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Independence Day 2024: 25 साल से कम उम्र में फांसी पर चढ़ गए थे ये 5 क्रांतिकारी

आजादी की लड़ाई में हजारों क्रांतिकारियों ने अपने जान की कुर्बानी दी है. कई क्रांतिकारियों ने छोटी उम्र में देश के लिए अपना जान दे दी. क्रांतिकारी खुदीराम बोस को सिर्फ 18 साल की उम्र में फांसी दे दी गई थी. जबकि प्रफुल्ल चाकी को 20 साल की उम्र में फांसी पर लटकाया गया था. इन दोनों क्रांतिकारियों ने मुजफ्फरपुर के जज किंग्सफोर्ड पर बम से हमला किया था. इसके अलावा भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को भी 25 साल से कम उम्र में ही फांसी पर लटका दिया गया था.

Khudiram Bose, Prafulla Chaki and Bhagat Singh Khudiram Bose, Prafulla Chaki and Bhagat Singh

देश को आजादी मिलने के 77 साल हो गए हैं. आजादी के लिए देश के लोगों ने करीब 100 सालों तक लंबी लड़ाई लड़ी थी. इस संघर्ष में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई, असहनीय तकलीफों को सहा. अंग्रेजों ने अपनी सत्ता बचाने के लिए सैकड़ों क्रांतिकारियों को फांसी पर लटका दिया. जिस उम्र में लोग अपने भविष्य और परिवार के लिए सपने देखते हैं, उस उम्र में कई युवा क्रांतिकारियों ने अपनी जान कुर्बान कर दी. चलिए आपको 5 ऐसे ही क्रांतिकारी के बारे में बताते हैं, जिन्होंने 25 साल से कम उम्र में अपनी जान कुर्बान कर दी थी.

18 साल में खुदीराम बोस को फांसी-
क्रांतिकारी खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को बंगाल के मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में हुआ था. उन्होंने 9वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी और आजादी की लड़ाई में कूद गए. छोटी उम्रम में खुदीराम रिवोल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बन गए और पैम्फलेट बांटने का काम करने लगे. 18 अप्रैल 1908 को 18 साल की उम्र में खुदीराम बोस और उनके एक साथी ने मुजफ्फरपुर के जज किंग्सफोर्ड की बग्घी पर बस फेंका था. हालांकि जज की जान बच गई थी. इसके बाद उनको गिरफ्तार किया गया और फांसी की सजा सुनाई गई.

20 साल में प्रफुल्ल चाकी को फांसी-
क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी का जन्म 10 दिसंबर 1888 को उत्तरी बंगाल के बोगरा जिला के बिहारी गांव में हुआ था. 9 साल की उम्र में ईस्ट बंगाल कानून तोड़ने वाले प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. इसके बाद उनको स्कूल से निकाल दिया गया था. 18 अप्रैल 1908 को मुजफ्फरपुर के जज किंग्सफोर्ड की हत्या करने की कोशिश के मामले में प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस को गिरफ्तार किया गया था. 11 अगस्त 1908 को खुदीराम बोस के साथ प्रफुल्ल चाकी को भी फांसी दे दी गई थी. उस समय प्रफुल्ल चाकी की उम्र सिर्फ 20 साल थी.
 
23 साल में भगत सिंह की शहादत-
भगत सिंह ने साल 1928 में लाहौर में अंग्रेज अधिकारी जेपी सांडर्स की हत्या की और उसके बाद सेंट्रल एसेंबली में बम फेंककर ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी. इसके बाद भगत सिंह ने गिरफ्तारी दी. उन पर लाहौर साजिश का मुकदमा चला. 23 मार्च 1931 को 23 साल की उम्र में भगत सिंह को फांसी दे दी गई. भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरु के साथ फांसी पर लटकाया गया था.

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23 साल में राजगुरु को फांसी- 
राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था. उनका जन्म 24 अगस्त 1908 को पुणे के खेड़ा गांव में हुआ था. 16 साल की उम्र में राजगुरु हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य बन गए थे. लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए राजगुरु ने भगत सिंह के साथ मिलकर योजना बनाई. 17 दिसंबर 1928 को राजगुरु और भगत सिंह ने लाहौर के जिला पुलिस मुख्यालय के बाहर एसिस्टेंट कमिश्नर जॉन पी सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी. 23 साल की उम्र में राजगुरु को 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई.

24 साल में सुखदेव की शहादत-
सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था. लाहौर षडयंत्र में सुखदेव गिरफ्तार किया गया. इस केस में भगत सिंह और राजगुरु के साथ सुखदेव को भी फांसी की सजा दी गई थी. 23 मार्च 1931 को तीनों को फांसी पर लटका दिया गया था. उस समय सुखदेव की उम्र 24 साल थी.

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