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An Egg Came First or hen: आप जानते हैं पहले मुर्गी आई या अंडा, इस पहेली को वैज्ञानिकों ने सुलझाया, जानिए क्या बताया

Bristol and Nanjing University के रिसर्चर्स ने दावा किया है कि धरती पर पहले अंडा नहीं मुर्गा-मुर्गी आए. इसको लेकर कई तथ्य भी दिए हैं, जिसपर लोग यकीन नहीं कर पा रहे हैं.

मुर्गा और अंडा मुर्गा और अंडा
हाइलाइट्स
  • ब्रिस्टल और नानजिंग यूनिवर्सिटी में रिसर्च

  • धरती पर पहले अंडा नहीं मुर्गा-मुर्गी आए 

दुनिया में पहले अंडा आया या मुर्गी, सालों से यह सवाल पूछा जाता रहा है. लंबे समय से इस सवाल को लेकर तरह-तरह के दावे किए जाते रहे हैं लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस पहेली को सुलझा लिया है. आइए जानते हैं वैज्ञानिकों ने मुर्गी या अंडा में से कौन पहले धरती पर इसके बारे में रिसर्च करके क्या बताया है. 

रिसर्च में दावा
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी और नानजिंग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने दावा किया है कि धरती पर पहले अंडा नहीं मुर्गा-मुर्गी आए. इसको लेकर कई तथ्य भी दिए हैं, जिसपर लोग यकीन नहीं कर पा रहे हैं. रिसर्चर्स ने रिपोर्ट में दावा किया है के हजारों साले पहले मुर्गा-मुर्गी ऐसे नहीं थे जैसे आज हैं. वे अंडे नहीं बल्कि पूर्ण रूप से बच्चे को जन्म देते थे. इसके बाद लगातार इनमें परिवर्तन होता चला गया. पूर्ण रूप से बच्चा देने वाले मुर्गे-मुर्गी की प्रजातियों में अंडे देने की क्षमता भी विकसित हो गई थी. इससे ये साफ तौर पर कहा जा सकता है कि अंडा पहले नहीं आया मुर्गा और मुर्गी पहले आए. 

एक्सटेंडेड एम्ब्रायो रेटेंशन है वजह 
रिसर्चर्स का कहना है कि बच्चे को जन्म देने की क्षमता का अलग-अलग होना एक्सटेंडेड एम्ब्रायो रेटेंशन की वजह से होता है. चिड़िया, मगरमच्छ और कछुए ऐसे अंडे देते है, जिसमें भ्रूण बिल्कुल बना भी नहीं होता है, बाद में तैयार होता है. जबकि कुछ जीव ऐसे होते हैं जो अंदर से ही भ्रूण के विकास के साथ अंडे देते हैं. सांप और छिपकलियां अंडे भले ही देती हैं, लेकिन वे बच्चों को भी जन्म दे सकते हैं क्योंकि इन्हें हैचिंग की जरूरत नहीं होती.

अध्ययन हुआ है प्रकाशित 
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल स्कूल ऑफ अर्थ साइंसेज ने अध्ययन का नेतृत्व किया, जिसमें 51 जीवाश्म प्रजातियों और 29 जीवित प्रजातियों को ओविपेरस के रूप में वर्गीकृत किया गया. कठोर या नरम खोल वाले अंडे देना और बच्चे को जन्म देना की जांच की गई. ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल बेंटन ने कहा कि एमनियोट्स से पहले, मछली के पंखों से अंगों को विकसित करने वाले टेट्रापोड्स मोटे तौर पर उभयचर थे. उन्हें खाने और प्रजनन के लिए पानी में या उसके पास रहना पड़ता था, जैसा कि मेंढक और सैलामैंडर जैसे आधुनिक उभयचरों में होता है. नानजिंग विश्वविद्यालय और ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा संचालित यह अध्ययन नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुआ है.