ठीक आधार की तरह ही छात्रों की भी एक आइडेंटिटी होने वाली है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसके लिए ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (APAAR) बनाया है. फरवरी में ‘वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी’ प्लेटफॉर्म लाइव होने के लिए तैयार है. इस पहल से देश भर के शैक्षणिक संस्थानों द्वारा दी की गई जानकारी को वेरीफाई किया जा सकेगा. इस वेरीफिकेशन के लिए एक एडवांस 'पीयर क्राउडसोर्सिंग' सॉफ्टवेयर बनाया जा रहा है. जिससे इसे जल्द लॉन्च करने में मदद मिल सकती है.
क्या है APAAR?
ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री जिसे हम वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी कह रहे हैं एक एजुकेशन इकोसिस्टम रजिस्ट्री होगा. कुछ-कुछ लोग इसे 'एडुलॉकर' भी कह रहे हैं. इसमें छात्र को एक 12 अंकों का यूनिक कोड दिया जाएगा. ये ठीक आधार कार्ड जैसा ही होने वाला है. ये एक तरह से छात्रों की डिजिटल आईडी होगी.
2 करोड़ छात्रों को दी जा चुकी है
इस पहल के तहत पहले ही हायर एजुकेशन सिस्टम में इस APAAR आईडी को पहले ही लॉन्च किया जा चुका है. इससे 2 करोड़ छात्रों को उनका 12 डिजिट का यूनीक नंबर मिल चुका है. आने वाले समय में इस सिस्टम को स्कूली छात्रों, शिक्षकों और सभी शैक्षणिक संस्थानों तक विस्तारित करने की योजना पर काम चल रहा है.
फरवरी में होगा लाइव
नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे ने मीडिया को बताया कि वर्तमान में आईडी जारी की जा रही हैं. जबकि ये डिजिटल प्लेटफॉर्म फरवरी में लाइव होने वाला है. प्लेटफॉर्म का पहला काम अलग-अलग शैक्षिक निकायों (Educational Bodies) से इकठ्ठा किए गए डेटा को वेरीफाई करना होगा. इसकी मदद से मान्यता प्राप्त और रैंकिंग एजेंसियों को एक ही सोर्स से जानकारी मिल सकेगी.
पीयर क्राउडसोर्सिंग सॉफ्टवेयर क्या है?
हालांकि, जैसे-जैसे प्लेटफॉर्म विकसित हो रहा है, इसके सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि इतना सारा डेटा कैसे वेरीफाई होगा? इसे संबोधित करने के लिए, NETF एक 'पीयर क्राउडसोर्सिंग' सॉफ्टवेयर बनाया है. इसका उद्देश्य संस्थानों द्वारा जो जानकारी दी गई है उसकी प्रामाणिकता को वेरीफाई करना है.