उत्तराखंड के सुरम्य जिले रुद्रप्रयाग में, एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक माधव सिंह नेगी बच्चों को शिक्षा के साथ जोड़ने के साथ-साथ नैतिक मूल्यों और सांस्कृतिक परंपराओं से भी जोड़ रहे हैं. जब माधव सिंह की यहां पर नियुक्ति हुई तो उन्हें एजुकेशन सिस्टम में कुछ कमी नजर आई. और उन्होंने इस कमी को दूर करने के लिए प्रयास किए ताकि छात्रों का संपूर्ण विकास हो सके.
उनका कहना है कि पूरे साल बच्चों को कोर्सबुक्स, परीक्षाओं, खेल और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में व्यस्त रखते हैं, लेकिन हमारी शिक्षा प्रणाली में बच्चों में मूल्यों, सांस्कृतिक परंपराओं और नैतिक सिद्धांतों की कमी है. इस अंतर को पाटने के लिए दृढ़ संकल्पित नेगी ने अपने स्कूल में छात्रों को केवल शैक्षणिक गतिविधियों तक ही सीमित नहीं रखा है. उन्होंने छात्रों को नैतिक मूल्यों और भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं से जोड़ने की पहल की है.
बच्चों के संपूर्ण विकास पर फोकस
जखोली ब्लॉक के जैली सरकारी प्राथमिक विद्यालय का हर एक बच्चा न सिर्फ शिक्षा के मामले में अव्वल है, बल्कि नैतिकता और नैतिक मूल्यों से भी अच्छी तरह वाकिफ है. उत्तराखंड के पौराणिक रूप से महत्वपूर्ण उखीमठ ब्लॉक में रहने वाले नेगी का स्कूल सिर्फ एक शैक्षणिक संस्थान नहीं है बल्कि यह सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का एक जीवंत केंद्र जैसा लगता है. जीपीएस जैली में सुबह की प्रार्थना सभा के तुरंत बाद क्लास शुरू नहीं होती हैं. प्रार्थना के बाद पारंपरिक मूल्यों और जीवन सिद्धांतों पर आधारित दैनिक संबोधन के लिए समय दिया जाता है.
यह सब कोर्स का हिस्सा नहीं है, लेकिन माधव को इसी जरूरत लगी क्योंकि आज के समय में हमारी नई पीढ़ी आधुनिकता की दौड़ में समृद्ध संस्कृति और परंपराओं से दूर होती जा रही है. जैली ग्राम सभा में तीन सरकारी स्कूल हैं. लेकिन माधव के जीपीएस जैली में अन्य दो ज्यादा छात्र हैं.
हर तरफ से मिल रही है प्रशंसा
स्कूल प्रशासन और शिक्षाशास्त्र के प्रति माधव के इस नए दृष्टिकोण को साहना मिल रही है. 2018 में हिंदी दिवस पर रुद्रप्रयाग के पूर्व जिला मजिस्ट्रेट और अब प्रधान मंत्री कार्यालय में उप सचिव मंगेश घिल्डियाल छात्रों की शैक्षणिक कौशल और सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों की उनकी मजबूत समझ से प्रभावित हुए. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी घिल्डियाल बच्चों के अनुशासन और बौद्धिक कौशल से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने सराहना के तौर पर बच्चों को नकद पुरस्कार से सम्मानित किया.
कौन हैं माधव सिंह नेगी
1971 में रुद्रप्रयाग जिले की उखीमठ तहसील के पलिंग गांव में मोला देवी और सुजान सिंह नेगी के घर जन्मे माधव सिंह नेगी हमेशा से ही शिक्षा के प्रति प्रयासरत रहे हैं. उनकी अभिनव पहल को मान्यता देते हुए, शिक्षा विभाग ने उन्हें 2015 में राज्यपाल पुरस्कार और 2017 में प्रतिष्ठित शैलिश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार से सम्मानित किया. इसके अलावा, उनको शिक्षा में उनके अद्वितीय योगदान के लिए 13 विभिन्न संस्थानों ने मान्यता दी है.
नेगी की रुचि शिक्षा से आगे अध्यात्म और संस्कृति में भी है. उन्होंने ज्योतिष का अध्ययन किया है और केदारघाटी की परंपराओं को गहराई से समझा है. उन्होंने केदारघाटी पर एक महत्वपूर्ण पुस्तक 'नंदा' लिखी, जिसमें जागर, पांडव, बगड्वाल और विश्व स्तर पर प्रसिद्ध नंदा परंपरा सहित क्षेत्र की लोककथाओं की खोज की गई. वह न केवल एक प्रतिभाशाली कलाकार हैं, बल्कि एक अनुकरणीय शिक्षक और प्रकृति प्रेमी भी हैं.