अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस को यूनेस्को द्वारा सरकारों, समुदायों और अन्य संगठनों के साथ मिलकर बढ़ावा दिया जाता है. इस क्षेत्र में प्रगति के बावजूद, दुनिया भर में कम से कम 771 मिलियन लोगों में आज भी बुनियादी साक्षरता क्षमताओं का अभाव है. बता दें कि महामारी और अन्य मुद्दों से निपटने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस युवाओं और वयस्क साक्षरता कार्यक्रमों में लागू किए जा सकने वाले अत्याधुनिक और सफल शिक्षाशास्त्र के बारे में जागरूकता फैलाता है. विश्व भर में प्रतिवर्ष 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है. यह विशेष दिवस साक्षरता के बारे में मानव अधिकार और गरिमा के मुद्दे के रूप में जागरूकता बढ़ाने और अधिक साक्षर और समाज के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है.
थीम
इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम "ट्रांसफॉर्मिंग लिटरेसी लर्निंग स्पेसेस" (Transforming Literacy Learning Spaces)है. यूनेस्को इस बात पर जोर देता है कि सीखने के माहौल के साथ मौलिक अधिकार के पुनर्मूल्यांकन करने और सभी के लिए उच्च गुणवत्ता, न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने के अवसर के रूप में कार्य करेगा.
इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का विचार सबसे पहले 1965 में निरक्षरता को खत्म करने के लिए ईरान द्वारा आयोजित विश्व शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान प्रस्तावित किया गया था. सम्मेलन के अगले साल निरक्षरता की वैश्विक समस्या को दूर करने के लिए, 26 अक्टूबर 1966 को यूनेस्को ने 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में घोषित किया. जिसका मुख्य लक्ष्य 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को व्यक्तियों, समुदायों और समाजों के लिए साक्षरता के महत्व की याद दिलाने, और अधिक साक्षर समाजों की दिशा में गहन प्रयासों की जरूरत पर जोर देना है.' बता दें कि सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र का 2030 एजेंडा भी साक्षरता को एक प्रमुख उद्देश्य के रूप में मानता है.
महत्व
जीवन में साक्षर होने का महत्व काफी बढ़ जाता है, क्योंकि किसी भी समाज या व्यक्ति के विकास में साक्षरता होने का बहुत बड़ा योगदान हैं. यह लोगों को अपने लिए सोचने की अधिक स्वतंत्रता देता है. हम सभी जानते हैं कि शिक्षा विकास की आधारशिला है, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का लक्ष्य इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.
दूसरों को प्रेरित करने और उनकी सहायता करने के लिए आज के दिन कई संगठन और कई लोग इस दिन साक्षरता का जश्न मनाते हैं. आस-पड़ोस के बच्चों को सलाह देना, पुस्तकालयों को किताबें दान करना, और गरीब छात्रों की ट्यूशन और शिक्षा के लिए फंडिंग करना ताकि उन्हें करियर शुरू करने में मदद मिल सके, ये सभी इस बात के उदाहरण हैं कि कैसे छात्र और कामकाजी पेशेवर इस विशेष अवसर का समर्थन करते हैं.
भारत की साक्षरता
आज देश की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है. साल 2011 में भारत की कुल साक्षरता दर 74.4% थी.1947 में देश की साक्षरता दर केवल 18 % थी. बता दें कि देश में सबसे अधिक साक्षरता वाला राज्य केरल है, जहां 96.2% जनसंख्या साक्षर है.
राज्यवार साक्षरता दर
NSO सर्वे में सात साल या उससे अधिक आयु के लोगों के बीच साक्षरता दर की राज्यवार रिपोर्ट इस प्रकार है-
राज्य - साक्षरता दर
केरल - 96.2 प्रतिशत
दिल्ली - 88.7 प्रतिशत
उत्तराखंड - 87.6 प्रतिशत
हिमाचल प्रदेश - 86.6 प्रतिशत
असम- 85.9 प्रतिशत
मध्य प्रदेश- 73.7 प्रतिशत
उत्तर प्रदेश - 73 प्रतिशत
तेलंगाना - 72.8 प्रतिशत
बिहार - 70.9 प्रतिशत
राजस्थान - 69.7 प्रतिशत
विश्व साक्षरता दिवस की पिछले 5 सालों की थीम
बता दें कि हर वर्ष साक्षरता दिवस के मौके पर विशेष थीम होती है. पिछले पांच सालों की थीम इस कुछ तरह रही है.
2015 अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम -साक्षरता और सतत समाज
2016 अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम -अतीत पढ़ना, भविष्य लिखना
2017 अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस थीम- डिजिटल दुनिया में साक्षरता
2018 अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम- साक्षरता और कौशल विकास
2019 अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम- साक्षरता और बहुभाषावाद
2020 अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम- COVID-19 संकट और उससे परे साक्षरता शिक्षण और शिक्षा
2021 अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम 'मानव-केंद्रित पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता: डिजिटल विभाजन को कम करना'
2022 अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम- 'ट्रांसफॉर्मिंग लिटरेसी लर्निंग स्पेस'
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2022: Quotes
'शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं' -नेल्सन मंडेला
'आइए याद रखें: एक किताब, एक कलम, एक बच्चा और एक शिक्षक दुनिया को बदल सकते हैं' -मलाला यूसूफ़जई
'एक बार जब आप पढ़ना सीख जाते हैं, तो आप हमेशा के लिए मुक्त हो जाएंगे' -फ्रेडरिक डगलस
'ऐसा कोई बच्चा नहीं है, जिसे पढ़ने से नफरत हो, केवल ऐसे बच्चे हैं जिन्हें सही किताब नहीं मिली है." -फ्रैंक सेराफिनी
'साक्षरता दुख से आशा तक का सेतु है.' -कोफी अन्नान