संसाधनों की कमी के कारण दीपक साहू हायर डिग्री नहीं ले पाए. इस बात का अफसोस उन्हें आज तक है और इसलिए उन्होंने ठाना कि उनके आसपास और किसी बच्चे का सपना संसाधनों की कमी से नहीं टूटेगा. इसलिए आज ओड़िशा के दीपक और उकी पत्नी सीतारानी एक मुफ्त पुस्तकालय और एक कोचिंग सेंटर चला रहे हैं.
कोविड-19 महामारी के दौरान, स्कूली शिक्षा सिर्फ उनको मिल पा रही थी जिनके पास स्मार्ट गैजेट थे. ऐसे में, कालाहांडी जिले के एक दंपति ने गरीब आर्थिक पृष्ठभूमि के उन बच्चों को मुफ्त कोचिंग देने का फैसला किया, जो वर्चुअल क्लास नहीं ले पा रहे थे.
निशुल्क मिल रही है बच्चों को शिक्षा
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 48 वर्षीय व्यवसायी दीपक साहू और उनकी 45 वर्षीय पत्नी सीतारानी ने 1 नवंबर 2021 को छात्रों के लिए एक कोचिंग सेंटर खोला जहां गरीब परिवारों के बच्चों को सभी विषयों की मुफ्त कोचिंग दी जा रही है. इस दंपति ने बच्चों को पढ़ाने के लिए तीन पार्ट-टाइम शिक्षकों की नियुक्ति की है.
वर्तमान में प्राइमरी से हाई स्कूल स्तर तक के 105 छात्र कोचिंग सेंटर में पढ़ रहे हैं जो उनके लिए सुबह 7 से 8 बजे और शाम 4.30 से 8 बजे तक खुला रहता है. दीपक कालाहांडी में तीन रेस्तरां और केटरिंग सर्विस की एक चेन चलाते हैं और कोचिंग सेंटर को फंड करते हैं. उनकी पत्नी सीतारानी इस सर्विस को मैनेज करती हैं.
खुद नहीं पढ़ पाने का है मलाल
दीपक एक गरीब परिवार से थे और घर में संसाधनों की कमी के कारण मैट्रिक से आगे की पढ़ाई नहीं कर सके. वहीं, सीतारानी ने इतिहास में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया है. वास्तव में, यह दीपक ही थे जिन्होंने सीतारानी को उनकी शादी के बाद स्नातक पूरा करने और पीजी करने के लिए जोर दिया, जबकि उन्होंने अपने रेस्तरां व्यवसाय को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, दीपक का व्यवसाय अच्छा चल रहा है. इसलिए जब उन्हें एक स्थिर आय मिलने लगी, तो उन्होंने ऐसे युवाओं के लिए एक सार्वजनिक पुस्तकालय खोलने का फैसला किया, जो प्रतियोगी परीक्षाएं देना चाहते हैं.
पढ़ने की सामग्री देते हैं मुफ्त
साल 2019 में दीपक और सीतारानी ने पुस्तकालय खोला और ऐसी किताबें और पत्रिकाएं खरीदना जारी रखा जो युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद कर सकें. फिर एक साल बाद जब कोविड के कारण स्कूल बंद हो गए, तो इस दंपति ने गरीब बच्चों के लिए एक कोचिंग सेंटर खोलने का फैसला किया.
उन्होंने कोविड के दौरान उन बच्चों को सिखाना करना शुरू किया जो वर्चुअल क्लास लेने के लिए मोबाइल फोन का खर्च नहीं उठा सकते थे या जिनके पास शिक्षा के लिए संसाधन नहीं थे. आज, उनके केंद्र में आसपास के सभी क्षेत्रों के बच्चे मुफ्त कोचिंग के लिए आते हैं. हर महीने, दंपति अपने व्यवसाय से होने वाली कमाई का एक हिस्सा अलग रखते हैं. बच्चों को यहां कुछ भी लाने की आवश्यकता नहीं है. उन्हें किताबें, नोट कॉपी और स्टेशनरी मुफ्त में दी जाती हैं.
कोई न रहे शिक्षा से वंचित
इस दंपति का विचार यह सुनिश्चित करना है कि ये बच्चे पैसे की कमी के कारण शिक्षा से वंचित न हों. साथ ही, कक्षाएं नीरस न हों, इसलिए शिक्षक नियमित अंतराल पर बच्चों के लिए पाठ्येतर गतिविधियों जैसे पेंटिंग, ड्राइंग, वाद-विवाद और खेल का आयोजन करते हैं.