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Holistic Progress Card: सिर्फ मार्क्स या ग्रेड नहीं तय करेंगे बच्चे की काबिलियत का पैमाना, अब स्कूलों में लागू होगा नया रिपोर्ट कार्ड, जानिए इसके बारे में

Holistic Progress Card छात्रों के मूल्यांकन का नया रूप है जिसे NEP 2020 के सुझावों के तहत तैयार किया गया है. इसमें बच्चे के मार्क्स या ग्रेड्स के आधार पर उसका मूल्यांकन नहीं किया जाएगा.

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हाइलाइट्स
  • हर स्टेज के लिए अलग है मूल्यांकन कार्ड 

  • माता-पिता और सहपाठियों का भी होगा महत्व

स्कूल के शिक्षकों से मिले अंकों और ग्रेड पर निर्भर पारंपरिक मूल्यांकन विधियों से हटकर राष्ट्रीय शैक्षिक और अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने एक नया "समग्र" रिपोर्ट कार्ड पेश किया है जिसमें माता-पिता, सहपाठियों और यहां तक ​​​​कि छात्र खुद भी अपनी पूरी प्रोग्रेस का स्व-मूल्यांकन (Self-evaluation) करेंगे.

PARAKH, एनसीईआरटी के तहत एक मानक-निर्धारण निकाय है जिसने फाउंडेशनल स्टेज (कक्षा 1 और 2), प्रीपरेटरी स्टेज (कक्षा 3 से 5) और मिडिल स्टेज (कक्षा 6 से 8) के लिए समग्र प्रगति कार्ड (Holistic Progress Card) तैयार किया है और वर्तमान में सेकंडरी स्टेज के लिए रिपोर्ट कार्ड विकसित करने पर काम कर रहा है. NCERT ने सभी राज्यों से या तो HPC को पूरी तरह से या अपनी जरूरतों के हिसाब से ढालकर इसे अपनाने के लिए कहा है.

अंक नहीं होंगे छात्रों की काबिलियत का पैमाना
परंपरागत रूप से, स्कूलों में मूल्यांकन मुख्य रूप से साल के अंत की परीक्षाओं पर केंद्रित रहा है, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से शिक्षकों पर आती है. HPC, मूल्यांकन को ज्यादा "लर्नर-सेंट्रिक" बनाने के लिए स्कूल शिक्षा के लिए नेशनल कर्रिकुलम फ्रेमवर्क (NCFSE) की सिफारिशों के हिसाब से तैयार किया गया है.

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इसमें सिर्फ बच्चे की पढ़ाई पर फोकस नहीं किया जाता है बल्कि पढ़ाई के साथ-साथ अलग-अलग कौशल और दक्षताओं पर ध्यान दिया जाता है. इसका उद्देश्य न केवल छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन बल्कि कक्षा गतिविधियों के दौरान उनकी संज्ञानात्मक (Cognitive), सामाजिक-भावनात्मक क्षमताओं (Social-emotional Abilities) और रचनात्मकता (Creativity) को भी ट्रैक करना है. 

HPC के जरिए मूल्यांकन अंको में नहीं बल्कि डिस्क्रिप्टिव यानी विस्तार में होता है, जहां छात्र सक्रिय भागीदार होते हैं. प्रत्येक बच्चा न केवल अपने बल्कि अपने सहपाठियों के प्रदर्शन का भी मूल्यांकन करने में सक्षम होगा. NEP 2020 के अनुसार, HPC छात्रों की ताकत और सुधार के क्षेत्रों के बारे में कम्यूनिकेट करके उनकी आत्म-जागरूकता (Self-awareness) और आत्म-सम्मान (Self-esteem) बढ़ाने का एक साधन है.

हर स्टेज के लिए अलग है मुल्यांकन कार्ड 
पढ़ाई की हर एक स्टेज पर छात्रों के लिए मूल्यांकन कार्ड अलग-अलग होगा. इसके जरिए छात्रों के पूरे व्यक्तित्व पर काम किया जा सकता है. हर एक छात्र किसी भी एक्टिविटी के बाद खुद अपनी प्रोग्रेस को चेक कर सकते हैं जैसे उन्हें जो कार्ड दिया जाएगा उसमें वे इस तरह के स्टेटमेंट्स को चुन सकते हैं, जैसे "मैं कुछ नया कर पाया" या "मैंने किसी तह दूसरों की मदद की." कक्षा 1 से कक्षा 8 तक सभी बच्चों के लिए 'Student's Self-Reflection' प्रोग्रेस कार्ड का हिस्सा है. 

मिडिल स्टेज में (कक्षा 6 से कक्षा 8) में, छात्रों को अपने खुद के पर्सनल और अकादमिक गोल्स और इन्हें पूरा करने की टाइमलाइन तेय करने प्रोत्साहित किया जाता है. छात्र प्रोग्रेस कार्ड में ये भी बता सकते हैं कि उनकी अलग-अलग फील्ड के टीचर्स से क्या अपेक्षाएं हैं और कहां आपको उनकी जरूरत है. इस स्टेज के लिए एचपीसी में एक "एम्बिशन कार्ड" भी शामिल है जहां एक छात्र बता सकता है कि उसे एक साल में क्या अचीव कर सकता है और उन क्षेत्रों का उल्लेख कर सकता है जहां उसे सुधार करना होगा. 

माता-पिता और सहपाठियों का भी होगा महत्व
सबसे दिलचस्प यह होगा कि HPC माता-पिता को बच्चे की सीखने की प्रक्रिया का अभिन्न अंग मानता है और उनकी भी इसमें बराबर की भागीदारी होगी. इसमें माता-पिता के इनपुट जैसे होमवर्क करने की क्षमता, कक्षा में पाठों का पालन करना और यहां तक ​​कि घर पर पढ़ाई के साथ स्क्रीन समय को बैलेंस करने की छात्र की क्षमता भी शामिल होगी.

इस नई मूल्यांकन प्रक्रिया में सहकर्मी यानी कि बच्चे के सहपाठी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. कक्षा की एक्टिविटी के अंत में, हर एक छात्र को यह बताना होगा कि क्या उनके साथी छात्र सीखते हुए अपने सभी टास्क पूरे कर रहे थे. हर एक छात्र को प्रोग्रेस के डिस्क्रिप्टिव इंडीकेटर्स में से विकल्प चुनने होंगे. जैसे कि सहपाठी "गतिविधि को समझने में सक्षम थे", "गतिविधि में मेरा या शिक्षक का सपोर्ट कर रहे थे" या "गतिविधि की सफलता में योगदान करने में सक्षम थे."