प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई के मरोल में दाउदी बोहरा समुदाय के अरबी अकादमी का उद्घाटन करेंगे. इस दौरान बोहरा समुदाय के लीडर डॉ सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन भी मौजूद रहेंगे. इस अकादमी का मूल परिसर गुजरात के सूरत में मौजूद है. जिस अल जामिया तुस सैफियाह अरबी अकादमी के कैंपस मुंबई में खुल रहा है, उसके बारे में बताते हैं.
अल जामिया तुस सैफियाह अरबी अकादमी-
अल्जामिया तुस सैफिया दाउदी बोहरा समुदाय का सबसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थान है. यह एक विश्वस्तरीय अरबी अकादमी है. यह शिक्षण संस्थान दो सदियों से भारत में काम कर रहा है. फिलहाल इसक अरबी अकादमी के संरक्षक डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन हैं. जिनके मार्गदर्शन में ये संस्थान चल रहा है. फिलहाल दुनिया में इसके 4 कैंपस हैं. यह अरबी अकादमी भारत, पाकिस्तान और केन्या में इस्लामी शिक्षा देता है.
अल जामिया तुस सैफियाह का इतिहास-
अल जामिया दाउदी बोहरा समुदाय की शैक्षणिक विरासत है. सबसे पहले साल 1810 में सूरत में इस अकादमी का परिसर स्थापित किया गया था. जिसे अब्दाली सैफुद्दीन ने बनाया था. इसके बाद कई बार इसमें बदलाव किया गया. ताहिर सैफुद्दीन और मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने इसमें बदलाव किया.
पहली बार लड़कियों को मिली थी इंट्री-
साल 1960 के दशक में 51वें दाई-अल-मुतलक ताहिर सैफुद्दीन ने इस अकादमी में धर्मनिरपेक्ष और वैज्ञानिक विषयों की शुरुआत की. उन्होंने ही इसे अल जामिया तुस सैफियाह नाम दिया था. उनके समय में ही इसमें पहली बार महिला छात्राओं को भी इंट्री मिली थी. जबकि मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने परिसर की इमारतों का फिर से निर्माण कराया था.
पाकिस्तान और केन्या में भी कैंपस-
साल 1969 में दाई-अल-मुतलक मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने पाकिस्तान के कराची में इसकी कैंपस की नींव रखी थी. पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद जिया उल हक ने 4 नवंबर 1983 को इसका उद्घाटन किया था. ये कैंपस 14 एकड़ में फैला है. साल 2011 में अल जामिया का कैंप केन्या में भी खोला गया. मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने नैरोबी में इसकी नींव रखी. जबकि इस कैंपस के निर्माण का काम बुरहानुद्दीन के बेटे और दाई-अल-मुतलक के वक्त में साल 2013 में पूरा हुआ. 14 एकड़ में फैले इस कैंपस का उद्घाटन 20 अप्रैल 2017 को केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा ने किया था.
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