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उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में लागू होगा 'हैप्पीनेस करीकुलम', छात्रों को प्रकृति, समाज और देश से जोड़ने की तैयारी

कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए हैप्पीनेस पाठ्यक्रम पेश किया जाएगा. यह उन्हें अपने, परिवार, समाज, प्रकृति और देश से जुड़ने में सक्षम बनाएगा. इसमें बच्चों को मेडीटेशन करना भी सिखाया जाएगा. 

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में लागू होगा 'हैप्पीनेस करीकुलम' उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में लागू होगा 'हैप्पीनेस करीकुलम'
हाइलाइट्स
  • कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए हैप्पीनेस पाठ्यक्रम पेश किया जाएगा.

  • स्टूडेंट्स को प्रकृति, समाज और देश से जोड़ने की तैयारी.

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के लिए अब हैप्पीनेस करीकुलम (Happiness Curriculum) भी लागू किया जाएगा.अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ और दिल्ली की तर्ज पर उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में छात्रों को प्रकृति, समाज और देश के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने के लिए 'हैप्पीनेस पाठ्यक्रम' को पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू करने की तैयारी चल रही है. 

राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान में छह दिवसीय कार्यशाला में भाग लेने आए राज्य प्रभारी (हैपीनेस करीकुलम) सौरभ मालवीय ने बताया कि उत्तर प्रदेश की भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम विकसित किया जा रहा है. कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए हैप्पीनेस पाठ्यक्रम पेश किया जाएगा. यह उन्हें अपने, परिवार, समाज, प्रकृति और देश से जुड़ने में सक्षम बनाएगा. इससे उन्हें इंटर रिलेशंस को समझने में भी मदद मिलेगी. सौरभ मालवीय ने कहा कि बच्चों को मेडीटेशन करना भी सिखाया जाएगा. 

अप्रैल 2022 सेशन से होगा लागू 

पायलट प्रोजेक्ट के तहत 15 जिलों के 150 स्कूलों को पाठ्यक्रम पर काम करने को कहा गया है. सौरभ मालवीय ने बताया कि कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए पांच पुस्तकें तैयार की जाएंगी. इसी क्रम में 32 शिक्षकों की कार्यशाला आयोजित कर पाठ्यक्रम की विषय वस्तु तैयार की जा रही है. कार्यशाला में प्रशिक्षक के रूप में भाग लेने वाले श्रवण शुक्ला ने कहा कि अप्रैल 2022 से शुरू होने वाले अगले सत्र से पाठ्यक्रम को लागू करने की तैयारी चल रही है. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 1,30,000 प्राथमिक विद्यालय हैं जहां सात लाख शिक्षक कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि प्रायोगिक परियोजना के मूल्यांकन के आधार पर राज्य सरकार सभी स्कूलों में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम लागू करने पर विचार कर सकती है.