राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस (National Statistics Day) हर साल 29 जून को दिवंगत प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस की जयंती के रूप में मनाया जाता है. देश की आजादी के बाद, आर्थिक नियोजन और सांख्यिकीय विकास के क्षेत्र में प्रोफेसर महालनोबिस ने बहुत योगदान दिया.
सांख्यिकी (Statistics) को गणित का विशेष अंग माना जाता है. यह व्यापक सर्वेक्षणों की गणना के लिए सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नीतियां बनाने और सामाजिक-आर्थिक योजना में सांख्यिकी के महत्व के बारे में देश के युवाओं में जागरूकता फैलाने के लिए यह दिन मनाया जाता है.
प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने बनाया फॉर्मूला:
भारत सरकार ने दिवंगत प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाने का फैसला किया. महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को कलकत्ता में हुआ था और उन्हें भारतीय सांख्यिकी के जनक के रूप में जाना जाता है. कई आयामों में माप के आधार पर, उन्होंने एक बिंदु और वितरण के बीच की दूरी को खोजने के लिए एक सूत्र का आविष्कार किया जिसे 'महलनोबिस दूरी' कहा जाता है. क्लस्टर एनालिसिस और क्लासिफिकेशन के सेक्टर में इस फॉर्मूला का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.
महालनोबिस भारत के पहले योजना आयोग (first Planning Commission of India) के सदस्य भी थे. 1950 में, उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना की. पहला राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2007 में मनाया गया था.
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस का महत्व:
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस, सरकार द्वारा नामित, राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली की स्थापना में महलोनोबिस के अमूल्य योगदान को याद रखने के लिए मनाया जाता है. यह दिन जनता में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है और देश के विकास में आंकड़ों की अहमियत के बारे में युवाओं को प्रेरित करता है.
इस दिन, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation/MoSPI) शोध कार्यों को सम्मानित करता है और सांख्यिकी के क्षेत्र में कुछ युवा प्रतिभाओं को पहचान दी जाती है.