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एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूलों में होगी CBSE बोर्ड की पढ़ाई, अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त करेंगे छात्र 

एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (EMRS) भारत भर के आदिवासियों/ अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए शुरू किये गए हैं. ये ट्राइबल मिनिस्ट्री ने शुरू किए हैं. इसके तहत  इलाकों में रह रहे आदिवासी छात्रों तक शिक्षा पहुंचाई जाती है.

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हाइलाइट्स
  • गुजरात के एकलव्य स्कूलों में अंग्रेजी में पढ़ेंगे छात्र 

  • अलग-अलग स्कूल में हो रही है अलग बोर्ड में पढ़ाई 

एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूलों को अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) में बदला जा रहा है. गुजरात में 35 एकलव्य स्कूल शुरू किए गए हैं. अब इन स्कूलों में एनसीईआरटी (NCERT) की पढ़ाई शुरू हो रही है. जो स्कूल गुजरात माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से एफिलिएटेड थे, अब वे सीबीएसई का हिस्सा होंगे. इन 35 स्कूलों में से 25 सीबीएसई स्कूल के तौर पर बदले जा रहे हैं. बता दें, एकलव्य स्कूलों की संख्या में गुजरात तीसरे स्थान पर है. ये छत्तीसगढ़ में 71 हैं और मध्य प्रदेश में 63 एकलव्य स्कूल हैं.

अलग-अलग स्कूल में हो रही है अलग बोर्ड में पढ़ाई 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के हवाले से NESTS के आयुक्त, असित गोपाल कहते हैं, “सभी एकलव्य स्कूलों को सीबीएसई से जोड़ने के पीछे ये विचार है कि उन्हें जवाहर नवोदय विद्यालयों की तरह सामान्य मानदंडों और शैक्षणिक मानकों का पालन करने में मदद मिलेगी. वर्तमान में, चूंकि, सभी स्कूलों में अलग-अलग बोर्डों में पढ़ाई हो रही है, इसलिए उनके परिणाम अलग-अलग समय पर घोषित किए जाते हैं और वे अलग-अलग शैक्षणिक मानकों का पालन करते हैं.”

गुजरात के एकलव्य स्कूलों में अंग्रेजी में पढ़ेंगे छात्र 

गुजरात के एकलव्य स्कूलों में अंग्रेजी में पढ़ाई शुरू हो रही है. दरअसल, सीबीएसई बोर्ड में हिंदी या अंग्रेजी मध्यम में पढ़ाई हो रही है. इसलिए एकलव्य स्कूलों में भाषा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी को चुना गया है. एक अधिकारी ने कहा कि गुजरात के सभी एकलव्य स्कूलों ने नए शैक्षणिक वर्ष से अंग्रेजी मीडियम का विकल्प चुना है. शुरुआत में यह बदलाव कक्षा 6, 7 और 8 में लागू किया जाएगा. 

क्या हैं एकलव्य स्कूल?

आपको बता दें, एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (EMRS) भारत भर के आदिवासियों/ अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए शुरू किये गए हैं. ये ट्राइबल मिनिस्ट्री ने शुरू किए हैं. इसके तहत  इलाकों में रह रहे आदिवासी छात्रों तक शिक्षा पहुंचाई जाती है. बता दें, सबसे पहले साल 1997 में इनकी शुरुआत की गई थी. 2018-19 के बजट के मुताबिक, इसका उद्देश्य 50% से ज्यादा एसटी आबादी और कम से कम 20,000 आदिवासी व्यक्तियों वाले हर ब्लॉक में जल्द से जल्द एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल स्थापित करना है.