कहते पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है. मोगा की बलजीत कौर और गुरमीत कौर इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. ये दोनों ही मोगा के बाघापुराना सब-डिवीजन के लंगियाना पुराना गांव में आशा कार्यकर्ता हैं. 60 साल की बलजीत और 53 साल की गुरमीत ने बोर्ड की परीक्षा पास की है. दरअसल, कम उम्र में शादी होने के बाद दोनों ही बच्चों की परवरिश और घर के काम में लग गई थीं. जिसकी वजह से उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा. लेकिन फिर 30 साल बाद दोनों ने अपने सपनों को पंख देने का फैसला किया.
खुद कराया रजिस्ट्रेशन
बलजीत और गुरमीत दोनों ने ही ग्रामीण या यहां तक कि अपने परिवार की प्रतिक्रिया सोचे बगैर दोनों पिछले साल पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड और दूसरे दस्तावेज लेकर राजेयाना गांव के एक स्कूल में चली गई थीं. दोनों ने खुद ही पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) की परीक्षा के लिए ओपन कैटेगरी में रजिस्ट्रेशन करवा लिया था.
रोज करती थीं 3 घंटे पढ़ाई
बलजीत ने जहां दसवीं की परीक्षा दी थी, वहीं गुरमीत ने बारहवीं की परीक्षा दी थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों शुरू में अपने परिवार को अपने फैसले के बारे में बताने में हिचकिचा रही थीं. वे इस बात को लेकर अनिश्चित थीं कि वे कैसी प्रतिक्रिया देंगे. आखिरकार उन्होंने एग्जाम देने का फैसला किया और अपनी तैयारियों में लग गईं. दोनों ने ही करीब तीन दशक से ज्यादा समय के बाद किताबों को हाथ लगाया था. अध्ययन के लिए बलजीत और गुरमीत दोनों ने ही रोजाना कम से कम तीन घंटे का समय निकला और ये संकल्प लिया कि वे इसका जितना हो सकेगा फायदा उठाएंगी.
पड़ोस के एक शिक्षक ने की पढ़ाई में मदद
लगभग एक साल बाद और घंटों की कड़ी मेहनत के बाद, बलजीत अब 10वीं कक्षा पास कर चुकी हैं. जबकि गुरमीत 12वीं कक्षा पास कर चुकी. दोनों दोस्तों के परिवार और सह-ग्रामीण, अब सभी खुश हैं. बलजीत और गुरमीत के लिए बोर्ड परीक्षा में पास होने की घोषणा करने वाली उनकी मार्कशीट अब उनकी सबसे बेशकीमती संपत्ति है. हालांकि, दोनों महिलाएं अपनी सफलता का श्रेय अपने पड़ोस के एक स्कूल शिक्षक यदविंदर कुमार को देती हैं, जिन्होंने बिना कोई फीस लिए उनकी पढ़ाई में मदद की.
यदविंदर भी अब सातवें आसमान पर हैं और अपने दो "सबसे बड़ी छात्राओं" की सफलता को लेकर काफी खुश हैं. वे कहते हैं, “यह उनकी अपनी मेहनत है. मैंने केवल उनका मार्गदर्शन किया जब उन्होंने मुझे बताया कि वे पढ़ना चाहते हैं और बोर्ड परीक्षा पास करना चाहते हैं. जब कोई कुछ करने की ठान लेता है तो उम्र मायने नहीं रखती. शुरुआत में कुछ दिक्कतें आईं लेकिन दोनों ने अच्छी पकड़ बनाई. हम उनकी तैयारी के लिए रोजाना कम से कम दो घंटे देते थे.”
अपने पतियों से ज्यादा काबिल हैं दोनों दोस्त
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बलजीत के 345/650 अंक आए हैं. उनके पास अंग्रेजी, पंजाबी, विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, हिंदी और फिजिकल एजुकेशन सब्जेक्ट थे. जबकि गुरमीत ने 328/500 अंक प्राप्त किए और उनके पास अंग्रेजी, पंजाबी और गृह विज्ञान विषय थे. दोनों दोस्त अब अपने पतियों से भी ज्यादा काबिल हैं. बलजीत के पति ने जहां कक्षा-5 पास किया है, वहीं गुरप्रीत के पति ने केवल 10वीं पास की है.