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Labour to Doctor: दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले इस छात्र ने क्रैक किया NEET, 8 घंटे ढोते थे ईंटें ताकि परिवार की हो मदद

पश्चिम बंगाल में दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले 21 साल के सरफराज ने NEET का एंट्रेस एग्जाम क्लियर करके सभी छात्रों के लिए मिसाल पेश की है. सरफराज बहुत ही गरीब परिवार से हैं और लेकिन कोई भी मुश्किल उन्हें पढ़ने से नहीं रोक सकी.

21 years old labourer cracked NEET Entrance 21 years old labourer cracked NEET Entrance

स्कूल की पढ़ाई के बाद जब बच्चे IIT, NEET या CA-CS जैसे एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करते हैं तो माता-पिता क्या पड़ोसी-रिश्तेदार भी खुशी मनाते हैं. लेकिल आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे छात्र के बारे में जिसके NEET क्लियर करने की खुशी शायद पूरे देश को है. क्योंकि यह छात्र एक उम्मीद है कि जहां मेहनत और लगन हो वहां मुश्किलें कितनी ही हों सफलता जरूर मिलती है. यह कहानी है पश्चिम बंगाल के सरफराज की.

21 साल के सरफराज आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. दिहाड़ी-मजदूरी करके अपने परिवार का हाथ बंटाने वाले सरफराज ने जैसे-तैसे अपनी पढ़ाई जारी रखी और अब NEET की परीक्षा पास करके मिसाल पेश की है. आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन सरफराज के पास ज्यादा रिसॉर्स नहीं थे. बहुत ही मुश्किल से उन्होंने स्मार्टफोन की मदद से पढ़ाई की और इस फोन की स्क्रीन तक टूटी हुई थी.  

एग्जाम में हासिल किए 720 में से 677 अंक 
सरफराज ने MBBS में एडमिशन के लिए NEET एग्जाम में 720 में से 677 अंक हासिल किए. हालांकि, मजदूरी करते हुए NEET क्रैक करने का सफर सरफराज के लिए इतना आसान नहीं था. आपको बता दें कि, 'NEET एग्जाम देश के सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है. देश के लाखों युवा इस एग्जाम को क्रैक करके मेडिकल के क्षेत्र में जाने का सपना देखते हैं. लेकिन बहुत कम लोग अपने इस सपने को हकीकत में बदल पाते है.'

सरफराज ने फिजिक्स वाला कोचिंग सेंटर के फाउंडर अलख पांडे के साथ अपनी कहानी शेयर की है. सरफराज और उनका पूरा परिवार पीएम आवास योजना के तहत बने घर में रहता है. वह अपनी मां और छोटे भाई-बहन के पालन-पोषण के लिए अपने पिता के साथ दिहाड़ी-मजदूरी करते थे. महज 21 साल के सरफराज दिन में 8 घंटे की मजदूरी करते थे और रात में पढ़ाई. मजदूरी भी ऐसी-वैसी नहीं थी बल्कि एक दिन में वह 200 से 400 ईंटें अपनी पीठ पर ढोते थे. 

घर पर छत तक नहीं थी 
MBBS कोर्स में एडमिशन के लिए सरफराज के लिए जो सबसे बड़ी बाधा थी, वह थी पैसों की कमी. उसके पास पढ़ने के लिए ज्यादा रिसॉर्स नहीं थी. स्मार्टफोन की स्क्रीन भी टूटी हुई थी. सरफराज की मां का कहना है कि उनके घर पर छत तक नहीं पड़ी थी लेकिन सरफराज दिन-रात पढ़ाई करते थे. रात में सरफराज को कोई परेशानी न हो इसके लिए उनकी मां उनके साथ रातभर बैठी रहती थीं.

सरफराज जब 10वीं कक्षा में थे तब वह NDA जॉइन करना चाहते थे लेकिन हालातों के चलते उनका सपना पूरा न हो सकता. साल 2022 में पहले राउंड का एग्जाम क्लियर करने के बाद, इंटरव्यू से पहले एक हादसे के कारण उनका यह सपना पूरा नहीं हुआ. उसके बाद कोविड-19 महामारी के दौरान, उन्होंने अलख पांडे के यूट्यूब वीडियो और फिजिक्स वाला कोर्स से प्रेरित होकर अपना ध्यान NEET की तैयारी पर फोकस किया. 

अलख पांडे ने की मदद 
सरफराज ने NEET 2023 की परीक्षा भी पास की थी लेकिन पैसों की कमी के कारण उन्हें मेडिकल कॉलेज छोड़ना पड़ा. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कड़ी मेहनत के बदौलत NEET 2024 की परीक्षा पास की. इस बार उन्होंने कोलकाता के नील रतन सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया है. सरफराज का हौसला देख  फिजिक्स वाला के CEO अलख पांडे ने उनकी मदद करने की ठानी. 

उन्होंने सरफराज के घर जाकर उसे आर्थिक मदद देने की पेशकश की. अलख ने सरफराज को 5 लाख रुपये की मदद के साथ एक फोन भी गिफ्ट किया. अलख पांडे ने कहा, 'ये 5 लाख रुपये गिफ्ट नहीं है, लोन है. इसको भविष्य में किसी दूसरे जरूरतमंद सरफराज की मदद करके तुम्हें लौटाना है."

(ये स्टोरी नेहा मिश्रा ने लिखी है. नेहा Gnttv.com में बतौर इंटर्न काम कर रही हैं.)