मेडिकल की पढ़ाई करने वाली छात्राओं के लिए बड़ी खबर है. उन्हें इस बार एमबीबीएस में दाखिला मिलने में परेशानी होगी. बिहार के मेडिकल कॉलेजों में नीट पास लड़कियों को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा दो साल पहले की गई थी. अब तक आरक्षण की प्रकिया शुरू नहीं हो सकी है. आरक्षण के लिए अभी छात्राओं को इंतजार करना होगा.
जानकारी के मुताबिक, बिहार के मेडिकल कॉलेजों में लड़कियों को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा दो साल पहले की गई थी. लेकिन उस पर अमल से पहले नई समस्या सामने आ गई है. हालांकि, अब तक आरक्षण की प्रकिया शुरू ही नहीं हो सकी है. ऐसी स्थिति में बिहार के मेडिकल कॉलेजों में लड़कियों के 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए अभी इंतजार करना होगा. नामांकन की तैयारी जारी है. छात्राओं के नामांकन पर पेंच फंसा है.
नामांकन के लिए नोटिस जारी
ऑल इंडिया कोटे के तहत नामांकन के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है. अब जल्द ही बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद BCECEB राज्य के 85 प्रतिशत मेडिकल सीटों पर एडमिशन के लिए नोटिस जारी करेगा. लेकिन अब तक मेडिकल में एडमिशन कराने की जिम्मेदारी निभाने वाली बीसीईसीईबी को आरक्षण संबंधित कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. एजेंसी का कहना है कि उन्हें किसी तरह का इससे संबंधित आदेश नहीं मिला है. कहा जा रहा है कि अगर मेडिकल कॉलेजों में भी यह नियम लागू हो जाएगा तो लड़कियों की संख्या 50 फीसदी से अधिक हो जाएगी.
कितनी सीटें हैं?
स्टेट कोटे के तहत बिहार में एमबीबीएस की 1121 सीटें हैं. इसमें से 33 प्रतिशत सीटें लड़कियों के लिए आरक्षित रहेगी. 1121 सीटों में से 373 सीटें लड़कियों के लिए आरक्षित हो गयी हैं. जैसे पटना मेडिकल कॉलेज में स्टेट कोटे के तहत 165 सीटें हैं. आरक्षण लागू होने से इनमें करीब 54 सीटों पर लड़कियों का एडमिशन होगा. अभी बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों में करीब 30 से 35 प्रतिशत सीटों पर लड़कियों का नामांकन हुआ था. यह 52 से 57 फीसदी तक हो जाएगा.
बिहार में अलग मेडिकल विश्वविद्यालय स्थापित किया जाना है. इसके कुलपति की नियुक्ति राज्य सरकार ने कर दी है. पीएमसीएच के सीनियर डॉक्टर एसएन सिन्हा को कुलपति बनाया गया है. पर आर्यभट्ट में एक कमरे के अलावा धरातल पर कुछ नहीं है. हालांकि, नये सत्र 2022-23 का संचालन मेडिकल विश्वविद्यालय के अधीन ही होना है.