कहते हैं कि जिंदगी में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, दृढ़ संकल्प हो तो परिस्थिति चाहे लाख आपके विपरित हो, आप वो सब हासिल कर लेते हैं जिसकी आपने कल्पना की होती है. हम मिसालें सुनते हैं कि किसी गरीब घर के बेटे ने संसाधन और सुविधाओं के अभाव में मेहनत और लगन से कुछ बड़ा हासिल कर लिया. ये मिसालें समाज को एक नई दिशा और प्रेरणा देने का काम करती है. एक ऐसी ही प्रेरणा से भरी खबर हम आपके लिए लेकर आए हैं. जिसको पढ़कर आपको लगेगा कि वाकई मेहनत करके क्या कुछ हासिल नहीं किया जा सकता. हम बात कर रहे हैं एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे की, जिसने ओडिशा सिविल सेवा परीक्षा (OCS) में 76वां रैंक हासिल कर न सिर्फ परिवार का नाम रोशन किया बल्कि उन तमाम लोगों को रोशनी देने का भी काम किया जो जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं.
पिता हैं दिहाड़ी मजदूर
27 वर्षीय मुना सेठी ओडिशा के परजंग ब्लॉक के एक छोटे से गांव से आते हैं. मुना के पिता दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं. शुरुआती पढ़ाई लिखाई मुना ने अपने गांव के ही स्कूल से पूरा किया. प्लस टू नवोदय सारंगा से और ग्रेजुएशन की पढ़ाई रेनशॉ कॉलेज से पूरी की. पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए मुना ने एडमिशन तो लिया लेकिन सेहत से जुड़ी परेशानियों की वजह से उसको पूरा नहीं कर पाए. चूंकि मुना के पिता मजदूरी का काम करते हैं इसलिए घर की हालात को देखते हुए मुना ने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया ताकि उससे कुछ आमदनी हो सके.
बिना कोचिंग लिए ही कर दिखाया कमाल
बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ मुना ने ओडिशा सिविल सेवा (OCS) परीक्षा की भी तैयारी शुरू कर दी. ये मुना का चौथा प्रयास था और सेल्फ स्टडी यानी बिना किसी कोचिंग का सहारा लिए मुना ने वो कर दिखाया जिसकी मिसाल दी जा सके. मुना ने ओडिशा सिविल सेवा (OCS) परीक्षा में 76वां रैंक हासिल किया है. वह कहते हैं कि मैं उन तमाम लोगों को धन्यवाद देता हूं जो मेरे साथ जुड़े रहे. वह आगे कहते हैं कि मैं तीन बार असफल हो चुका था लेकिन उम्मीद नहीं छोड़ी और समय निकाल कर तैयारी करता रहा. वह कहते हैं कि एक अधिकारी के रूप में मैं शिक्षा को बढ़ावा देने और गरीबी उन्मूलन योजना पर काम करूंगा.