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महाराष्ट्र में Mission Zero Dropout में जुटे टीचर्स, छात्रों को स्कूल तक लाने में हो रही दिक्कत

Mission Zero Dropout: महाराष्ट्र में शिक्षा विभाग ने दो हफ्ते का मिशन जीरो ड्रॉप आउट चलाया है. जिसके तहत छात्रों को स्कूल तक लाने की कोशिश की जा रही है. टीचर्स कंस्ट्रक्शन साइट, फ्लाईओवर के नीचे और झुग्गी-झोपड़ियों में बच्चों को ढूंढ रहे हैं और उनको स्कूल तक ला रहे हैं.

महाराष्ट्र में मिशन जीरो ड्रॉप आउट शुरू महाराष्ट्र में मिशन जीरो ड्रॉप आउट शुरू
हाइलाइट्स
  • महाराष्ट्र सरकार का मिशन जीरो ड्रॉप आउट

  • छात्रों को स्कूल तक लाने में जुटे टीचर्स

मुंबई में बीएमसी स्कूल के टीचर्स मिशन जीरो ड्रॉप आउट को पूरा करने में जुटे हैं. रामराव पवार और विद्या चौधरी अपने सारे काम खत्म करने के बाद अपने मिशन पर निकल पड़ते हैं. जगह-जगह जाते हैं और स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को ढूंढते हैं. इन बच्चों को स्कूल, कॉलेजों में दाखिला दिलाते हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 49 साल के रामराव पवार इतिहास और मराठी के टीचर हैं. जबकि विद्या चौधरी एक बाल रक्षक हैं. रामराव पवार वकोला के माध्यमिक विद्या मंदिर में पढ़ाते हैं.
5 जुलाई से लगातार दोनों तीन घंटे तक स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को ढूंढते हैं. कंस्ट्रक्शन साइट, फ्लाईओवर के नीचे, झुग्गी-झोपड़ियों में जाते हैं और बच्चों को ढूंढते हैं. इनका काम सिर्फ बच्चों की तलाश करना ही नहीं है. ये दोनों बच्चों को स्कूलों में दाखिला भी दिलाते हैं. रामराव और विद्या बच्चों के माता-पिता को समझाते हैं और बच्चों को स्कूल भेजने के लिए राजी करते हैं. रामराव पवार अकेले नहीं हैं, जो बच्चों को ढूंढने का काम करते हैं. पूरे प्रदेश में ऐसे करीब 7000 टीचर हैं, जो मिशन जीरो ड्रॉप आउट का हिस्सा हैं. सरकार ने दो हफ्ते का मिशन चलाया है. जिसके तहत बच्चों को स्कूल तक लाना है. मिशन जीरो ड्रॉप आउट 20 जुलाई तक चलेगा.
रामराव पवार पिछले 4 साल से इस मिशन के लिए काम करते हैं. इस साल अब तक अपने स्कूल में 8 बच्चों का दाखिला करा चुके हैं. उनका कहना है कि इन बच्चों को स्कूल में लाना मुश्किल है. इसके लिए उनकी समस्याओं को समझना, उनके माता-पिता को समझाना पड़ता है. इस साल अब तक मुंबई वेस्ट जोन से 37 बच्चों का दाखिला हुआ है. जबकि नॉर्थ जोन से 44 बच्चे और साउथ जोन से 154 बच्चों को स्कूल लाया गया है. इसमें से ज्यादातर का एडमिशन हो गया है और जो बाकी हैं उनका भी एडमिशन हो जाएगा.

क्या है मिशन जीरो ड्रॉप आउट-
जीरो ड्रॉपआउट अभियान शिक्षा विभाग ने चलाया है. जो दो हफ्ते तक चलेगा. 20 जुलाई को इस अभियान का आखिरी दिन है. इसका मकसद ड्रॉप आउट बच्चों की पहचान करना है और उनको स्कूल तक लाना है. इस मिशन में कई सारे टीचर, शिक्षा अधिकारी, स्वास्थ्य अधिकारी, सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग शामिल है. ज्यादातर बच्चों ने कोरोना के असर के चलते स्कूल छोड़ दिया. कई बच्चे परिवार की आर्थिक हालत खराब होने की वजह से स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो गए. अब इन छात्रों को वापस स्कूल लाया जा रहा है.

छात्रों की होगी वापसी-
साल 2021 के डाटा के मुताबिक 25204 बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया था. इसमें से 17397 बच्चों की उपस्थिति कोरोना के चलते प्रभावित हुई. जबकि 7806 बच्चे कभी स्कूल नहीं गए. जीरो ड्रॉप आउट अभियान शुरू होने से छात्रों के स्कूल आने की उम्मीद बढ़ गई है.

मिशन में आ रही बाधाएं-
एजुकेशन इंस्पेक्टर वैशाली शिंदे ने बताया कि इस मिशन में शामिल कई सदस्यों को बच्चों के एडमिशन करवाने में दिक्कतें आ रही हैं. क्योंकि ज्यादातर छात्रों ने फीस नहीं चुकाने की वजह से स्कूल छोड़ा है. परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने की वजह से फीस नहीं चुका पाए. जबकि कुछ छात्र दस्तावेज नहीं होने की वजह से स्कूल नहीं आ रहे हैं. कई छात्रों ने स्कूल छोड़ते वक्त ट्रांसफर सर्टिफिकेट नहीं लिया. जिसकी वजह से दूसरे स्कूल में उनका एडमिशन होने में दिक्कत आ रही है.

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