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Late Night Study: देर रात तक पढ़ाई करना पड़ सकता है आप पर भारी, रटने से नींद पर ही नहीं सेहत पर भी पड़ता है असर

नींद की कमी का असर सिर्फ थकान और चिड़चिड़ापन तक ही सीमित नहीं है. नींद की कमी ध्यान, सतर्कता, एकाग्रता और प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल को खराब कर सकती है. अगर आप रटते समय कुछ सीख भी लेते हैं, तो हो सकता है कि आप एग्जाम के दौरान उस जानकारी को याद न रख पाएं.

Late night Study (Representative Image) Late night Study (Representative Image)
हाइलाइट्स
  • सीखने के लिए नींद जरूरी है 

  • देर तक जागने का नहीं है फायदा

किसी बड़े एग्जाम से पहले रात भर जागना और रटना ऐसा काम है जो लगभग हर बच्चे ने किया है. बच्चों की वजह से कई बार उनकी माएं भी जागती रहती हैं. हालांकि, कुछ लोग इस तरीके को प्रभावी मानते हैं और कुछ लोग नहीं. लेकिन क्या यह सचमें सीखने का एक प्रभावी तरीका है? 

इंडियन एक्सप्रेस ने इसको लेकर एक्सप्रेस की राय ली. उन्होंने इसके लिए पुणे में रूबी हॉल क्लिनिक के ट्रस्टी डॉ. साइमन ग्रांट से बात की. उनके मुताबिक, रटना आम तौर पर सीखने की एक अच्छी स्ट्रेटेजी नहीं है. अच्छी नींद के बिना, दिमाग आपकी यादों को देर तक याद नहीं रख पाता है. 

देर तक जागने का नहीं है फायदा 
पढ़ाई के लिए देर तक जागने से आपको थोड़ी देर के लिए कुछ चीजें याद रखने में मदद मिल सकती है, लेकिन यह आपको उस जानकारी को लंबे समय तक याद रखने में मदद नहीं करेगा. नींद की कमी की वजह से कई बार आप टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं. इसलिए, रटने से आपको जानकारी को बेहतर ढंग से याद रखने में मदद नहीं मिलती है. साथ ही इससे आपकी सोचने की शक्ति और किसी सवाल को हल करने की पावर भी कम होती है. 

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सीखने के लिए नींद जरूरी है 
नींद सिर्फ याददाश्त मजबूत करने के अलावा और भी बहुत कुछ के लिए जरूरी है. डॉ. साइमन ग्रांट के अनुसार, जब एक लंबे समय तक आप सीखने की कोशिश करते हैं तो वो बाद तक याद नहीं रहती है. बजाय उसके आपके लिए जरूरी है कि आप उसे समझने की कोशिश करें. जब आप रटते हैं, तो आप अपने दिमाग को कम समय में बहुत सारी जानकारी रखने के लिए मजबूर करने का प्रयास कर रहे होते हैं, जो कि दिमाग को काम करने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है.

देर तक जागने से आपकी सर्कैडियन रिद्म, नींद और जागने की नेचुरल साइकिल गड़बड़ हो सकती है. इस रिदम के खराब होने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. नींद की कमी बढ़ते तनाव, चिड़चिड़ापन और एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसे मूड डिसऑर्डर से जुड़ी है. 

नींद की वजह से हो सकता है चिड़चिड़ापन 
नींद की कमी का असर सिर्फ थकान और चिड़चिड़ापन तक ही सीमित नहीं है. डॉ. साइमन ग्रांट ने बताया कि नींद की कमी ध्यान, सतर्कता, एकाग्रता, तर्क और प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल को खराब कर सकती है. इसका मतलब यह है कि अगर आप रटते समय कुछ सीख भी लेते हैं, तो हो सकता है कि आप एग्जाम के दौरान उस जानकारी को याद न रख पाएं. 

नींद की कमी इम्यून सिस्टम को भी कमजोर कर सकती है, जिससे आपको अलग-अलग बीमारियां हो सकती हैं. समय के साथ, लगातार नींद की कमी से मोटापा और डायबिटीज जैसी समस्या हो सकती है. यह हार्मोन प्रोडक्शन को भी बाधित कर सकता है. 

कैसे कर सकते हैं बेहतर तरीके से याद 
रटने और नींद की कमी के सभी नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए, परीक्षा की तैयारी के कुछ बेहतर तरीके भी हैं- 

1. एग्जाम की तारीख से काफी पहले पढ़ाई शुरू करें. इससे आप बिना रटे सभी चीजें कवर कर पाएंगे.

2. अपने स्टडी सेशन को एक साथ न रखें. रुक-रुक कर पढ़ाई करें.

3. सुनिश्चित करें कि आप हर रात कम से कम 7-8 घंटे की नींद ले रहे हैं. यह आपके दिमाग को यादों को मजबूत करने में मदद करेगी.
  
4. बिना ब्रेक लिए घंटों तक पढ़ाई करने की कोशिश न करें. स्टडी सेशन के दौरान छोटे ब्रेक फोकस को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं.

5. हेल्दी डाइट लें, हर दिन व्यायाम करें और स्ट्रेस का मैनेजमेंट करें.

अगली बार जब आपकी कोई बड़ी परीक्षा आने वाली हो, तो याद रखें कि रात की अच्छी नींद उतनी ही जरूरी है जितना कि आप पढ़ाई में बिताया गया समय.