लड़कियों को पढ़ाने पर लगातार जोर दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार अलग-अलग स्कीम लॉन्च कर रही है. इसी का नतीजा है कि पिछले साल जुलाई से जिन 11 से 14 साल की लगभग 1 लाख बेटियों को स्कूल में एडमिशन दिलवाया गया है. ये वो किशोरियां हैं जिन्होंने किसी कारण से स्कूल ड्रॉप कर दिया था. राष्ट्रव्यापी अभियान 'कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव' के तहत स्कूल इन लड़कियों को पहचाना गया और एडमिशन करवाया गया. मार्च 2022 में शिक्षा प्रवेश उत्सव के तहत महिला और बाल विकास मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय ने ये पहल शुरू की थी.
कई लाख लड़कियों को किया गया कवर
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 2012-13 में शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, एसएजी के तहत केवल 1.1 करोड़ से अधिक लड़कियों को कवर किया गया था. ये वो लड़कियां थीं जो स्कूल नहीं जाती थी. 2019 में यह संख्या 9.3 लाख हो गई थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने स्कूल से बाहर की लड़कियों को वेरीफाई करना शुरू किया. यही वजह थी कि साल 2021 में 5 लाख से घटकर 2022 में 3.8 लाख हो गई और अंतिम गणना में यह संख्या 1 लाख पर आ गई.
योजना में किया गया था संशोधन
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, "यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक लाभार्थी वेरिफाइड है और डेटाबेस फुलप्रूफ है, सरकार ने लड़कियों के लिए अपनी संशोधित योजना के तहत आधार सीडिंग को अनुवारी किया. ये स्कीम अब केवल 14 से 18 साल के बीच के लोगों के लिए लागू है. योजना के तहत पंजीकृत 22.4 लाख किशोरियों में आकांक्षी जिलों और पूर्वोत्तर की लड़कियों को शामिल किया गया है. “
लड़कियां कहीं स्कूल ड्रॉप न करें यह भी देखा जाएगा
सरकार ने इस योजना में बदलाव किए. साल 11 से 14 की उम्र को संशोधित कर 14 से 18 आयु वर्ग कर दिया गया. इतना ही नहीं ये योजना लड़की की पोषण संबंधी जरूरतों का ध्यान रखने और उसके वजन और ऊंचाई की निगरानी के अलावा यह भी सुनिश्चित करेगी कि लड़की स्कूल में हैं या उन्होंने ड्रॉप कर दिया है.