scorecardresearch

NCERT draft module for transgender students: ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए जारी हुआ नया ड्राफ्ट मॉड्यूल, जेंडर-न्यूट्रल यूनिफॉर्म से लेकर सेफ वॉशरूम तक के सुझाव

एनसीईआरटी ने ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए एक ड्राफ्ट मैनुअल जारी किया है. मैनुअल का शीर्षक "Integrating Transgender Concerns in Schooling Processes" है.

NCERT NCERT
हाइलाइट्स
  • जेंडर न्यूट्रल हो यूनिफॉर्म

  • स्टाफ की हायरिंग में न हो भेदभाव

नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने ट्रांसजेंडर छात्रों की चुनौतियों को अहमियत देते हुए हुए स्कूल स्टाफ के लिए एक नया ड्राफ्ट मॉड्यूल जारी किया है. नये मॉड्यूल में स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा इन्क्लुशिव वातावरण बनाने पर जोर दिया गया है. और समावेशी वातावरण कैसे बनाएं, इसके तरीके सुझाए गए हैं. कुछ सुझावों में नियमित वर्कशॉप, आउटरीच कार्यक्रम और जेंडर-न्यूट्रल स्कूल यूनिफॉर्म शामिल हैं. 

"इंटीग्रेटिंग ट्रांसजेंडर कंसर्न्स इन स्कूलिंग प्रोसेसेस" (Integrating Transgender Concerns in Schooling Processes) शीर्षक वाले मॉड्यूल को ट्रांसजेंडर्स की परेशानियों को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय से जुड़े मिथकों को दूर करना है.

जेंडर न्यूट्रल हो यूनिफॉर्म
मॉड्यूल में कई सुझावों में से एक विशेष सुझाव है कि स्कूलों में जेंडर न्यूट्रल यूनिफॉर्म शुरू करनी चाहिए, जो किसी विशेष लिंग के अनुरूप नहीं है. इसमें कहा गया है कि कक्षा छह और उसके बाद के कुछ छात्रों की स्कूल यूनिफॉर्म सहित कपड़ों के लिए अलग-अलग प्राथमिकताएं होती हैं और हो सकता है कि वे किसी विशेष पोशाक में सहज महसूस नहीं करें. मॉड्यूल में आगे कहा गया है कि कई स्कूलों में छात्र पहले से ही पैंट और शर्ट पहनते हैं जो न केवल आरामदायक होते हैं बल्कि किसी भी लिंग के अनुरूप होते हैं. 

इन चुनौतियों का सामना करते हैं ट्रांसजेंडर
ड्राफ्ट मॉड्यूल में कुछ चुनौतियों के बारे में लिखा गया है जिनका सामना ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को स्कूलों में करना पड़ता है. इनमें भावनात्मक, शारीरिक और व्यवहार संबंधी आघात शामिल हैं जैसे अपनी खुद की सेक्शुअलिटी के साथ समझौता करना, वॉशरूम और यूनिफॉर्म का यूज, मजाक, धमकी, यौन शोषण और छेड़छाड़ आदि. 

इन मुद्दों को संबोधित करने और ऐसे छात्रों को चुनौतियों से उबरने में मदद करने के लिए, मॉड्यूल में सुझाव दिया गया है कि लैंगिक विविधता (Gender Diversity) टॉपिक पर पैरेंट्स-टीचर मीटिंग्स के माध्यम से आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं. साथ ही, जबकि जेंडर-अफर्मिंग प्रैक्टिस और नीतियों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए रेगुलर वर्कशॉप आयोजित की जानी चाहिएं. 

स्टाफ की हायरिंग में न हो भेदभाव
इस मॉड्यूल में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि विभिन्न टीचिंग, नॉन-टीचिंग और हाउसकीपिंग स्टाफ की नियुक्ति में लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. मॉड्यूल आवेदन पत्र में और शैक्षणिक संस्थानों में कोर्सेज के लिए सभी प्रमाणपत्रों में ट्रांसजेंडर केटेगरी को शामिल करने का सुझाव भी दिया गया है. 

मॉड्यूल में कहा गया है कि स्कूलों में रैगिंग, डराने-धमकाने और बाल यौन शोषण को संबोधित करने के लिए गठित निकायों या समितियों में एक और शब्द - "लिंग आधारित उल्लंघन को रोकना" भी शामिल होना चाहिए. यह सुझाव देता है कि ऐसी समितियों में शिक्षकों और स्कूल काउंसलर्स के साथ-साथ ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग भी शामिल हो सकते हैं.