NEET और JEE की गिनती देश की सबसे बड़ी परीक्षाओं में होती है. हालांकि, दोनों की कार्यप्रणाली और परीक्षा की प्रक्रिया काफी अलग-अलग हैं. JEE पूरी तरह से कंप्यूटर-आधारित परीक्षा है. अब टॉप मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली NEET को भी कंप्यूटर पर करवाने की बात हो रही है. इसके लिए सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को एक हाई लेवल कमेटी बनाने के लिए भी कहा है. ये कमेटी अब नीट में IIT के मॉडल को अपनाने पर विचार कर रही है.
जेईई (JEE) को सबसे मुश्किल एग्जाम के तौर पर देखा जाता है. आईआईटी समेत देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली ये परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाती है- JEE (Mains) और JEE (Advanced).
NEET और JEE का फॉर्मेट है एकदम अलग
NEET यानी National Eligibility cum Entrance Test और Joint Entrance Examination (JEE) के बीच सबसे बड़ा अंतर उनका फॉर्मेट है. जेईई (JEE) पूरी तरह से कंप्यूटर आधारित परीक्षा में बदल गई है. इसके दोनों चरणों को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के कंप्यूटर सेंटर्स पर करवाया जाता है. सालाना, लगभग 10 लाख छात्र JEE (मेन्स) देते हैं, जिनमें से लगभग 2 लाख JEE (एडवांस्ड) के लिए पास कर पाते हैं. वहीं, NEET में करीब 23-24 लाख उम्मीदवार बैठते हैं.
कंप्यूटर बेस्ड टेस्टिंग के हैं अपने फायदे
1. सिक्योरिटी: नॉर्मल पेन-एंड-पेपर वाली परीक्षाओं में कई परेशानी सामने आती हैं. ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा से ये सब दूर हो जाती हैं. उदाहरण के लिए, पेपर को सेंटर तक पहुंचाने और बांटने में पेपर लीक हो सकता है. इसके अलावा, प्रिंटिंग प्रेस और ट्रांसपोर्ट कंपनियों जैसी बाहरी एजेंसियों की भागीदारी काफी बढ़ जाती है.
2. एडमिनिस्ट्रेशन: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के साथ, प्रश्न पत्रों और उत्तर पुस्तिकाओं को आसानी से बांटा जा सकता है. इसमें मैनुअल हस्तक्षेप कम होता है. इससे इंसानों से होने वाली गलतियां काफी हद तक कम हो जाती हैं.
3. रिजल्ट: ऑनलाइन टेस्टिंग का एक सबसे बड़ा फायदा रिजल्ट में मिलता है. ऑनलाइन कॉपी आसानी से और जल्दी चेक की जा सकती हैं. इससे बिना किसी देरी के रिजल्ट जल्दी आ जाता है.
क्या है IIT-JEE का मॉडल?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, JEE (एडवांस्ड) की पूरी प्रक्रिया पर आईआईटी सावधानीपूर्वक मॉनिटरिंग करता है. इसी को देखते हुए JEE (एडवांस्ड) के लिए, आईआईटी पूरी गोपनीयता के साथ प्रत्येक विषय के लिए प्रश्न पत्र के दो सेट तैयार करते हैं. इन्हें अलग-अलग शहरों में काम करने वाले दो अलग-अलग समूहों द्वारा बनाया जाता है.
पेपर लीक को रोकने के लिए इन समूहों की पहचान गोपनीय रखी जाती है. इसके अलावा, एग्जाम सेंटर पर पेपर को कुछ घंटे पहले पहुंचाया जाता है. आईआईटी के फैकल्टी मेंबर्स प्रक्रिया की निगरानी के लिए लगभग हर सेंटर पर मौजूद होते हैं.