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IIM Sambalpur: समृद्ध और विकासशील देशों के बीच एक पुल के रूप में जी-20 करता है काम, जानें आईआईएम संबलपुर में क्या-क्या बोले वक्ता

आईआईएम संबलपुर में विशेष व्याख्यान के बाद मुख्य वक्ता पूर्व राजदूत जेके त्रिपाठी ने जी-20 प्रेसीडेंसी के महत्व के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि इस मंच के माध्यम से भारत विभिन्न क्षेत्रों में दुनिया को रास्ता दिखा सकता है.

आईआईएम संबलपुर में विशेष व्याख्यान को संबोधित करते वक्ता आईआईएम संबलपुर में विशेष व्याख्यान को संबोधित करते वक्ता
हाइलाइट्स
  • आईआईएम संबलपुर में जी-20 प्रेसीडेंसी पर विशेष व्याख्यान का आयोजन 

  • पूर्व राजदूत जेके त्रिपाठी ने व्यक्त किए अपने विचार

देश के प्रीमियम बिजनेस स्कूलों में से एक आईआईएम संबलपुर ने जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम के तहत जी-20 प्रेसीडेंसी पर एक विशेष विचारोत्तेजक व्याख्यान का आयोजन किया. इस विशेष व्याख्यान का आयोजन माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व से प्रेरित होकर किया गया. इस पहल का उद्देश्य वैश्विक जागरूकता को बढ़ावा देना और विश्वव्यापी महत्व के मामलों पर बी-स्कूल के छात्रों की नेतृत्व क्षमता को विकसित करना है.

इसके पीछे यह विचार है कि यही छात्र आने वाले कल के लीडर होंगे. आरआईएस (रिसर्च एंड इनोवेशन सिस्टम) के नेतृत्व में, जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट व्याख्यान शृंखला में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 65 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है. इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में छात्रों को सक्रिय रूप से शामिल किया गया है. आईआईएम संबलपुर में कार्यक्रम की शुरुआत एक आधिकारिक वीडियो के साथ हुई, जिसमें 2023 के लिए भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी की व्यापक थीम का परिचय दिया गया.

भारत दुनिया को दिखा सकता है रास्ता 
विशेष व्याख्यान के बाद मुख्य वक्ता पूर्व राजदूत जेके त्रिपाठी, आईएफएस (सेवानिवृत्त) और राजनयिक ने जी-20 प्रेसीडेंसी के महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि इस मंच के माध्यम से भारत विभिन्न क्षेत्रों में दुनिया को रास्ता दिखा सकता है, जैसे हमने आज डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अग्रणी दर्जा हासिल किया है. दुनिया के 50 से भी कम देशों को डिजिटल अर्थव्यवस्था या डिजिटल भुगतान प्रणाली तक पहुंच हासिल है. इसके अलावा, हम सौर ऊर्जा, स्वच्छ ऊर्जा और स्टार्टअप के क्षेत्रों में अपने अनुभवों को भी साझा कर सकते हैं.

जी-20 के इतिहास पर डाला प्रकाश 
त्रिपाठी ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन के तहत ट्रेड और सप्लाई लाइंस, सप्लाई चेन जैसे विषयों पर अनेक बैठकें हुई हैं और इस दौरान ऐसे मुद्दों का बहुत अच्छा कार्यान्वयन किया गया है. इतना ही नहीं, भारत ने विभिन्न स्तरों पर यह भी सुझाव दिया है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों और विनियमों में बदलाव करना होगा, जिससे उभरते बाजार और विकासशील देशों के साथ-साथ विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को सीधे और विशेष रूप से सहायता मिल सके.

पूर्व राजदूत ने जी-20 के संक्षिप्त इतिहास पर भी प्रकाश डाला और कहा कि यह एकमात्र अंतरराष्ट्रीय संगठन है. जिसमें जी-7, ब्रिक्स और अन्य महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय निकायों के सदस्य शामिल हैं. इस तरह जी-20 समृद्ध और विकासशील देशों के बीच एक पुल के रूप में काम करता है.

भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही
इससे पहले अपने स्वागत भाषण में आईआईएम संबलपुर के निदेशक प्रोफेसर महादेव जायसवाल ने इस तरह के आयोजन के महत्व पर जोर दिया. प्रो. जायसवाल ने कहा कि आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत जीडीपी के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और वर्तमान में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. रिपोर्ट के अनुसार, अगर अगले कुछ वर्षों में विकास की प्रवृत्ति जारी रहती है, तो भारत अमेरिका और चीन के साथ वैश्विक स्तर पर शीर्ष तीन जीडीपी देशों में से एक बन जाएगा.

...तो हम अमेरिका से आगे निकल जाएंगे
प्रोफेसर जायसवाल ने बताया कि यदि हम विविधता सूचकांक को और मजबूत करते हैं और खुद को शीर्ष 40 में शामिल करते हैं जिस तरह से हमने नवाचार सूचकांक में किया है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिकी अर्थव्यवस्था से आगे निकल जाएगी. 
उन्होंने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत से कम है. प्रोफेसर जायसवाल ने गर्व से साझा किया कि आईआईएम संबलपुर ने अपने परिसर में स्त्री-पुरुष अनुपात में सुधार के मामले में पहले ही पहल कर दी है. हाल के एमबीए बैच में 60 प्रतिशत महिलाओं के साथ, संस्थान ने भारत के शीर्ष स्कूलों में सबसे अधिक महिला अनुपात हासिल किया है.

एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म के रूप में किया कार्य
कार्यक्रम का समापन प्रश्नोत्तरी सत्र के साथ हुआ, जिसका संचालन अली सैयद, आरआईएस ने किया. आईआईएम संबलपुर के संकाय सदस्य प्रोफेसर पद्मावती ढिल्लों ने धन्यवाद दिया. यह कार्यक्रम जी-20 प्रेसीडेंसी और वैश्विक स्तर पर शिक्षा, अनुसंधान और अन्य विविध दृष्टिकोणों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य किया. स्मरणीय है कि यह पहल विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और नवाचार प्रणाली और विदेश मंत्रालय (एमईए) के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान रही है.