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Goodwill Mobile School: रेलवे से रिटायर्ड इंजीनियर ने ट्रॉली पर शुरू किया चलता फिरता स्कूल, 1000 से ज्यादा जरूरतमंद बच्चों को दे रहे हैं शिक्षा

केके गर्ग ने भारतीय रेलवे के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के तौर पर अपनी सर्विसेज दीं. अब रिटायरमेंट के बाद कई सालों से वह 'The Goodwill Mobile School' चला रहे हैं.

Goodwill Mobile School (Photo: ANI) Goodwill Mobile School (Photo: ANI)

बहुत से लोगों के लिए रिटायरमेंट के बाद घर पर खाली बैठना मुश्किल होता है. ऐसे में, ज्यादातर लोग कोई दूसरी जॉब या काम कर लेते हैं. वहीं, कुछ लोग समाज सेवा से जुड़ना पसंद करते हैं. आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे ही शख्स के बारे में, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद अपना जीवन गरीब और जरूरतमंद बच्चों की जिंदगी संवारने के लिए समर्पित कर दिया है. यह कहानी है पंजाब के बठिंडा में रहने वाले केके गर्ग की.  

केके गर्ग ने भारतीय रेलवे के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के तौर पर अपनी सर्विसेज दीं. अब रिटायरमेंट के बाद कई सालों से वह 'The Goodwill Mobile School' चला रहे हैं जो शहर के गरीब व जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा से जोड़ रहा है. आपको बता दें कि बठिंडा के कई इलाकों में बहुत से बच्चे ऐसे हैं जिनके पास स्कूल जाने का विकल्प नहीं है. सर्व शिक्षा अभियान पंजाब के आंकड़ों से पता चलता है कि बठिंडा की कुल साक्षरता दर 69.6% थी, जिसमें पुरुष साक्षरता 75.3% और महिला साक्षरता 62.9% थी. 

रिटायरमेंट के बाद शुरू किया यह काम 
केके गर्ग ने भारतीय रेलवे के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में पंजाब के कोने-कोने की यात्रा की, तब उन्होंने इस क्षेत्र में शिक्षा की दयनीय स्थिति को देखा. उन्होंने रेलवे पटरियों के किनारे झुग्गियों में रहने वाले सैकड़ों बच्चों को देखा, जो अपने बचपन के साल गरीबी में बिता रहे थे. साल 2006 में रिटायरमेंट होने के बाद, वह Goodwill Society नामक NGO से जुड़ गए. और यहां पर उन्होंने गरीब बच्चों के लिए एक चलता-फिरता स्कूल बनाया. 

गर्ग ने अपनी स्किल्स का अच्छा इस्तेमाल करते हुए एक ट्रैक्टर ट्रॉली को चलते-फिरते स्कूल में बदल दिया. उन्होंने ट्रैक्टर ट्ऱॉली ली, पाइपिंग बनाई और वाटरप्रूफ पैनल बनाए, गर्मी से बचाव के लिए इसे जिप्सम बोर्ड की लाइनिंग दी और लाइट, पंखे और एक ब्लैकबोर्ड लगाया. गुडविल मोबाइल स्कूल वंचित बच्चों के लिए स्किल सेंटर और एजुकेशनल प्रोग्राम चलाता है. 

बच्चों को मिल रही है बुनियादी शिक्षा 
गुडविल मोबाइल स्कूल ट्रॉलियां बठिंडा के अलग-अलग मोहल्लों में घूमती हैं, जहां झुग्गी-झोपड़ियों और दूरदराज के इलाकों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. हर एक मोबाइल क्लास बुनियादी शिक्षण सामग्री से सुसज्जित है, और कक्षाएं दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक दो शिफ्टों में संचालित की जाती हैं. हर साल हजारों प्रवासी परिवार शहर से गुजरते हैं, ऐसे में कई बच्चों के पास औपचारिक स्कूलों में नामांकन के लिए जरूरी दस्तावेज नहीं होते हैं. ऐसे में, मोबाइल स्कूल इस बाधा को खत्म करता है. 

इस तरह की स्कूली शिक्षा बच्चों की अलग-अलग ज़रूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई है. इस मोबाइल स्कूल का रूट इस तरह प्लान किया गया है कि यह उन इलाकों में रुके जहां बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं या किसी कारणवश स्कूल छोड़ चुके हैं. बच्चों को स्टोरीटेलिंग, इंटरैक्टिव गेम और विजुअल्स की मदद से पढ़ाया जाता है ताकि वे दिलचस्पी लें. बच्चों को बुनियादी शिक्षा देते हैं - पढ़ना, लिखना और गणित, साथ ही सामाजिक मूल्यों और व्यावहारिक जीवन कौशल पर भी पाठ पढ़ाते हैं. 

1000 से ज्यादा बच्चे जुड़े 
2024 में, 14वें गुडविल मोबाइल स्कूल की शुरुआत की गई. इस कार्यक्रम के तहत 1,000 से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं. मोबाइल स्कूल के जरिए एक साल के प्रशिक्षण के बाद बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला भी दिलाया गया है. इस पहल को बड़े पैमाने पर लोगों से आर्थिक मदद भी मिल रही है. बताया जा रहा है कि गुडविल सोसाइटी इस पहल को और आगे बढ़ाने की सोच रही है, जिसमें पंजाब भर में और ज्यादा इस तरह के स्कूल तैनात करने की उम्मीद है.