'हो गई हैं पीर पर्वत से पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए,'
दुष्यंत कुमार की लिखी ये पंक्तियां मधुबनी जिले के कलुआही स्थित एक स्कूल औऱ स्कूल प्रबंधन के लिए सटीक बैठती है. विषम परिस्थियों के बावजूद यहां के प्रधान शिक्षक ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिसे हर सरकारी स्कूल के प्रबंधन को सीखने की जरूरत है. बिहार के मधुबनी जिले के मलमल गांव में सरकारी विद्यालय के प्रधान शिक्षक धर्मेंद्र कुमार ने अपनी साफ नियत औऱ ईमानदार कोशिश के बदौलत इस स्कूल की कायापलट कर दी है.
उनकी बदौलत आज स्कूल में हर वह सुविधा मुमकिन है, जो जिले के कई प्राइवेट स्कूलों में भी नहीं है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कलुआही प्रखंड के इस सरकारी स्कूल कैंपस में जब आप आयेंगे, तो सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि कि किसी 5 स्टार स्कूल में तो नहीं आ गए हैं.
बच्चों के लिए शिक्षा को बनाया दिलचस्प
इस स्कूल में डिजिटल माध्यम से पढ़ाई होती है. स्कूल भवन में बच्चों को बेहतर और बुनियादी ज्ञान देने के लिए अच्छे-अच्छे सुविचारों के साथ-साथ वर्णमाला अंकित है. जिससे चित्रों के साथ बच्चों को आसानी से समझ आए. साथ ही, इनसे बच्चों को हर दिन स्कूल आने के लिए भी प्रेरणा मिले. सब जानते हैं कि दिल्ली के मुकाबले बिहार में शिक्षा बजट काफी कम है. इसके बावजूद इस स्कूल में हर विभाग की खूबसूरती झलकती है.
दीवारें खूबसूरत और रंगीन हैं. बच्चों के लिए अच्छे-अच्छे संदेश और दीवारों पर शिक्षा का नया पैटर्न यानी एबीसीडी से लेकर विभिन्न तरह की पढ़ाई सामग्री बनवाई गई है. बच्चों की ड्रेस बहुत ही सलीकेदार है. शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके भी एकदम अलग हैं. स्कूल में सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं. कैंपस को हरा-भरा रखने के लिए बागवानी पर भी जोर दिया जा रहा है.
स्वास्थ और स्वच्छता पर भी है जोर
पढ़ाई के साथ-साथ स्वास्थ्य और स्वच्छता पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है. प्रिंसिपल रूम में प्रवेश करते ही बच्चों के लिए साबुन बैंक, सेनेटरी पैड बैंक और तो और सेनेटरी पैड को डिस्ट्रॉय करने की मशीन भी स्कूल कैंपस में मौजूद है. स्कूल की व्यवस्था ऐसी है कि आसपास के रहने वाले सक्षम परिवार के बच्चे भी अब इस स्कूल का रुख करने लगे हैं.
हालांकि, सरकारी प्रतिबद्धता के कारण से सभी को पढ़ाना संभव नहीं है. क्योंकि हर गांव में एक स्कूल है. स्कूल के क्लास रुम में एक बड़ा-सा टीवी मॉनिटर है, जहां डिजिटल माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी जाती है. स्कूल के प्रधान शिक्षक धर्मेंद्र कुमार ने अपने निजी पैसे से और कुछ चंदा इकट्ठा करके स्कूल को इतना आगे बढ़ाया है. धर्मेंद्र कुमार चाहते हैं कि यह स्कूल न सिर्फ जिले में बल्कि प्रदेश और देश में अपनी मौजुदगी दर्ज कराए.
(अभिषेक कुमार झा की रिपोर्ट)