भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) काउंसिल ने मंगलवार को अपनी 55वीं बैठक में फैसला किया कि छात्रों के बीच असफलता के डर और दबाव को कम करने की जरूरत है. साथ ही, कहा गया कि प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में किसी भी तरह के भेदभाव के लिए जीरो टॉलरेंस होनी चाहिए.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दो साल के अंतराल के बाद आयोजित बैठक की अध्यक्षता की और आईआईटी से छात्रों के लिए कई प्रवेश-निकास विकल्प (Entry-Exit Options) सुनिश्चित करने को कहा. उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग को इस मुद्दे पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया और प्रमुख तकनीकी संस्थानों में छात्रों के ड्रापआउट के बारे में चिंता जताई.
बैठक में हुए कुछ अहम फैसले
भुवनेश्वर में आयोजित इस बैठक में काउंसिल ने कुछ अहम निर्णय लिए, जिनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए समर्थन बढ़ाना, महिला पीएचडी छात्रों के लिए अतिरिक्त एक साल का कार्यकाल बढ़ाना और आईआईटी में रिक्तियों को जल्द से जल्द भरना आदि शामिल था. इसके अलावा, सबसे ज्यादा चर्चा इस बात पर हुई की छात्रों की मानसिक सेहत को कैसे ठीक रखा जाए.
छात्रों की आत्महत्या, भेदभाव और छात्रों की मानसिक भलाई के मुद्दे पर लंबे समय तक डिस्कशन हुआ. प्रधान ने भुवनेश्वर में हुई इस बैठक में कहा, "आईआईटी को छात्रों के लिए सभी तरह का सपोर्ट सिस्टम देना चाहिए और सभी तरह के भेदभाव के लिए शून्य सहनशीलता होनी चाहिए. आईआईटी में छात्रों को बिना किसी भेदभाव के नए भारत का चेहरा बनना चाहिए और वैश्विक नागरिक बनने के लिए तैयार होना चाहिए. "
धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि केवल आईआईटी में ही नहीं, बल्कि सभी शैक्षणिक संस्थानों में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. यह एक सामाजिक चुनौती है और यह संकाय, डीन और निदेशकों की जिम्मेदारी है कि वे इन चुनौतियों का समाधान करें.
छात्रों की आत्महत्या है चिंता का विषय
पिछले महीने, लोकसभा में जानकारी दी गई थी कि 2018 के बाद से IITs में 33 छात्रों ने आत्महत्या की, जिनमें से लगभग आधे अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों से हैं. हाल ही में, IIT बॉम्बे में केमिकल इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष के छात्र दर्शन सोलंकी और IIT मद्रास के दो छात्रों की आत्महत्या से हुई कथित मौत ने इस मुद्दे पर एक राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ दी.
अधिकारियों के अनुसार, काउंसिल ने मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली, साइकोलॉजिकल काउंसलिंग सर्विसेज बढ़ाने और छात्रों के बीच रिजेक्शन के डर को कम करने के महत्व पर जोर दिया. आपको बता दें कि महामारी को देखते हुए आखिरी आईआईटी काउंसिल की बैठक फरवरी 2021 में वर्चुअली आयोजित की गई थी. शिक्षा मंत्री प्रधान की अध्यक्षता में यह आईआईटी परिषद की पहली बैठक भी है.
चार साल के B.Ed प्रोग्राम पर चर्चा
काउंसिल ने आईआईटी में चार वर्षीय बीएड (आईटीईपी) कार्यक्रम शुरू करने के प्रस्तावों पर भी चर्चा की. बदलते वैश्विक परिदृश्य के संदर्भ में परिषद ने आईआईटी के लिए अगले 25 साल के दृष्टिकोण के विकास की आवश्यकता पर चर्चा की.
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आईआईटी इकोसिस्टम न केवल हमारे देश के लिए, बल्कि दुनिया के लिए बैकबॉन है. चाहे दुनिया की गवर्नेंस, अर्थव्यवस्था और वैश्विक प्रबंधन हो, इसमें आईआईटी बैकग्राउंड वाले लोगों का बहुत बड़ा योगदान है. ऐसा कोई वैश्विक निगम नहीं है जहां आईआईटीयन का रोल न रहा हो.