मध्य प्रदेश का मंडला जिला देश का पहला पूर्ण कार्यात्मक आदिवासी साक्षर जिला बन गया है. 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने इसकी घोषणा की है. ध्वजारोहण के समय उन्होंने मंडला को पहला पूर्ण कार्यात्मक आदिवासी साक्षर जिला घोषित किया. उन्होंने इसके लिए मंडला के लोगों और जिला प्रशासन को बधाई भी दी.
मंडला कलेक्टर की मेहनत लाई रंग
दरअसल, मंडला कलेक्टर हर्षिका सिंह बहुत पहले से मंडला को साक्षर बनाने की कोशिश कर रही हैं. इस काम के लिए उन्होंने अपने अधीनस्थ अमले के साथ- साथ गांवों के पढ़े लिखे लोगों को भी जोड़ा. इसके लिए कई नवाचार किए गया. जनपद पंचायत, आंगनबाड़ी, टोलो आदि में निरक्षर लोगों को हिंदी के अक्षर और गिनती लिखना व सिखाने का काम भी शुरू किया गया.
जिले के सभी लोग पढ़ लिख सकते हैं
मंडला कलेक्टर हर्षिका सिंह का दावा है कि अब मंडला पूर्ण रूप से कार्यात्मक साक्षर जिला बन गया है. इसका मतलब यह हुआ कि यहां के सभी लोग अब अपना नाम लिख सकते है और गिनती लिखना व पढ़ना जानते हैं. ऐसा करने वाला मंडला पहला आदिवासी जिला बन गया है. अब इसके आगे भी लोगों को पढ़ना- लिखना सिखाने का सिलसिला जारी रहेगा. फिलहाल मंडला साक्षरता के पहले पायदान को पार कर गया है.
पहला आदिवासी जिला जहां सब पढ़े-लिखे हैं
कलेक्टर हर्षिका सिंह कहती हैं, "आज से 2 साल पहले मंडला में "निरक्षरता से आजादी" अभियान की शुरूआत की गई थी. इसका मकसद यह था कि हम अपने निरक्षर साथियों को साक्षर बना सकें. अब मंडला जिला के लोगों को बुनियादी अक्षर का ज्ञान है. वो अपना नाम लिख सकते हैं और गिनती कर सकते हैं. पिछले आंकड़ों के हिसाब से मंडला ऐसा करने वाला पहला आदिवासी जिला बन गया है.”
वहीं, इस मौके पर मंडला के प्रभारी मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “मंडला आदिवासी जिला है. हमें काफी खुशी है कि जिला प्रशासन ने एक अच्छा काम किया है कि मंडला के लोगों को साक्षर किया है. इसके लिए मैं सभी को बधाई देता हूं.”
(सईद जावेद अली की रिपोर्ट)