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ड्राइवर्स और मुसाफिरों को हादसे की आशंका वाले इलाके के बारे में अलर्ट करेगा यह ऐप

सड़क परिवहन मंत्रालय ने फ्री टू यूज नेवीगेशन ऐप लॉन्च किया है. ये ऐप ड्राइवर्स और मुसाफिरों को दुर्घटना संभावित क्षेत्र के बारे में अलर्ट करेगा. IIT मद्रास और मैप माई इंडिया के सहयोग से बना ये एप सड़क पर गड्ढों और ब्रेकर्स की भी जानकारी देगा.

Road Road
हाइलाइट्स
  • सड़क परिवहन मंत्रालय ने लॉन्च किया फ्री टू यूज नेवीगेशन ऐप

  • IIT मद्रास ने विकसित किया इंसानी दिमाग की तरह सोचने वाला अल्गोरिदम

  • सड़क पर गड्ढों और ब्रेकर्स की भी जानकारी देगा

आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने इंसानी दिमाग की तरह सोचने वाला एक मोशन प्लानिंग अल्गोरिदम विकसित किया है.यह स्वायत्त हवाई, जमीन या सतह के वाहनों को बाधा-अव्यवस्थित वातावरण में नेविगेट करने में सक्षम बनाता है. टीम के अनुसार, एल्गोरिदम को 'सामान्यीकृत आकार विस्तार' (जीएसई) की एक नई धारणा पर विकसित किया गया है जो ऑटोमेटेड वाहनों के लिए सुरक्षित योजना बनाता है. इसके जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि वाहनों को किस स्थान पर रुकना है, कब आगे बढ़ना है, कब स्पीड पकड़नी है.

प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे करने के लिए करते हैं इस्तेमाल
रिसर्चर्स ने बताया कि अनमैन्ड एरियल व्हिकल (UAV) (आमतौर पर जिसे ड्रोन कहते हैं) का अक्सर प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण करने, खोज और बचाव मिशन के लिए मलबे को स्कैन करने के लिए उपयोग किया जाता है. चूंकि इस तरह के एप्लीकेशन में, UAV के रास्तों को समय के हिसाब से एडवांस तरीके से प्लान करने की जरूरत होती है, इसलिए ये एल्गोरिदम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

आपदा के समय करेगा मदद
आईआईटी मद्रास के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर,सतादल घोष ने एआईएए जर्नल ऑफ गाइडेंस, कंट्रोल एंड डायनेमिक्स, और आईईईई कंट्रोल सिस्टम्स लेटर्स, और आईईईई कॉन्फ्रेंस ऑन डिसीजन एंड कंट्रोल (सीडीसी), अमेरिकन कंट्रोल कॉन्फ्रेंस (एसीसी) और एआईएए साइंसटेक जैसे शीर्ष स्तरीय सम्मेलनों जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित सहकर्मी-समीक्षित पत्रिकाओं में कई शोध पत्र प्रकाशित किए हैं.

घोष ने कहा, हमारे अल्गोरिदम से लैस ड्रोन आपदा के समय काफी कारगर साबित हो सकते हैं. ये पहले से ही आसपास की गड़बड़ी का आकलन करने में सक्षम होंगे जिससे भूकंप जैसी आपदा की स्थिति में प्रभावित क्षेत्रों के सर्वे में काफी मदद मिलेगी. यूएवी के लिए रास्तों को पहले से तय करना पड़ता था,जबकि अल्गोरिदम के जरिए यह मुश्किल समाप्त होगी.

कौन-कौन है शामिल
टीम में IIT मद्रास के पूर्व छात्र वृषभ ज़िनागे, टेक्सास ऑस्टिन (यूएसए) विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट शोध विद्वान, अध्वैथ रामकुमार, वारसॉ यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी, पोलैंड में स्नातक छात्र और गोल्डमैन सैक्स के एक विश्लेषक निखिल पी शामिल थे. 

सेफ ड्राइविंग के लिए देगा नेविगेशन
जिनागे ने कहा, "जीएसई-आधारित एल्गोरिदम पर्यावरण में बड़े 'दृश्यमान' क्षेत्रों से युक्त 'सुरक्षित' क्षेत्र की गणना करके कार्य करता है, जिसे नेविगेट करने के लिए अनुकूलित किया जाता है." यानी की ये अल्गोरिदम पेड़-पौधे, पहाड़, आंधी, तूफान और बारिश को नेविगेट कर वाहनों को सेफ ड्राइविंग के लिए नेविगेशन देगा. साथ ही किसी बाधा के सामने आने पर यह अपने आसपास सुरक्षित स्थान ढूंढ़ लेगा, ताकि वह अपने स्थान तक पहुंच जाए. इसे दो बिंदुओं को जोड़कर बनाया जाता है और यह उनके बीच सुरक्षित मार्ग अल्गोरिदम तैयार कर लेता है.