Google ने 8 नवंबर, 2021 का डूडल भारतीय कोशिका जीवविज्ञानी डॉ कमल रणदिवे पर बनाया है. आज डॉ कमल रणदिवे (Dr Kamal Ranadive) की 104वीं जयंती है. डॉ कमल रणदिवे को कैंसर अनुसंधान और विज्ञान के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है. कमल रणदिवे को कमल समरथ के नाम से भी जाना जाता है.
डॉ कमल ने बनाई थी देश की पहली टिशू कल्चर प्रयोगशाला
कमल समरथ, जिन्हें कमल रणदिवे के नाम से जाना जाता है, का जन्म आज ही के दिन 1917 में पुणे, भारत में हुआ था. उनके पिता ने मेडिकल एजुकेशन के लिए उन्हें प्ररित किया. कमल के पिता दिनकर पुणे के फर्गसन कॉलेज में एक जीवविज्ञान के प्रोफेसर हुआ करते थे. उनका मकसद था कि घर के सभी बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिले खासकर बेटियों को. कमल अपने पिता की उमीदों पर एकदम खरी उतरीं. उन्होंने जीवन की हर परीक्षा अच्छे अंकों से पास की. कमल हमेशा कुछ नया सीखती और उसमें अच्छा कर के दिखातीं. वह भारतीय महिला वैज्ञानिक संघ (IWSA) की प्रमुख संस्थापक सदस्य भी थीं. डॉ कमल जयसिंह रणदिवे को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था.
भारतीय महिला वैज्ञानिक संघ को बनाने वाली महिला
कमल रणदिवे भारत के उन शोधकर्ताओं में से एक थी जिन्होंने स्तन कैंसर (BREAST CANCER) और आनुवंशिकता (GENOTIC) के बीच एक कड़ी की खोज की थी. उन्होनें कैंसर और कुछ वायरस के बीच संबंधों की पहचान भी की थी. उन्होंने माइकोबैक्टीरियम लेप्रे का भी अध्ययन किया, जो जीवाणु कुष्ठ रोग का कारण बनता है, और एक टीका बनाने में मदद करता है. 1973 में, रणदिवे ने अपने 11 सहयोगियों के साथ वैज्ञानिक क्षेत्रों में महिलाओं का समर्थन करने के लिए भारतीय महिला वैज्ञानिक संघ (IWSA) की स्थापना की. 1989 में रिटायर होने के बाद, कमल रणदिवे ने महाराष्ट्र में ग्रामीण समुदायों में काम किया, महिलाओं को स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के रूप में ट्रेनिंग दी.