scorecardresearch

काम नहीं करता है एक हाथ और एक पैर, फिर भी 15 सालों से जला रहे हैं शिक्षा की अलख

उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के रहने वाले गोरख चौरसिया पिछले 15 सालों से छात्रों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं. गोरख बेलवरिया गांव के रहने वाले हैं. चार भाई-बहनों में सबसे छोटे गोरख के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. लेकिन आज गरीब और जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं. 

Gorakh teaching children Gorakh teaching children
हाइलाइट्स
  • 15 सालों से दे रहे हैं मुफ्त शिक्षा

  • छात्रों को बनाना चाहते हैं आईएएस, आईपीएस

उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के रहने वाले गोरख चौरसिया पिछले 15 सालों से छात्रों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं. गोरख बेलवरिया गांव के रहने वाले हैं. चार भाई-बहनों में सबसे छोटे गोरख के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. लेकिन गौरख चौरसिया हमेशा से ऊंची सोच रखने वाले व्यक्ति हैं.

इसलिए तो अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर अपनी ज़िंदगी को सार्थक कर रहे हैं. कभी राजनीति में अपनी पहचान बनाने की चाह रखने वाले गोरख एक दिव्यांग हैं. लेकिन अपनी दिव्यांगता को उन्होंने अपने काम के बीच कभी नहीं आने दिया. और आज गरीब और जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं. 

रोड एक्सीडेंट ने बदला जीवन: 

साल 2001 के दोपहर के समय गोरख की कोतवाली स्थित जनता मार्ग के पास साइकिल और टैंपू से टक्कर हो गई थी. वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे और सिर में लगी गंभीर चोट के कारण उनके दाहिने हाथ और पैर ने काम करना बंद कर दिया था. 

उनका काफी इलाज भी कराया गया लेकिन बात नहीं बनी. धीरे-धीरे गोरख चौरसिया ने बाएं हाथ से लिखना शुरू किया और अपनी शिक्षा फिर से शुरू की. बहुत सी चुनौतियों को पार करके उन्होंने डबल मास्टर्स पूरी की. इस सबके दौरान दूसरों के लिए कुछ करने की इच्छा उनके मन में जन्म ले चुकी थी. 

15 सालों से दे रहे हैं मुफ्त शिक्षा: 

अपनी शिक्षा के बाद जब वह गांव पहुंचे तो उन्होंने ग्रामीण बच्चों निःशुल्क शिक्षा देना शुरू किया. उनकी सोच है कि शिक्षा से ही गरीबी को हटाया जा सकता है. वह लगातार 15 वर्षों से बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं. उनका मानना है कि उनकी कामयाबी उनके छात्रों की कामयाबी में है. 

आसपास के गांवों में रहने वाले सैकड़ों छात्र उनके पास पढ़ने आते हैं. गोरख अपने घर में ही छात्रों को पढ़ाते हैं. अपने हाथ और पैर से गोरख भले ही लाचार हों लेकिन उनके बुलंद हौसले उन्हें कभी हार नहीं मैंने देते हैं. उनका पूरा परिवार उनकी देखभाल करता है और उनके अभियान में उनका साथ दे रहा है. 

छात्रों को बनाना चाहते हैं आईएएस, आईपीएस: 

उनके पढ़ाये छात्रों का चयन यूपी पुलिस में हुआ है. लेकिन उनकी ख्वाहिश है कि उनके पढ़ाये छात्र आईएएस, आईपीएस बने. यूपीएससी के अलावा नीट, जेईई जैसी परीक्षाओं में बैठें और उत्तीर्ण हों. उनका कहना है कि उनकी सही जीत उसी दिन होगी जब उनका कोई छात्र इस तरह की परीक्षा उत्तीर्ण कर उनका नाम रोशन करेगा. 

(संत कबीर नगर से आलमगीर की रिपोर्ट)