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Mobile Ban in School: प्राइवेट स्कूलों ने सरकार के सामने रखी ये मांग, स्कूल में छात्रों के मोबाइल लाने पर लगाया जाए बैन

अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि ‘स्कूलों में हम लोग अनुशासन चाहते हैं. इसके लिए छात्रों को कुछ नियम मानने होंगे. मोबाइल लाने को हम लोग मना करते हैं, लेकिन कई बार छात्र मोबाइल ले कर आते हैं. हम कोई सख्ती भी नहीं कर सकते.

एसोसिएशन ने सरकार के सामने रखी छात्रों के स्कूल में मोबाइल बैन की मांग एसोसिएशन ने सरकार के सामने रखी छात्रों के स्कूल में मोबाइल बैन की मांग

उत्तर प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों ने सरकार से ये मांग की है कि स्कूलों में छात्रों के मोबाइल लाने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जाए. अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन उत्तर प्रदेश ने मांग पत्र सौंपकर कहा है कि वर्तमान में कई बड़ी घटनाओं की वजह मोबाइल फोन है. स्कूल में छात्रों के मोबाइल फोन लाने पर तत्काल प्रभाव से बैन किया जाए.

पिछले कुछ समय से स्कूलों में हो रही घटनाओं को लेकर सवाल उठते रहे हैं. ऐसे में सरकार द्वारा अगस्त महीने में बनायी गयी कमेटी जल्द ही गाइडलाइंस बना सकती है. इससे पहले शुक्रवार को अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Unaided private schools association ) ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. एसोसिएशन ने लिखित में इस बात की मांग की है कि स्कूलों में छात्रों के मोबाइल लाने पर तत्काल प्रभाव से बैन लगाया जाए. इसके पीछे ये बात कही गयी है कि वर्तमान में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं उसकी मुख्य वजह कई बार मोबाइल फोन होता है. अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि ‘स्कूलों में हम लोग अनुशासन चाहते हैं. इसके लिए छात्रों को कुछ नियम मानने होंगे. मोबाइल लाने को हम लोग मना करते हैं, लेकिन कई बार छात्र मोबाइल ले कर आते हैं. हम कोई सख्ती भी नहीं कर सकते.

अभिभावकों के लिए बनें गाइडलाइंस

एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल के साथ शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक में ये भी मांग रखी गयी है कि अभिभावकों के लिए गाइडलाइंस बनाई जायें जिनका पालन न करने पर स्कूल छात्र या अभिभावक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सके. ये भी माग की गयी है कि अगर किसी स्कूल में कोई आपराधिक घटना होती है तो DCP या ADCP रैंक के अधिकारी से ही जांच करायी जाए. पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि कई बार लोकल या थाना स्तर पर जांच से स्कूलों को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है. शिक्षा महानिदेशक कार्यालय में हुई बैठक में विभाग की तरफ से संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ प्रदीप कुमार, उप निदेशक राजेंद्र प्रसाद और विधिक सलाहकार देव प्रताप सिंह मौजूद रहें.

एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल की तरफ से हाल ही में हुई कई घटनाओं और जुलाई महीने में आजमगढ़ में हुई घटना का हवाला देते हुए कहा गया है कि अगर स्कूलों में कोई अप्रिय घटना होती है तो पुलिस इसकी जांच करती है. ऐसे में सरकार ने ऐसी घटनाओं को देखते हुए जो कमेटी गठित की है उसके द्वारा नामित एक सदस्य भी जांच के दौरान मौजूद रहेगा. जांच के बाद जो व्यक्ति दोषी पाया जाता है उसके ही खिलाफ कार्रवाई की जाए. ये भी मांग रखी गयी है कि स्कूल के बाहर होने वाली किसी भी घटना के लिए स्कूल को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाए. अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि "सीनियर क्लास के छात्र और उनके अभिभावक पेरेंट्स टीचर मीटिंग में भी नहीं आते हैं ऐसे में ठीक से संवाद नहीं हो पाता. जबकि ये हम सब की जिम्मेदारी है. इसीलिए स्पष्ट नियम जरूरी हैं"

आज़मगढ़ घटना के बाद एसोसिएशन ने की थी पूरे प्रदेश में स्कूल बंदी

31 जुलाई को आजमगढ़ में छात्रा ने मोबाइल लेकर स्कूल आने से मना करने पर हुए विवाद के बाद कथित तौर पर स्कूल में आत्महत्या कर ली थी. उसके बाद टीचर और प्रिन्सिपल को गिरफ्तार कर लिया गया था. गिरफ़्तारी के विरोध में निजी स्कूलों ने 8 अगस्त को पूरे उत्तर प्रदेश में स्कूलों को बंद करके विरोध जताया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने उसके बाद एक कमेटी का गठन किया था. अब ये कमेटी जल्द ही गाइडलाइंस बनाने वाली है.

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