scorecardresearch

Bringing Children Back to School: कहीं पैसे तो कहीं थेरेपी डॉग्स… बच्चे छुट्टी न मारें, स्कूल कर रहे अलग-अलग उपाय 

चर्चिल वेलनेस सेंटर एक सफल प्रोग्राम है. वेल्स के दूसरे स्कूलों से यहां की अटेंडेंस ज्यादा है. इस सफलता में टेडी नामक कुत्ते की बड़ी भूमिका है. इसे छात्र काफी पसंद कर रहे हैं. टेडी को एक थेरेपिस्ट के साथ सेंटर में लाया जाता है. थेरेपी डॉग सेशन बच्चों को खुलने में काफी मदद करता है.

Students (Representative Image) Students (Representative Image)
हाइलाइट्स
  • स्कूल में खुले वेलनेस सेंटर

  • मेंटल हेल्थ है एक बड़ा विषय 

बचपन में स्कूल जाना भला किसको पसंद होता है? ठीक इसी से इंग्लैंड और वेल्स के स्कूल भी जूझ रहे हैं. कोविड-19 के बाद से स्कूल में बच्चों की उपस्थिति लगातार कम हो रही है. लेकिन उन्हें स्कूल में बुलाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जा रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 1.5 लाख से ज्यादा बच्चों ने स्कूल से छुट्टी मारी थी. वे आधे से ज्यादा सेशन में एब्सेंट रहे. इसी को कम करने के लिए असामान्य तरीकों को अपनाया जा रहा है. 

इन स्कूलों में वेलनेस सेंटर से लेकर थेरेपी डॉग, गिफ्ट्स और स्पेशल प्रोग्राम तक शामिल हैं, जिनके जरिए शिक्षक छात्रों को यह महसूस कराने का प्रयास कर रहे हैं कि स्कूल एक अच्छी और वेलकमिंग जगह है. 

स्कूल में वेलनेस सेंटर
गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, मैरी इमैक्युलेट हाई स्कूल में एक बड़ी पहल की शुरुआत हुई है. इस स्कूल ने गर्मियों में चर्चिल वेलनेस सेंटर की शुरुआत की है. यह वेलनेस सेंटर नॉर्मल स्कूल बिल्डिंग जैसे नहीं हैं, इसमें लैंप, गलीचे और एक खुली लेआउट है, जो इसे घर जैसा माहौल दिया जाता है. इसे कार्डिफ काउंसिल द्वारा फंड किया गया है. इसमें करीब £1.7 मिलियन लगे हैं.

सम्बंधित ख़बरें

नादिया यासीन, जो स्कूल के सपोर्ट प्रोग्राम "द ब्रिज" चलाती हैं, मानती हैं कि ऐसा माहौल एक बड़ा बदलाव ला सकता है. वे स्कूल के 900 छात्रों में से 200 के साथ काम करती हैं. नादिया कहती हैं, "जिन छात्रों की उपस्थिति पहले कम थी, अब वे नियमित रूप से, समय पर और खुशी-खुशी आ रहे हैं. यह बहुत जरूरी है क्योंकि अगर वे किसी जगह से नफरत करते हैं तो वे सीख नहीं पाएंगे."

चर्चिल वेलनेस सेंटर एक सफल प्रोग्राम है. वेल्स के दूसरे स्कूलों से यहां की अटेंडेंस ज्यादा है. नादिया ने इस सफलता में टेडी नामक लैब्राडूडल कुत्ते की भूमिका को भी काफी जरूरी बताया है. इसे छात्र काफी पसंद कर रहे हैं. टेडी को एक थेरेपिस्ट के साथ सेंटर में लाया जाता है. थेरेपी डॉग सेशन बच्चों को खुलने में काफी मदद करता है. नादिया कहती हैं, "बच्चों को कुत्ता बहुत पसंद है, वे टेडी के साथ घूमते हैं, थेरेपिस्ट से बात करते हैं और फिर अक्सर अपनी परेशानियां भी शेयर करते हैं.” 

बच्चों को दिए जाते हैं प्राइज और गिफ्ट्स 
बहुत से स्कूलों ने प्राइज और गिफ्ट्स भी शामिल किए हैं. ब्रैडफोर्ड में साउथमेयर प्राइमरी अकेडमी ने एक टियर्ड रिवॉर्ड सिस्टम लागू किया है, जिसमें सौ फीसदी उपस्थिति के लिए £20 के वाउचर जैसी सुविधा दी जा रही है. इसके अलावा, साल के आखिर में एक नई साइकिल जीतने के लिए ड्रा आयोजित किया जाता है. ये उन्हें दी जाती है जो पूरे साल स्कूल आए हैं. 

पिछले साल, सलफोर्ड में एलेस्मेयर पार्क हाई स्कूल ने छात्रों के लिए समय पर पहुंचने पर पुरस्कारों की घोषणा की थी. ये प्राइज सप्ताह के आखिर तब बढ़ती जाती है. 

मेंटल हेल्थ है एक बड़ा विषय 
ठीक ऐसे ही वहीं के स्कूल में इवोल्व नाम का एक प्रोग्राम शुरू किया है. रॉबर्ट बेल स्कूल में हर दिन की शुरुआत 30 मिनट के "फिट टू लर्न" सेशन के साथ की जाती है. इस समय में, छात्र अपनी चिंताओं या उनके साथ जो भी परेशानी है उसे शेयर करते हैं. इस पहल से बच्चों की अटेंडेंस में 79% का सुधार देखा गया है.

स्कूल के मुताबिक, मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता देना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. इवोल्व हर साल तीन मेंटल हेल्थ प्रोग्राम भी आयोजित करता है, जिसमें छात्रों और उनके परिवारों को मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मिलने का मौका मिलता है. इस सेशन में पूरे परिवार को एक साथ बैठाया जाता है, जिसमें माता-पिता, भाई-बहन, यहां तक कि दादा-दादी भी शामिल हैं. 

स्कूल पहुंचाने के लिए टैक्सी की व्यवस्था 
कुछ परिवारों के लिए, स्कूल न जाना एक पीढ़ीगत समस्या है. उन बच्चों के माता-पिता और यहां तक कि दादा-दादी ने भी स्कूल में नियमित उपस्थिति नहीं दर्ज की है. एडस्टार्ट स्कूल्स के प्रिंसिपल केविन बुकानन ने बताया कि उनके प्रोग्राम में स्कूल से हर दिन 7:30 बजे फोन कॉल किया जाता है और साथ ही स्कूल पहुंचाने के लिए एक टैक्सी की भी व्यवस्था की जाती है.