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NMC NEET UG 2024 Eligibility Criteria: 12वीं में बायोलॉजी नहीं पढ़ी है तो कोई बात नहीं, अब भी बन सकते हैं डॉक्टर, जानें कैसे

12वीं में फिजिक्स, कमेस्ट्री और मैथ से पढ़ाई करने वाले छात्र भी डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकते हैं. नेशनल मेडिकल कमीशन ने इसको लेकर बड़ा बदलाव किया है. नई गाइडलाइंस के मुताबिक 12वीं के बाद स्टूडेंट एडिशनल सब्जेक्ट के तौर पर बायोलॉजी की पढ़ाई कर सकते हैं, जिसकी डिग्री मेडिकल की पढ़ाई के लिए मान्य होगी.

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अगर आपने फिजिक्स, कमेस्ट्री और मैथ से 12वीं पास की है तो भी डॉक्टर बन सकते हैं. मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए 12वीं में बायोलॉजी की पढ़ाई करना ही जरूरी नहीं है. नेशनल मेडिकल कमीशन की नई गाइडलांस के मुताबिक इसके लिए किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं के लेवल पर एक एडिशनल सब्जेक्ट के तौर पर बायोलॉजी/बायो-टेक्नोलॉजी की परीक्षा पास करनी होगी.

12वीं में मैथ पढ़ने वाले भी बन सकते हैं डॉक्टर-
एनएमसी के पब्लिक नोट के मुताबिक जिन कैंडिडेट्स ने जरूरी सब्जेक्ट्स फिजिक्स, कमेस्ट्री, बायोलॉजी/बायो-टेक्नोलॉजी के साथ इंग्लिश की पढ़ाई की है, चाहे वो 12वीं की पढ़ाई के बाद एडिशनल सब्जेक्ट के तौर पर जरूरी सब्जेक्ट की पढ़ाई की हो, उनको एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में एडमिशन के लिए एनईईटी-यूजी टेस्ट में बैठने की इजाजत दी जाएगी. 

विदेश में भी पढ़ाई कर सकते हैं कैंडिडेट-
ऐसे कैंडिडेट्स पात्रता प्रमाणपत्र पाने के भी हकादार होंगे. एनएमसी इस सर्टिफिकेट को कैंडिडेट को जारी करती है. इसस यह प्रमाणित होता है कि वो कैंडिडेट विदेश में मेडिकल कोर्स में पढ़ाई के लिए पात्र है. इससे पहले एमबीबीएस या बीडीए की पढ़ाई के लिए 11वीं और 12वीं में अंग्रेजी के साथ बायोलॉजी/बायो-टेक्नोलॉजी की 2 साल की पढ़ाई जरूरी थी. ये पढ़ाई रेगुलर स्कूल से करनी होती थी. ओपन स्कूल या प्राइवेट कैंडिडेट के तौर पर पढ़ाई मान्य नहीं थी.

14 जून की NMC की बैठक में फैसला-
पुरान नियम के मुताबिक 12वीं पास करने के बाद एडिशनल सब्जेक्ट के तौर पर बायोलॉजी/बायो-टेक्नोलॉजी या दूसरे जरूरी सबजेक्ट की पढ़ाई नहीं की जा सकती थी. एनएमसी के नए आदेश ने इस नियम को बदल दिया. इससे मेडिकल की पढ़ाई की इच्छा रखने वाले लोगों को एक और ऑप्शन मिल गया है. अगर आपने 12वीं में बायोलॉजी की पढ़ाई नहीं की है तो भी आप मेडिकल की पढ़ाई कर सकते हैं.

एनएमसी का कहना है कि 14 जून को इस मसले पर विचार-विमर्श हुआ. जिसके बाद एनईईटी-यूजी टेस्ट और विदेश में मेडिकल की पढ़ाई के लिए एलिजिबिलिटी सर्टिफिकेट देने के मापदंडों में बदलाव करने का फैसला किया गया.

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