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13 साल पहले शुरू किया One Teacher One Call अभियान ताकि दिव्यांग बच्चे न रहें शिक्षा से वंचित, पीएम मोदी ने की तारीफ

One Teacher One Call अभियान की शुरूआत 13 साल पहले बरेली की एक शिक्षिका ने की था ताकि वह ज्यादा से ज्यादा दिव्यांग बच्चों को स्कूल से जोड़ सकें.

दीपमाला दीपमाला
हाइलाइट्स
  • शुरू किया 'वन टीचर वन कॉल' अभियान

  • 13 साल पहले शुरू हुई थी योजना

यह कहानी है उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में गंगापुर डभौरा प्राथमिक विद्यालय की. जहां एक सहायक शिक्षिका अपने प्रयासों से नई इबारत लिख रही हैं. शिक्षिका दीपमाला पांडे ने कई स्पेशल बच्चों को शिक्षा की लिए नई ज्योति जगाई है.

दीपमाला ने बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए 'वन टीचर वन कॉल' अभियान शुरू किया है. जिसके लिए उन्होंने फेसबुक को अपना माध्यम बनाया और जिले के शिक्षकों को इस योजना से जोड़ा. वह अपनी इस पॉलिसी के तहत लगभग 600 दिव्यांग बच्चों को स्कूल तक पहुंचा चुकी हैं.

13 साल पहले शुरू हुई थी योजना
दीपमाला पांडे ने बताया कि कि करीब 13 साल पहले वह इस स्कूल में तैनात हुई तो उन्होंने देखा कि अनमोल नाम का एक दिव्यांग बच्चा है. जो पढ़ना चाहता है लेकिन स्कूल में उसके हिसाब से साधन नहीं हैं. तब उन्होंने उस बच्चे को सांकेतिक भाषा सिखाई और खुद कई ऐसी पुस्तकें खरीद कर उसे दीं. 

वह बच्चा भी संकेत भाषा में पढ़ाई करके खुश था और काफी-कुछ सीख रहा था. दीपमाला बताती है कि तब से ही उन्होंने दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिज्ञा बांध ली. 

एनसीईआरटी में समाजसेवी शिक्षा का लिया प्रशिक्षण
दीपमाला पांडे ने बताया कि इसके लिए उन्होंने एनसीईआरटी मैथ समाजसेवी शिक्षा का प्रशिक्षण भी लिया है. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उन्होंने आगे भी अभियान चलाएं और अन्य शिक्षकों से भी इस बारे में अपील की. 

उनका लक्ष्य सिर्फ इतना था कि एक शिक्षक यदि एक दिव्यांग बच्चों की भी जिम्मेदारी ले ले तो जिले भर में करीब 3000 दिव्यांग बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाया जा सकता है. इसके लिए उन्होंने बीआरसी के सहयोग से प्रोफेशनल लर्निंग कोर्स का प्रशिक्षण सम्मानित शिक्षकों को दिलाना शुरू किया. 

सोशल मीडिया को बनाया है अपना हथियार
दिव्यांग बच्चों को वन टीचर बन कॉल मिशन से जोड़ने के लिए उन्होंने फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अपना हथियार बनाया है. अब बरेली के अलावा पीलीभीत, हरदोई, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर, अयोध्या समेत कई जिलों से शिक्षक इनकी इस योजना से जुड़ चुके हैं और दिव्यांग बच्चों का प्रवेश कराने के लिए भी आगे आने लगे हैं. 

एक समय था जब शिक्षक दिव्यांग बच्चों को शिक्षा देने से कतराते थे. लेकिन अब वही शिक्षक दिव्यांग बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने में हर संभव कोशिश कर रहे हैं. 

प्रधानमंत्री कर चुके हैं तारीफ
बता दें कि दीपमाला पांडे की इस सराहनीय कदम की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हाल ही में, अपने मन की बात कार्यक्रम के दौरान कर चुके हैं. इस कार्यक्रम के बाद शिक्षिका दीपमाला स्टार बन गई हैं. उनके सोशल मीडिया पर तमाम शिक्षक इस योजना से जुड़ने के लिए लगातार संपर्क कर रहे हैं. 

दीपमाला ने बताया कि अब तक उनके 800 दाखिले हो चुके हैं और अब तक 200 शिक्षक उनसे जुड़ चुके हैं. अब सभी लोग मिलकर प्रयास कर रहे हैं कि जो स्पेशल बच्चे हैं उनके लिए अवसरों की किसी तरह की कमी न हो. वे आत्मनिर्भर बन सकें. 

(कृष्ण गोपाल राज की रिपोर्ट)