महामारी की वजह से अपनी नौकरी गंवाने वाले लोगों ने तमिलनाडु सरकार की इल्लम थेदी कल्वी (घर पर शिक्षा) योजना की तरफ रुख किया है. यह योजना मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने शुरू की है. महामारी के दौरान छात्रों के सीखने के नुकसान और मनोवैज्ञानिक मुद्दों को ठीक करने के लिए जिस योजना की परिकल्पना की गई है, उसमें राज्य के शिक्षा विभाग के स्वयंसेवक छात्रों के दरवाजे तक पहुंचेंगे. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत बच्चों को पढ़ाने के लिए स्वयंसेवकों के रूप में सेवा करने के लिए 86,550 लोग पहले ही रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं.
परियोजना का मकसद बच्चों को पढ़ाना
स्कूल शिक्षा विभाग की हेल्पलाइन 14417 को पिछले 60 दिनों में 7,500 कॉल्स आई हैं. , जिनमें सेज्यादातर स्वयंसेवी पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में पूछताछ करने के लिए हैं. इस परियोजना की शुरूआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 12 जिलों में शुरू की गई है. इल्लम थेदी कल्वी (घर पर शिक्षा) योजना का उद्देश्य स्कूल के बाद 1-8 क्लास के छात्रों को घर पर पढ़ाना है. इसमें स्नातक कर चुके छात्रों की आगे की पढ़ाई की भी शुरूआत की गई है. परियोजना की घोषणा इस साल अक्टूबर में की गई थी और शिक्षा हेल्पलाइन को महीने के अंत में परियोजना से जोड़ा गया था.
स्वयंसेवकों के रूप में कार्य करने और बच्चों को पढ़ाने के लिए कुल 67,961 महिलाओं, 18,557 पुरुषों और 32 ट्रांसजेंडर लोगों ने इस योजना के लिए नामांकन किया है. इन स्वयंसेवकों का चयन स्कूल प्रबंधन समितियों द्वारा सीधे उनकी शैक्षिक योग्यता और उनके निवास स्थान और अनुभव के आधार पर किया जाएगा. कुछ सामाजिक समूहों और कुछ राजनीतिक दलों की ओर से तीखी आलोचना हुई है कि तमिलनाडु सरकार इल्लम थेदी कल्वी योजना की घोषणा करके पिछले दरवाजे से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाने की कोशिश कर रही है.
रोजगार के भी हैं अवसर
आवेदक ए पी धनराज ने कहा कि “मैं चेन्नई में एक आईटी फर्म में काम कर रहा था और महामारी की वजह से मेरी नौकरी चली गई. इस महामारी की स्थिति में अपने बीमार माता-पिता की देखभाल करने के लिए, मैं मदुरै चला गया. मैं छह महीने से नौकरी की तलाश कर रहा हूं और इल्लम थेदी कल्वी हमें कम से कम 1,000 रुपये देंगे. हालांकि यह एक स्थायी परियोजना नहीं है, लेकिन यह हमें अस्थायी राहत प्रदान करेगी.