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NMC ने MBBS कोर्स में किए कई बड़े बदलाव...जानिए कितना बदल जाएगा सिलेबस?

MBBS में सीटों की वंद्धि के साथ पाठ्यक्रम को लेकर कई सारे बदलाव किए गए हैं. छात्रों को विषय की बारिकी को समझने के लिए किसी स्वास्थ्य केंद्र पर एक छोटे से परिवार को गोद लेना होगा. इसके अलावा कोरोना जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए भी उचित ट्रेनिंग दी जाएगी.

Medical Students (Representative Image) Medical Students (Representative Image)

MBBS के कोर्स में कई सारे अहम बदलाव किए गए हैं. इसके तहत पहले चरण में पढ़ाए जाने वाले कुछ विषयों को अंतिम चरण में शामिल किया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में एमबीबीएस सीटों की संख्या में 87 प्रतिशत और पीजी की सीटों में 105 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि 2014 के बाद से देश में युवा पीढ़ी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुंच को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.

मंडाविया ने कहा, "वर्तमान में देश के 648 मेडिकल कॉलेजों में से 355 सरकारी और 293 निजी हैं." मंत्री ने कहा, "एमबीबीएस सीटों में भी 2014 में 51,348 से 2022 में 96,077 तक 87 प्रतिशत की भारी वृद्धि देखी गई है. इसी तरह, पीजी सीटों में 2014 में 31,185 सीटों के साथ 105 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2022 में 63,842 हो गई है."

कर सकेंगे चुनौतियों का सामना
उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) शासन के तहत की गई कई पहलों के प्रभाव को रेखांकित किया और कहा कि परिवर्तन देश के हर नुक्कड़ पर देखा जा सकता है. इस गति और हितधारकों के बीच समन्वय के साथ, देश में शिक्षा का एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जाएगा. एनमसी ने जानकारी दी कि 15 नवंबर से शुरू हुए सत्र से नया पाठ्यक्रम लागू कर दिया जाएगा. डाक्टरों को मौजूदा चिकित्सा चुनौतियों का सामना करने में योग्य बनाने के लिए यह बदलाव किए गए हैं.

कैसे बांटे गए सत्र?
मेडिकल की पढ़ाई चार सत्र में पूरी होती है. पहला सेशन 15 दिसंबर 2023 तक पूरा होगा. इसमें कई बड़े बदलाव किए गए हैं. पहले साल में महामारी, क्लीनिकल एक्सपोजर, सामुदायिक चिकित्सा में परिवार को गोद लेने जैसे नए कार्यक्रम शामिल हैं. सामुदायिक चिकित्सा के तहत फैमिली एडाप्टेशन के लिए 67 घंटे अध्ययन जरूरी होगा. मेडिकल छात्रों को छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर एक परिवार को गोद लेकर उन पर स्वास्थ्य संबंधी अध्ययन करना होगा. इसका मकसद छात्रों का ग्रमीण आबादी से संपर्क बढ़ाना है.

अर्ली मेडिकल एक्सपोजर के लिए 60 घंटे तय किए गए हैं. इसमें बायोकेमिस्ट्री, ह्यूमन एनाटॉमी और फिजियोलॉजी पढ़ाई जाएगी. भविष्य में कोरोना जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए एमबीबीएस के दूसरे चरण (16 दिसंबर 2023 से 15 जनवरी 2025) में नया कोर्स पेंडेंमिक मॉड्यूल डाला गया है. इसके लिए छात्रों को 28 घंटे की पढ़ाई करनी होगी.

तीसरे चरण में 600 घंटे की क्लीनिकल पोस्टिंग रखी गई है. इसकी अवधि 10.5 महीने की होगी और सेशन 16 जनवरी 2025 से 30 नवंबर 2025 तक चलेगा.