भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी पी विजयन ने 'Student Police Cadet' नामक एक पहल की शुरुआत की. यह अपनी तरह की पहली पहल है. उन्होंने भारत की अनूठी अवधारणा-स्टूडेंट पुलिस कैडेट (एसपीसी) को डिजाइन और विकसित करने पर दो साल तक दिन-रात काम किया.
और अब, देश भर में 2 लाख एसपीसी हैं जो इस वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के विकसित मॉड्यूल के माध्यम से प्रशिक्षित होने के बाद कानून और व्यवस्था में पुलिस की सहायता कर रहे हैं. इन एसपीसी का उद्देश्य विभिन्न राज्यों में भाईचारा की भावना को बढ़ावा देना है.
हाल ही में, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, पी विजयन ने बताया कि साल 2008 में इस प्रोजेक्ट को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया था. केरल सरकार ने साल 2010 में इस परियोजना को संभाला था. 2 अगस्त 2010 को 127 स्कूलों से 44-44 छात्रों के बैच लिए गए- कुल 5,588 कैडेट्स को एसपीसी के उद्देश्य 'We learn to serve' से परिचित कराया गया.
छात्रों को जिम्मेदार नागरिक बनाने पर फोकस
साल 2010 के बाद से, एसपीसी परियोजना ने बड़े पैमाने पर छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और पुलिस कर्मियों के बीच एक बड़ा प्रभाव पैदा किया है. इससे चेंजमेकर्स को सपोर्ट मिला है. इसके तहत, छात्र अटूट नागरिक प्रतिबद्धता और जिम्मेदारियों के साथ जागरूक नागरिक बनने के लिए विकसित हो रहे हैं. इन छात्रों को मन में 'इंडिया फर्स्ट' का विचार सबसे पहले है.
विजयन का कहना है कि एसपीसी का मूल उद्देश्य बच्चों को साझेदारी का महत्व समझाना और समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए प्रेरित करना है. छात्र पुलिस कैडेट (एसपीसी) परियोजना युवा सशक्तिकरण और बच्चों की क्षमता निर्माण के क्षेत्र में किया गया सबसे प्रभावशाली सुधार है. यह प्रोग्राम दो साल का है जिसमें हाई स्कूल के बच्चों को चुना जाता है.
साल 2006 में मिला यह आइडिया
विजयन का कहना है कि इस प्रोग्राम को राज्य सरकार के गृह, शिक्षा, स्वास्थ्य, वन, उत्पाद शुल्क, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, समाज कल्याण और नागरिक समाज विभागों के बीच एक साझेदारी कार्यक्रम के रूप में डिजाइन किया गया है. बात अगर इस आइडिया की करें तो विजयन का कहना है कि उन्हें इस परियोजना का आइडिया साल 2006 में कोच्चि शहर में स्कूली बच्चों के साथ बातचीत के दौरान मिला.
उस समय वह शहर के पुलिस आयुक्त थे और उन्होंने इस प्रोग्राम पर काम किया. साल 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी एसपीसी से प्रभावित हुए और इस कार्यक्रम का अध्ययन करने के लिए उन्होंने हसमुख पटेल आईपीएस के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल केरल भेजा. बाद में, गुजरात सरकार ने विभिन्न स्कूलों में बड़े पैमाने पर एसपीसी कार्यक्रम शुरू किया.
नेशनल लेवल तक पहुंचा SPC प्रोग्राम
गुजरात के बाद हरियाणा, राजस्थान और कर्नाटक सरकार ने भी इसे लागू किया. हालांकि, एसपीसी इतिहास में बड़ा मोड़ तब आया जब तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जनवरी 2017 में केरल का दौरा किया और 6,000 से अधिक कैडेटों के अनुशासन, उत्साह और देशभक्ति की भावना से वह प्रभावित हुए.
सिंह के कहने पर पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो ने राष्ट्रीय रोल-आउट के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की. और हरियाणा के गुरुग्राम (तब गुडगांव) में एक मेगा कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें हजारों बच्चे आए, और सभी राज्यों के 30 छात्र पुलिस कैडेट शामिल हुए. जुलाई 2018 में राष्ट्रीय स्तर पर एसपीसी की शुरुआत की गई. उन्होंने कहा कि केरल के 1,000 स्कूलों में एसपीसी परियोजना को अपनाया गया है और अच्छी तरह से शोध किए गए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के माध्यम से 86,000 कैडेट प्रशिक्षण ले रहे हैं.
12,000 स्कूलों ने अपनाया यह प्रोग्राम
कार्यक्रम के राष्ट्रीय रोलआउट के बाद, पूरे भारत में 12,000 स्कूलों में एसपीसी को अपनाया गया है. एसपीसी परियोजना से प्रभावित होकर, यूनिसेफ ने छात्र पुलिस कैडेट्स को 'बाल अधिकार राजदूत' घोषित किया. प्रतिनिधियों ने तंजानिया, घाना और कजाकिस्तान से आना शुरू कर दिया और श्रीलंका, मालदीव और कई अन्य देशों ने इस कार्यक्रम के बारे में पूछताछ की.
इसके अलावा, इस आईपीएस अधिकारी ने बच्चों के अनुकूल पुलिस स्टेशनों को विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वर्तमान में, केरल भर में 142 बच्चों के अनुकूल पुलिस स्टेशन हैं, जिसमें 10,000+ पुलिस कर्मियों को एक अच्छी तरह से डिजाइन किए गए एसओपी के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया है.