण दाखिले का ऐसा विकल्प है जिसमें निष्पक्षता हो.”

इसलिए समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला एक सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) के माध्यम से किया जाए. समिति का कहना है कि परीक्षा से इन सभी परेशानियों को खत्म किया जा सकता है. इससे कुछ विषयों में बहुत ज्यादा तो कुछ विषयों में बिल्कुल कम दाखिलों की समस्या भी हल हो जाएगी.

हालांकि, बहुत से शिक्षक समूह के सदस्य समिति की इस बात से असहमत हैं. उनका कहना है कि इस तरह संयुक्त परीक्षा रखना उन छात्रों के लिए नुकसानदेह होगा जो अक्सर कक्षा 12 के बाद स्ट्रीम बदलते हैं और जो गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं. 

और साथ ही यह भी कहा गया कि अगर डीयू ने संयुक्त परीक्षा शुरू की तो एक और टेस्ट के लिए छात्रों को कोचिंग लेनी पड़ेगी और यह सही नहीं है. इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले छात्रों और शिक्षकों के हितों को ध्यान में रखा जाए.