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ISC 12th Result : मुश्किलों में ढूंढी हिम्मत, पिता की नौकरी जाने के बाद भी बेटी ने नहीं मानी हार... पूरे भारत में हासिल किया तीसरा स्थान

मेहली के पिता एक बैटरी कारखाने में मजदूर के तौर पर काम करते थे, जोकि कई महीनों पहले बंद हो गया. पिता के बेरोजगार हो जाने के बाद भी बेटी ने पढ़ाई से मुंह नहीं मोड़ा.

मेहली घोष ने किया आईसीएसई 12वीं की परीक्षा में टॉप मेहली घोष ने किया आईसीएसई 12वीं की परीक्षा में टॉप
हाइलाइट्स
  • मेहली घोष ने किया आईसीएसई 12वीं की परीक्षा में टॉप

हिंदी में एक कहावत है " अगर लगन सच्ची और इरादे मजबूत हों तो सफलता जरूर आपके कदम चूमेगी " ऐसा ही कारनामा करके दिखाया है हुगली के डानकुनी की रहने वाली और श्रीरामपुर के होली होम स्कूल की छात्रा मेहली घोष ने. मेहली ने आईसीएसई 12वीं की परीक्षा में पूरे भारत में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. 

मेहली के पिता एक बैटरी कारखाने में मजदूर के तौर पर काम करते थे, जोकि कई महीनों पहले बंद हो गया. पिता के बेरोजगार हो जाने के बाद भी बेटी ने पढ़ाई से मुंह नहीं मोड़ा और पूरी लगन के साथ सालभर मेहनत की, जिसका फल आज मिल ही गया. 

डॉक्टर बनकर गांव वालों की सेवा करना चाहती है मेहली 

अपनी प्रतिभा और लगन के बदौलत हुगली की छात्रा ने पूरे भारत के मानचित्र पर बंगाल के हुगली जिले का नाम अंकित कर दिया. मेहली का सपना है कि वह एक दिन डॉक्टर बनकर अपने गांव के गरीब लोगों की सेवा करेगी. वह बताती है कि उसके घर से अच्छे डॉक्टर और अस्पताल लगभग 5 - 6 किलोमीटर दूर हैं और उसके गांव के गरीब लोगों के लिए इतनी दूर तक जाकर इलाज करवाना और डॉक्टर की फीस भरना काफी मुश्किल होता है . 

कारखाने में आग लगने की वजह से गई पिता की नौकरी
 
मेहली कहती है कि वह खुद डॉक्टर बनकर गांव की बेटी के रूप में गांव की लोगों की सेवा करना चाहती है. पिता अजीत घोष बंद कारखाने के श्रमिक और मां दीपा घोष एक साधारण गृहणी है . बीते साल उसके पिता जिस कारखाने में श्रमिक के रूप में काम कर रहे थे वह आग लगने की वजह से बंद हो गया, जिसके बाद पूरी परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. 

एक समय ऐसा भी आया जब मेहली की पढ़ाई लिखाई बंद होने को आई थी लेकिन, माता-पिता के प्रोत्साहन और मेहली के मजबूत इरादों ने इस अर्श से फर्श तक के सफर में उसे एक विजेता बनकर सामने ला खड़ा कर दिया. पिता ने बताया कि उनके पास थोड़ी बहुत खेती बाड़ी की जमीन है. जहां पर वह काम करके और बाहर में मेहनत मजदूरी करके अपने घर का खर्चा और बेटी का खर्चा उठाते हैं. बेटी ने भी आज पिता का नाम रौशन कर दिया है. 

(हुगली से भोलानाथ साहा की रिपोर्ट)

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