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Jaadui Pitara Launched: केंद्रीय मंत्री ने बालवाटिका को किया लॉन्च, अब बच्चे करेंगे जादुई पिटारा से पढ़ाई, जानें इसकी खासियत

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने छोटे बच्चों के लिए सीखने-सिखाने की नई स्टडी मैटेरियल को लॉन्च किया है. इस स्टडी मैटेरियल को Jaadui Pitara का नाम दिया गया है. बच्चों को जादुई पिटारा खेल, चित्रकला, नृत्य व संगीत के माध्यम से शिक्षा से जोड़ेगा.

पढ़ाई करते बच्चे (फाइल फोटो) पढ़ाई करते बच्चे (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • छात्रों को 13 भारतीय भाषाओं में पढ़ाई का मिलेगा मौका

  • खेल, चित्रकला, नृत्य व संगीत पर आधारित शिक्षा की रूपरेखा तैयार

केंद्र सरकार शिक्षा पर विशेष जोर दे रही है. छोटे-छोटे बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जाए, इसका पूरा ध्यान दिया जा रहा है. इसी के तहत केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को बालवाटिका को लॉन्च किया. पहली व दूसरी कक्षा के लिए एनसीईआरटी द्वारा तैयार जादुई पिटारा (Jaadui Pitara) नामक पाठ्यक्रम को लॉन्च किया. 

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस उम्र के बच्चे खेल-खेल में अधिक सीखते हैं. इसलिए उन्हें किताबों के बोझ से निजात देने वाला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत तैयार यह जादुई पिटारा खेल, चित्रकला, नृत्य व संगीत के माध्यम से शिक्षा से जोड़ेगा.

NCERT ने तैयार किया सिलेबस
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि जादुई पिटारे को तैयार करने के लिए NCF और NCERT की मदद ली गई है. सिलेबस को NCERT ने तैयार किया है. 

कोई स्कूल बैग नहीं होगा
बालवाटिका एक, बालवाटिका दो, बालवाटिका तीन तक के बच्चों को कोई स्कूल बैग नहीं होगा, जबकि पहली व दूसरी कक्षा के छात्रों को भी किताबों के भारीभरकम बोझ से निजात मिलेगी. इन सभी कक्षाओं के छात्रों को 13 भारतीय भाषाओं में पढ़ाई का मौका मिलेगा. दिल्ली स्थित आंबेडकर भवन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा और राष्ट्रीय संचालन समिति के अध्यक्ष डॉ. के कस्तूरीरंगन की उपस्थिति में बुनियादी चरण के लिए शिक्षण-अध्यापन सामग्री का शुभारंभ किया. 

Jaadui Pitara से ऐसे होगी पढ़ाई
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार इस जादुई पिटारा  में 3 से 8 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए खेल, चित्रकला, नृत्य व संगीत पर आधारित शिक्षा की रूपरेखा तैयार की गयी है. जादुई पिटारे में बच्चों के लिए खिलौने, कठपुतलियां, दिलचस्प कहानियां बच्चों की अपनी मातृभाषा में उपलब्ध कराई जाएगी. खेल,चित्रकला, नृत्य और संगीत आधारित शिक्षा भी जादुई पिटारा का हिस्सा होंगे. जादुई पिटारा का मकसद बच्चों में समग्र विकास करना है. साथ ही शिक्षा का मतलब सिर्फ किताब नहीं है, बल्कि कई अन्य चिजों की मदद से भी पढ़ाई कराई जा सकती है.

बालवाटिका में किताब और कॉपी नहीं
बालवाटिका एक, दो और तीन के बच्चों का कोई स्कूल बैग नहीं होगा. बच्चे घर से अपने स्कूल बैग में अपने मनपसंद खिलौने, कपड़े और टिफिन लेकर आएंगे।. स्कूल में पारंपरिक डेस्क व बेंच की जगह लकड़ी के घोड़े, गोल आकार की मेज, छोटी-छोटी कु़र्सियां और सामने दीवार पर बड़ी सी स्क्रीन. यहां अलग-अलग कार्टून, कहानियां, डांस, ड्राइंग के माध्यम से बच्चे खेल-खेल में जमा-घटाव, अंक, बात करने का तरीका, भाषा और अन्य जानकारियां हासिल करेंगे.

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