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Unique Govt. School: देशभर के स्कूलों के लिए मिसाल पेश कर रहा है यह सरकारी स्कूल, एकदम अलग है पढ़ाने का तरीका

यहां 9वीं कक्षा में एडमिशन से पहले बच्चों को 'डेमो क्लासेस' की सुविधा दी जा रही है, ताकि वे स्कूल के शैक्षणिक स्तर को खुद परख सकें.

Government School in Hzaribagh Government School in Hzaribagh

सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता को लेकर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं, लेकिन झारखंड के हज़ारीबाग़ ज़िले के चरही स्थित एक सरकारी स्कूल ने शिक्षा को लेकर एक नई मिसाल पेश की है. यहां 9वीं कक्षा में एडमिशन से पहले बच्चों को 'डेमो क्लासेस' की सुविधा दी जा रही है, ताकि वे स्कूल के शैक्षणिक स्तर को खुद परख सकें. इस पहल के पीछे है सरकारी स्कूलों के प्रति बदलती सोच और बेहतर शिक्षा का संकल्प.

बच्चों को दी जाती है डेमो क्लास 
चरही के इस सरकारी स्कूल में नौवीं कक्षा में दाखिले से पहले बच्चों को 15 दिनों का डेमो सेशन दिया जाता है. इस पहल को बताने स्कूल की टीचर आस पास के माध्यमिक स्कूलों के बच्चियों को बताती हैं कि आठवीं क्लास के बाद वो नवमीं में ऐडमिशन लेने से पहले उनके डेमो क्लास को जरूर जॉइन करें. ताकि वे डेमो क्लास के दौरान वे यहां के टीचिंग मेथड, इंफ्रास्ट्रक्चर और एक्टिविटी-बेस्ड लर्निंग को समझ सकें. इसके बाद ही वे फैसला करते हैं कि उन्हें इस स्कूल में एडमिशन लेना है या नहीं. प्राइवेट स्कूलों की बच्चियों भी अब यहां के डेमो क्लास को देखने के बाद यहां एडमिशन लेने लगी हैं.

एक छात्रा सना का कहना है. "मैंने पहले प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई की, लेकिन यहां की पढ़ाई का तरीका अच्छा लगा. टीचर्स हमें समझाते हैं, इंग्लिश बोलना सिखाते हैं. मैंने यहीं एडमिशन ले लिया." सिर्फ डेमो क्लास ही नहीं, इस पहल को सफल बनाने के लिए स्कूल के शिक्षक आसपास के 10 गांवों में घर-घर जाकर अभिभावकों को समझा रहे हैं कि सरकारी स्कूल अब पहले जैसे नहीं रहे.

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स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि लोगों को लगता है कि सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती, लेकिन हम उन्हें बताते हैं कि आप पहले बच्चों को डेमो क्लास लेकर देखने दीजिए. अगर उन्हें लगे कि यहां पढ़ाई बहुत अच्छी और बेहतर है तब ही यहां एडमिशन लें. हमारा मकसद है कि कोई भी बच्चा अच्छी शिक्षा से वंचित न रहे.

प्रैक्टिकल एजुकेशन पर जोर
इस स्कूल की सबसे बड़ी खासियत है स्पोकन इंग्लिश और प्रैक्टिकल एजुकेशन पर जोर. यहां के बच्चे न सिर्फ इंग्लिश बोलना सीख रहे हैं, बल्कि साइंस एक्सपेरिमेंट्स और कंप्यूटर एजुकेशन से भी जुड़ रहे हैं. सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों की धारणा बदलने के लिए यहां के शिक्षकों ने पेरेंट्स-टीचर मीटिंग्स भी शुरू की हैं. इस पहल को हज़ारीबाग़ प्रशासन का भी पूरा सपोर्ट मिल रहा है. ज़िला उपायुक्त नैंसी सहाय ने इस मॉडल को पूरे ज़िले में लागू करने की बात कही है.

उन्होंने कहा, "चरही स्कूल की यह पहल झारखंड के एजुकेशन सेक्टर के लिए एक मिसाल है. हम चाहते हैं कि हर सरकारी स्कूल में ऐसी इनोवेटिव पहल हो, ताकि हर बच्चे को क्वालिटी एजुकेशन मिल सके." सरकारी स्कूलों की छवि बदलने की यह कोशिश निश्चित ही झारखंड में शिक्षा क्रांति की नई इबारत लिखेगी. 

चरही का यह स्कूल साबित कर रहा है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो सरकारी सिस्टम भी बदल सकता है. इस पहल का फायदा यह हुआ है कि इस क्षेत्र में लड़कियों के स्कूल ड्रॉपआउट के मामले में कमी आयी है. शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी पहल वाकई सराहनीय है। उम्मीद है, यह मॉडल दूसरे स्कूलों के लिए भी प्रेरणा बनेगा. 

(विस्मय अलंकार की रिपोर्ट)