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Success Stories: 1 बार कक्षा चार में... 2 बार नौवीं में और 5 बार ग्रेजुएशन में हुए फेल, फिर भी नहीं मानी हार... आज 12 विषयों में यूजीसी नेट एग्जाम कर चुके हैं पास... मुजफ्फरनगर के लक्ष्मण सिंह ऐसे फिसड्डी छात्र से बने सबसे शिक्षित व्यक्ति

Laxman Singh Success Stories: आज हम यूपी के मुजफ्फरनगर निवासी डॉक्टर लक्ष्मण सिंह की कहानी बता रहे हैं, जो कक्षा एक से लेकर ग्रेजुएशन तक एक फिसड्डी छात्र रहे. फिर पढ़ाई का ऐसा जुनून सवार हुआ कि एक-दो नहीं बल्कि 12 विषयों में यूजीसी नेट एग्जाम पास कर लिया. आज वह छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं. 

Dr. Laxman Singh Dr. Laxman Singh
हाइलाइट्स
  • यूपी के मुजफ्फरनगर निवासी हैं डॉक्टर लक्ष्मण सिंह 

  • सरकारी नौकरी को छोड़ फिर शुरू कर दी पढ़ाई

Failures to Success Stories: आज हम आपको एक ऐसे शिक्षित व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने कक्षा चार में एक बार, नौवीं क्लास में दो बार और बैचलर डिग्री यानी ग्रेजुएशन में पांच बार फेल होने के बाद भी हार नहीं मनी. पढ़ाई जारी रखी. आज वह 12 विषयों में यूजीसी नेट एग्जाम (UGC Net Exam) पास कर चुके हैं. अभी उनका इरादा और 25 विषयों में यूजीसी नेट पास करने का है.

जी हां, हम बात कर रहे हैं यूपी के मुजफ्फरनगर निवासी डॉक्टर लक्ष्मण सिंह (Laxman Singh) की, जिन्होंने भारत के एकेडमिक इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर दिया है. आज वह देश के सबसे ज्यादा शिक्षित व्यक्तियों में शामिल हो गए हैं. आइए लक्ष्मण सिंह के फिसड्डी छात्र से सबसे शिक्षित व्यक्ति बनने की कहानी जानते हैं.

असफलता से सफलता के शिखर तक के पहुंचने की कहानी 
डॉ.लक्ष्मण सिंह अपनी असफलता के पायदान से सफलता के शिखर तक के सफर की कहानी बताई. उन्होंने बताया कि वह डांस, ड्रामा में जेआरएफ, इंडियन कल्चर, सोसियोलॉजी, पॉलिटिकल साइंस, अरब कल्चर एवं इस्लामिक स्टडीज, बौद्ध अध्ययन, जैन अध्ययन, गांधी एवं शांति अध्ययन, तुलनात्मक धर्म अध्ययन में यूजीसी नेट पास कर चुके हैं. 

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बड़ी मुश्किल से हासिल कर पाए बैचलर की डिग्री 
डॉ. लक्ष्मण सिंह ने बताया कि उनकी यह उपलब्धि उल्लेखनीय इसलिए है कि वह अपने जीवन के शुरुआती दौर में एक फिसड्डी छात्र रहे. पहली बार कक्षा चार में फेल हुए, उसके बाद नौवीं कक्षा में दो बार, बैचलर करने में तीन यूनिवर्सिटी बदली और ग्रेजुएशन में कुल पांच बार फेल हुए और बड़ी मुश्किल से मात्र 39 प्रतिशत अंकों के साथ बैचलर कर पाए. डॉ. लक्ष्मण सिंह ने बताया कि नौवीं कक्षा में लगातार दूसरी बार फेल हुए तो डर के कारण उस दिन घर देर से पहुंचे, वो भी एक दोस्त के साथ ताकि परिजनों की नाराजगी कम हो जाए. 10वीं का प्राइवेट फॉर्म भरा, किस्मत ने साथ दिया और पास हो गए. 

