आज की दुनिया में अगर कोई अपनी किस्मत या जिंदगी बदलना चाहता है तो आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है शिक्षा. सही शिक्षा ही आपके लिए ऐसे रास्ते बनाती है जो आपको जीवन में कभी पीछे नहीं रहने देती. लेकिन समाज में बहुत से ऐसे मुद्दे हैं जिस कारण सभी बच्चों को सही शिक्षा तक पहुंच ही नहीं मिल पाती है. पर आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे शख्स के बारे में जो इस तस्वीर को बदलने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है. यह कहानी है उद्देश्य सचान की, जिनकी जिंदगी का एक ही उद्देश्य है- गरीब और जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा से जोड़ना.
GNT Digital ने उद्देश्य सचान से उनके इस लक्ष्य और काम के बारे में एक्सक्लूसिव बातचीत की और जाना कि कैसे वह आज सैकड़ों बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उनके जीवन में बदलाव ला रहे हैं.
कौन हैं उद्देश्य सचान?
अपना समय और जीवन दूसरों को समर्पित करने के लिए साहस की जरूरत होती है, और बहुत कम लोग होते है जो इस तरह का निस्वार्थ काम कर पाते हैं. उन्हीं लोगों में से एक हैं कानपुर के रहने वाले उद्देश्य सचान. गरीबी और अभाव के कारण बहुत से लोगों गलत राह पकड़ लेते हैं लेकिन 31 वर्षीय उद्देश्य सचान ने अपने जीवन के दुखों से प्रेरणा ली और कभी हार नहीं मानी. आज उद्देश्य सचान एक सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक है. वह "गुरुकुलम - खुशियों वाला स्कूल" नामक एक संस्था चला रहे हैं जिसके जरिए गरीब और जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.
बात अगर उद्देश्य के सफर की करें तो उन्होंने बताया, "मेरा पूरा बचपन गरीबी और अभाव में बीता है. मेरे पिता जी दर्जी का काम किया करते थे और मां गृहिणी. बहुत मुश्किल से घर चल पाता था. फिर एक समय ऐसा भी आया जब पिताजी के पास स्कूल की फीस भरने के पैसे नहीं तो मुझे स्कूल से बाहर निकाल दिया गया था. जैसे-तैसे कुछ समय बाद जब पिताजी ने फीस भरी तो दोबारा स्कूल में दाखिला मिला. 12वीं तक की स्कूली पढ़ाई भी मैंने बहुत मुश्किलों से पूरी की." उद्देश्य ने बताया कि स्कूल के बाद घर में मदद करने के लिए उन्होंने ढाबे-होटल पर भी काम किया और एक आइसक्रीम फैक्ट्री में नौकरी करने लगे. इस सबके साथ उन्होंने फिलॉसोफी विषय से अपनी ग्रेजुएशन भी पूरी की.
इस तरह हुई स्कूल की शुरुआत
उद्देश्य के अपने जीवन में परेशानियां कम नहीं हैं लेकिन इस सबके बीच उन्हें अहसास हुआ कि उनके जैसे और भी बहुत से बच्चे होंगे जो पैसे की कमी के चलते शिक्षा के वंचित हैं. अपनी मुश्किल को अपनी प्रेरणा बनाकर उन्होंने ठाना कि वह इस स्थिति को बदलने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. उद्देश्य ने बताया की बहुत सोचने के बाद उन्होंने गरीब बच्चों के लिए फ्री-स्कूल शुरू करने का फैसला किया. उन्हें इस काम के लिए अपनी मां से लगभग 300 रुपए मिले. इन पैसों से पहले उन्होंने कुछ पैम्फलेट छपवाए, जिसपर उनके स्कूल के बारे में जानकारी दी गई थी. इन पर्चों को उन्होंने रात को अपने आस पास के इलाकों में चिपकाया.
साल 2019 में उनकी यह पहल शुरू हुई. हालांकि, शुरुआत में वह सिर्फ पांच बच्चों को ही क्लास में ला पाए. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करते रहे. फिर छ महीनों में ही बच्चों की संख्या 70 हो गयी. इन बच्चों को वह एक पेड़ के नीचे ही खुले में कुछ बेसिक चीजें पढ़ाने-सिखाने लगे. लेकिन एक बार फिर उद्देश्य के सामने मुश्किलें आईं क्योंकि साल 2020 में कोरोना के बाद सबकुछ बंद हो गया. उद्देश्य को लगा की सब खत्म हो गया है पर उन्होंने फिर से शुरुआत की. कुछ महीनों बाद उन्होंने एक कमरा किराए पर लिया ताकि क्लास अच्छे से हो सकें.
