नीट एग्जाम (NEET Exam) को लेकर देशभर में हंगामा हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बेशक 1563 अभ्यार्थियों (जिन्हें Grace Marks मिले हैं) के एग्जाम दोबारा कराने के लिए कहा है. लेकिन बिहार पुलिस की जांच का क्या? जो कहती है कि नीट का पेपर लीक हुआ था. बिहार पुलिस इस मामले की लगातार जांच कर रही है. लेकिन केंद्र सरकार ने पेपर लीक को लेकर अपनी स्थिति साफ कर दी है. जो पेपर बिहार पुलिस ने बरामद किए हैं, अभी तक ये ही साफ नहीं हो पाया है कि क्या वो लीक पेपर था या नहीं? क्योंकि इसको लेकर NTA ने कोई जवाब नहीं दिया है.
बिहार पुलिस का क्या कहना है-
ये पेपर बिहार में एमपी और गुजरात से आया था. सूत्रों की मानें तो पेपर ट्रांसपोर्टेशन के दौरान लीक हुआ. बिहार पुलिस को जले हुए Leak प्रश्न पत्र भी मिले हैं. जिसको एनटीए की तरफ से अभी तक कंफर्म नहीं किया गया है. इसके अलावा गैंग के कुल 13 लोगों को अरेस्ट किया जा चुका है. गिरफ्तार लोगों में कुछ Candidates, Candidates के परिजन और दलाल शामिल हैं. कई आरोपियों का कबूलनामा पुलिस के पास है. कैसे बिहार पुलिस ने पहले एक, फिर दूसरे और फिर तीसरे को गिरफ्तार किया ? चलिए आपको बताते हैं.
कैसी हुई आरोपियों की गिरफ्तारी-
बिहार पुलिस ने सबसे पहले सिकंदर को पकड़ गया. उसके बारे में पुलिस को इनपुट मिला था. आरोपियों ने कई सेंटरों और सेफ हाउस में पेपर सॉल्वर बिठाए थे. इनके पास पहले से ही प्रश्नपत्र मौजूद थे. जूनियर इंजीनियर सिकंदर प्रसाद यादवेंदु को अखिलेश और बिट्टू के साथ शास्त्रीनगर पुलिस ने बेली रोड पर राजवंशी नगर मोड़ पर नियमित जांच के दौरान गिरफ्तार किया. इनके पास से कई एनईईटी प्रवेश पत्र मिले थे. यादवेंदु के बताए गए इनपुट के आधार पर छापेमारी के बाद आयुष, अमित और नितिश को गिरफ्तार किया गया. कथित लीक में बिहार के नालंदा के संजीव सिंह को गिरफ्तार किया गया. गिरोह ने संदिग्ध शैक्षिक परामर्श और कोचिंग केंद्रों के माध्यम से छात्रों से संपर्क किया था. गिरफ्तार आरोपियों में से एक अमित आनंद खुद पटना में एक एजुकेशनल कंसल्टेंसी चलाता था.
क्या ये सिद्ध हुआ कि लीक पेपर ही बरामद हुआ था?
बिहार पुलिस की जांच में सामने आया कि प्रश्न पत्र विभिन्न राज्यों में एनटीए के नोडल स्थानों में प्रिंटिंग फर्म से एकत्र किए जाते हैं, जहां से उन्हें स्थानीय बैंकों को भेजा जाता है. जहां से पेपर परीक्षाओं से पहले केंद्रों पर भेजे जाते हैं. बिहार की आर्थिक अपराध इकाई की जांच से पता चला है कि प्रश्न पत्रों की आवाजाही में शामिल एजेंसियों के कर्मचारियों ने ट्रांसपोर्टेशन के दौरान पेपर लीक किया है. बिहार की आर्थिक अपराध इकाई की जांच से संकेत मिलता है कि यह वही गिरोह है, जो बीपीएससी टीआरई 3.0 से संबंधित प्रश्न पत्र लीक करने में शामिल था.
हर उम्मीदवार से लिए गए 30 से 32 लाख रुपए-
अभ्यर्थियों को सेफहाउस में उत्तर देने के लिए कहा गया, जहां से उन्हें एस्कॉर्ट के साथ सीधे उनके केंद्रों पर भेजा गया. हर उम्मीदवार से 30 लाख से 32 लाख रुपये लिए गए. विशेष रूप से दो उम्मीदवारों के माता-पिता पहले से ही सांठगांठ के संचालकों को जानते थे और परीक्षा से पहले सेफहाउस में छात्रों को इकट्ठा करने में सहायक थे. ऐसे उम्मीदवारों को आमतौर पर अन्य उम्मीदवारों की तुलना में कम भुगतान करना पड़ता है. EOU का मानना है कि केवल एक ही नोड नेक्सस का पता लगाया है, जहां करीब एक दर्जन गुर्गों की तरफ से करीब पांच उम्मीदवारों को मदद की गई थी.
बिहार पुलिस के पास आरोपियों का कबूलनामा-
बिहार पुलिस के पास NEET 2024 का पेपर लीक करने वाले इन दोषियों का कबूलनामा दर्ज है. आरोपियों ने कबूल किया है कि उन्होंने एक दिन पहले ही पेपर लीक किया था. पुलिस को शक है कि पेपर लीक का यह रैकेट कई करोड़ का है, फिलहाल 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. बिहार पुलिस का यह भी दावा है कि एनटीए को इस लीक के बारे में मई में ही अवगत करा दिया गया था. फिर वे कैसे आगे बढ़े और नतीजे जारी कर दिए?
बिहार पुलिस का कहना है कि आरोपियों से पहले ही आपत्तिजनक दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर लिए हैं. जांच से पता चला है कि 5 मई की परीक्षा से पहले लगभग 35 उम्मीदवारों को NEET-UG के प्रश्नपत्र और उत्तर उपलब्ध कराए गए थे.
लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि पेपर लीक नहीं हुआ है तो फिर बिहार की जांच क्या इशारा कर रही है? अभी भी कई सवाल हैं, जिनका जवाब आने वाले वक्त में मिलेगा या नहीं, कुछ नहीं कहा जा सकता है. इस साल NEET UG के लिए रिकॉर्ड 23 लाख अभ्यर्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिनमें 10 लाख से अधिक लड़के, 13 लाख से अधिक लड़कियां और 24 छात्र 'थर्ड जेंडर' के तहत रजिस्टर्ड थे.
(आदित्य वैभव के साथ पटना से चिराग गोठी की रिपोर्ट)
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