इसके बाद डीएवी इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट करने के बाद जेएनयू की प्रवेश परीक्षा पास की और बैचलर चीनी भाषा ऑनर्स में प्रवेश लिया. तीन महीने बाद ही फेल हो गए और कोर्स छोड़ दिया. दोबारा जेएनयू की प्रवेश परीक्षा पास की और वैचलर स्पेनिश भाषा ऑनर्स में प्रवेश लिया और दो साल कम अंक आने के कारण तीसरे साल में एडमिशन नहीं मिला. इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में बैचलर पास कोर्स में प्रवेश लिया और पहले ही साल दो विषयों में फेल हो गए लेकिन दूसरे साल सभी पेपर पास कर लिए. तीसरे साल में मास्टर कोर्स के लिए जेएनयू की मास्टर इन इंटरनेशनल रिलेशन की प्रवेश परीक्षा पास की तो पता चला कि बैचलर में इतिहास में फेल हो गए.  बैक पेपर देने के बाद बड़ी मुश्किल से बीए की डिग्री मिली.

जेएनयू में किया टॉप
इसके बाद लक्ष्मण सिंह ने 2004 में जेएनयू की आर्ट्स एंड एस्थेटिक्स की प्रवेश परीक्षा में टॉप किया और वहीं से मास्टर डिग्री ली. बाद में जेएनयू में एम फिल में प्रवेश नहीं मिला तो जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एम फिल में प्रवेश लिया और वहीं से 2009 में एम फिल और 2016 में पीएचडी की. इतने उतार-चढ़ाव वाला एकेडमिक इतिहास होने के कारण और बैचलर डिग्री मात्र 39 प्रतिशत अंकों से पास होने के कारण उन्हें हमेशा लगता रहा कि ये कलंक तो धोना ही पड़ेगा. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा 33 बार अलग-अलग विषयों में पास की. शैक्षणिक उपलब्धियों के आधार पर डॉक्टर लक्ष्मण सिंह ने दावा किया है कि वह विश्व के सबसे शिक्षित व्यक्ति हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि अगर को भी चाहे तो उनसे ज्ञान का मुकाबला करके देख सकता है. लक्ष्मण सिंह का इरादा अभी और 25 विषयों में यूजीसी नेट पास करने का है. उनका कहना है कि यदि यह परीक्षा व्यक्तिनिष्ठ हो तो उनके लिए यह और आसान हो जाएगा. 

हमेशा कुछ न कुछ पढ़ने की है आदत
लक्ष्मण सिंह ने बताया कि सिर्फ एक बार छोड़ कर उन्हें कभी भी यूजीसी नेट की परीक्षा की तैयारी करने की जरूरत नहीं पड़ी. इसमें उल्लेखनीय बात है उनकी सतत जिज्ञासावश कुछ भी पढ़ने की आदत. सामने कोई भी किताब आए उसमें से कुछ न कुछ पढ़ना जरूर होता है. हजारो थीसिस, किताबें, भारत के सभी  जिलों के गजेटियर, सभी धर्मों के ग्रंथ पढ़ चुके लक्ष्मण सिंह की खास आदत है बिना सोचे-विचारे सब कुछ पढ़ना. न कोई एग्जाम पास करने के लिए पढ़ना और न किसी को दिखाने के लिए पढ़ना. सिर्फ ज्ञान की प्यास बुझाने के लिए पढ़ना. इसलिए पीएचडी में नेपाल के दलितों की कला का मुश्किल टॉपिक चुना जिस पर कोई आर्टिकल भी नहीं था. नेपाल के कई जिलों की मोटरसाइकल से यात्रा कर सफलतापूर्वक पीएचडी पूरी की. 

लिखे कई शोध पत्र
डॉ. लक्ष्मण सिंह ने वर्ष 2014 में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में अनुवादक की नौकरी प्राप्त की और जयादा से जयादा पढ़ाई शुरू कर दी. वर्ष 2022 में आठ साल अनुवादक के तौर पर नौकरी करने के बाद इस सरकारी नौकरी को छोड़कर विदेश में पढ़ाई करने का निर्णय लिया. उनकी इच्छा थी भारत के मध्यकालीन इतिहास को पढ़ने की, जिसके लिए उन्होंने फारसी भाषा सीखने के लिए ईरान जाने का निर्णय लिया. ईरान के कौम शहर में मदरसे में फारसी की पढ़ाई की और साथ ही साथ ईरान के समाज पर समाजशास्त्री अध्ययन भी किए. उन्होंने सूफी धर्म, सबाई, इस्लाम, पारसी धर्मों पर कई शोध पत्र लिखे और प्रकाशित किए. पारसी धर्म पर उनके लिखे गए आलेख को पारसियों की सर्वश्रेष्ठ पत्रिका पारसियाना ने भी प्रकाशित किया. 

समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कर रहे काम 
डॉ. लक्ष्मण सिंह ने लगभग 90 विषयों की एक सूची बनाई है और उनका कहना है कि इन विषयों में  संयुक्त परीक्षा में पूरी दुनिया में शायद ही उन्हें कोई टक्कर दे पाए. उनका कहना है कि उन्होंने पिछले पंद्रह वर्षों से असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए प्रयास किया, लेकिन सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उनका चयन नहीं हुआ. यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, लेकिन डॉक्टर लक्ष्मण सिंह ने हार नहीं मानी और अब वे समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम कर रहे हैं. अभी हाल ही में उन्होंने अमेरिका में रह रहे अवैध भारतीय प्रवासियों के बारे में बनी हॉलीवुड फीचर फिल्म स्वेटपैंट्स सह निर्माता के तौर पर बनाई है.

सेक्स वर्कर्स को उनके अधिकार दिलवाने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
डॉ. लक्ष्मण सिंह की ईरान में रहकर की गई खोज बहुत ही दिलचस्प है. उन्हें पता चला कि सैकड़ों साल पहले भारत से गए हुए जोगी समुदाय के लोग ईरान में बस गए थे. इस खोज के बाद, डॉक्टर लक्ष्मण सिंह ने जोगी समुदाय के बारे में समाजशास्त्रीय अध्ययन करने का निर्णय लिया. उन्होंने जोगियों के बारे में अनेक शोध पत्र लिखे, जिनमें से एक शोध पत्र गोरखपीठ संप्रदाय, गोरखपुर में हुई एक सेमिनार में भी प्रस्तुत किया गया था. डॉक्टर लक्ष्मण सिंह की खोज से पता चलता है कि किस प्रकार सैकड़ों साल पहले भारत के जोगी भजन-कीर्तन करते-करते मध्य एशिया के देशों में पहुंच जाते थे. 

डॉ. लक्ष्मण सिंह की ज्ञान प्राप्ति और समाज के प्रति चिंतन की भावना ने उन्हें एक आरटीआई एक्टिविस्ट बनाया है. उन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ने और समाज में परिवर्तन लाने के लिए काम किया है. लक्ष्मण सिंह ने सेक्स वर्कर्स को उनके अधिकार दिलवाने के लिए लड़ाई लड़ी है. उन्होंने इंडियन्स फॉर सेक्सुअल लिबर्टीज के तहत आंदोलन करके समाज में सेक्स वर्करों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और उसमें सफलता पाई. उन्होंने अप्रैल 2022 में दिल्ली में सेक्स वर्करों की सभा करवाई और  उसके बाद मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने रेड लाइट इलाकों में देह व्यापार को गैर आपराधिक घोषित कर दिया.
  
लक्ष्मण सिंह की सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं बल्कि खेले में भी है रूचि 
लक्ष्मण सिंह ने बताया कि उनकी रूचि मोटरसाइकिल रेस, पॉवर लिफ्टिंग जैसे खेलों में भी हैं. जेएनयू में पॉवर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में सबसे जयादा वजन उठा कर पावर लिफ्टिंग में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. साल 2018 में विश्व की दूसरी सबसे मुश्किल रैली रेड द हिमालय में हुई मोटरसाइकिल रेस में भाग लिया.अनुभवी मोटरसाइकिल चालकों को पीछे छोड़ दिया. 

छात्र-छात्राओं को दिए संदेश 
लक्ष्मण सिंह का छात्र-छात्राओं को संदेश है कि पढ़ने वाले गंभीर छात्र टेक्स्ट बुक अवश्य पढ़ें. ज्ञान तथ्यों के अतिरिक्त आत्मानुभूति एवं वयक्तित्व विकास का भी कारक है. केवल परीक्षा पास करने का लक्ष्य न बनाएं. लक्ष्मण सिंह अभी तक सैकड़ों विद्यार्थियों को जेएनयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसे विश्विद्यालयों में प्रवेश परीक्षा पास करने में मार्गदर्शन कर चुके हैं.