नेक लोगों की मदद से चल रहा है कारवां
उद्देश्य का लक्ष्य तो अच्छा था पर उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे. उन्हें लगा था कि वह शायद ज्यादा आगे न जा पाएं. पर कहते हैं न कि जहां चाह, वहां राह. वैसा ही कुछ उद्देश्य के साथ जब कानपूर में ही कुछ संपन्न लोगों ने उन्हें 300 रुपए प्रति माह की फंडिंग देना शुरू किया ताकि बच्चों का क्लास न रुके. धीरे-धीरे उनके पास बच्चों की संख्या 150 की हो गई. पर फिर साल 2020 में अचानक उन्हें किराये वाले स्कूल को खाली करने को कह दिया गया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
उन्होंने जैसे-तैसे बच्चों को पढ़ाना जारी रखा और इसके साथ, इंस्टाग्राम पर अपने स्कूल के बारे में पोस्ट करना शुरू किया. सोशल मीडिया पर उनकी वीडियो वायरल भी हुई और इसके बाद बहुत से लोग उनसे जुड़ने लगे. कई लोगों ने उन्हें स्कूल के लिए डोनेशन भी दिया और फिल्म अभिनेता आर. माधवन ने उनके बारे में शेयर भी किया. आज उनके पास उनका अपना स्कूल है जहां 200 से 255 बच्चे पढ़ते हैं और अभी स्कूल को और बड़ा बनाने का काम चल रहा है. वह इस स्कूल को '3 Idiots' फिल्म में दिखाए गए आमिर खान के स्कूल के जैसा बनाना चाहते हैं जहां बच्चे आत्मनिर्भर बनें.
एकदम अनोखा है यह 'खुशियों वाला स्कूल'
उद्देश्य के स्कूल को 'खुशियों वाला स्कूल' इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां न तो बच्चों पर नंबर लाने का दबाव होता है और न ही माता-पिता पर फीस देने का दबाव है. साल 2019 में स्थापित, गुरुकुलम एक ऐसा स्कूल है जहां गरीब परिवारों के बच्चों को बिना किसी फीस के शिक्षा दी जाती है ताकि परिवार पैसे की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई न छुड़वाएं. इस स्कूल का फिलहाल ज्यादा फोकस कानपुर क्षेत्र की झुग्गी-बस्तियों पर है. इन बस्तियों से बच्चे उनके पास पढ़ने आते हैं.
उद्देश्य का कहना है कि उनके गुरुकुलम के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाना है. वर्तमान में शिक्षा रटने वाली पद्धति, या अंक के आधार पर बच्चों को आंकने जैसी परीक्षा-उन्मुख शिक्षा पर आधारित है. ऐसे में, गुरुकुलम का उद्देश्य व्यावहारिक और कौशल-आधारित शिक्षा है जो एक छात्र को जिंदगी के लिए तैयार करती है. उनका लक्ष्य बच्चों को लाइफ स्किल्स सिखाना है. गुरुकुलम को जो बात सबसे अलग बनाती है, वह है शिक्षा का अनोखा तरीका, जिसमें रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी, थिएटर, एडवांस्ड क्राफ्ट, खेती, बागवानी आदि जैसे कार्यक्रम शामिल हैं. भगवद् गीता के जरिए वे बच्चों को अध्यातम से भी जोड़ रहे हैं और साथ ही, बच्चों के विचारों को बढ़ावा देकर उन्हें आत्म-विश्वासी बना रहे हैं.
उद्देश्य का मानना यह है की शिक्षा सिर्फ साक्षरता तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए बल्कि आगे भी जारी रहनी चाहिए. सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में स्थिति ऐसी है की ज्यादातर बच्चों को पता ही नहीं होता है कि उनके लिए जरूरी क्या है, और इन्हीं बातों से अंजान होकर न जाने कितने योग्य छात्र बहुत अवसरों से वंचित रह जाते हैं.
...बस चलते रहना है
उद्देश्य ने बताया कि उनका सफर आज भी आसान नहीं है. अभी भी उनको लोगों से धमकियां मिलती हैं और उनके बैनर भी फाड़ दिए जाते हैं. पर उनका कहना है कि वह इन सभी चीजों से डरेंगे नहीं और शिक्षा जगत में एक दिन जरुर क्रांति लाएंगे. उन्होंने आगे कहा कि उनका लक्ष्य अगले कुछ सालों में नई तकनीकों और बुनियादी ढांचे जैसे स्मार्ट क्लास, रोबोटिक्स लैब, बायोलॉजिकल लैब, स्पोर्ट्स कोर्ट जैसी हर सुविधा के साथ गुरुकुलम को तैयार करना है. यहां बच्चों को प्यार, देखभाल और प्रेरणा भी मिलती है और सबसे खूबसूरत बात यह है कि उद्देश्य हर एक छात्र को अपने बच्चे के रूप में मानते हैं.
गुरुकुलम- खुशियों वाला स्कूल- सैकड़ों छात्रों के सपनों और आशाओं का घर है, और उद्देश्य जैसे लोग इन सपनों को आकाश में ऊंची उड़ान भरने के लिए दिशा देते हैं. यह संगठन 'Each One, Adopt One' अभियान भी चला रहा है जिसके जरिए लोग छात्रों को एडॉप्ट कर सकते हैं जिसका मतलब है कि आप किसी एक बच्चे के लिए कम से कम 300 रुपए प्रति माह देकर उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी ले सकते हैं. अगर आप इस पहल से जुड़ना चाहते हैं तो 6388023523 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.
तस्वीरें- उद्देश्य सचान
रिपोर्ट- अकांक्षा वैभव