कोटा में मेडिकल एग्जाम्स की कोचिंग कर रहे विद्यार्थियों में सकारात्मकता लाने और उत्साहवर्धन के लिए जिला प्रशासन के प्रयास हर स्तर पर जारी हैं. इन्हीं प्रयासों के तहत नीट की परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों को मोटिवेट करने के लिए जिला कलेक्टर, डॉ. रविन्द्र गोस्वामी बुधवार को एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के जवाहर नगर स्थित समुन्नत सभागार में पहुंचे. यहां विद्यार्थियों से संवाद में उनके सवालों के जवाब दिए और उनके साथ अपने अनुभव साझा किए. साथ ही, उत्साह के साथ परीक्षा देते हुए सफलता की ओर बढ़ने के लिए शुभकामनाएं दी.
जिला कलक्टर डॉ. गोस्वामी ने विद्यार्थियों से संवाद करते हुए सोशल मीडिया के सवाल पर कहा, "न तो मैं इंस्टा पर हूं, न x.com पर हूं, मैं यहां हूं. वह वर्चुअल यानी आभासी दुनिया है. इससे कुछ नहीं होता. हो सकता है ये उपयोगी हो, लेकिन अभी आपकी उम्र में और जिस लक्ष्य के लिए आप आए हैं उस उद्देश्य में ये आपके दुश्मन हैं. आप जिस दिन कामयाब हो जाओगे फोलोअर्स खूब मिल जाएंगे. अभी ये डिस्ट्रेक्शन के अलावा कुछ नहीं."
बच्चों को दी यह सलाह
गोस्वामी ने बच्चों को सोशल मीडिया एप्स को अपने मोबाइल से हटाने की सलाह दी. उनका कहना था कि हम वो करें जो काम अच्छा हो, क्योंकि अच्छा काम करने के बाद उत्साह मिलता है. बुरा काम करके भारीपन मिलता है. हम इंस्टा पर एक घंटा बिताने के बाद जब सोचते हैं तो लगता है एक घंटा खराब हो गया. इसलिए यह गलत है.
वहीं, सफलता से पहले असफलता की बात पर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी ने कहा कि मैं फेल होकर पास होने वाला परफेक्ट उदाहरण हूं. प्री मेडिकल एग्जाम पीएमटी, प्रीपीजी, आर्मी कैप्टन, यूपीएससी सभी एग्जाम में पहली बार में उन्हें सफलता नहीं मिली. सब में दूसरे प्रयास में सफलता प्राप्त की. यूपीएससी में सफल हुए तो मनपसंद पद नहीं मिल रहा था तो दोबारा कोशिश की. उन्होंने सपना देखा था कि किसी आईएएस से हाथ मिलाएं और जब सफल हुए तो कमरे में जाकर जोर से चिल्लाए और फिर खुद से हाथ मिलाया.
उन्होंने कहा, "मैं पहला आईएएस हूं जिससे मैंने हाथ मिलाया. इसलिए अपना मुकाबला खुद से रखो. तुलना दूसरों से मत करो. सभी की परिस्थितियां अलग-अलग है. न ताना मारने वालों से विचलित हो न प्रशंसा से. हमें फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि लोग क्या कह रहे हैं. मुहब्बत मंजिल से करनी है, रास्तों से नहीं."
अपने शौक को रखें जिंदा
एक अन्य छात्र के सवाल के जवाब पर गोस्वामी ने कहा कि अपने शौक जिंदा रखिए. रोजाना कुछ समय भी दीजिए, जिस दिन टेस्ट दो उसके बाद अपने शौक को समय दो. रोजाना 7-8 घंटे पढ़ें और इसके अलावा जो आपको करना है करो. नियमित और अनुशासित मेहनत से आप आसानी से सफल हो सकते हैं.
बेस्ट नोट्स कैसे बनाएं?
इस सवाल के जवाब पर डॉ. गोस्वामी ने कहा कि नोट्स बनाने के लिए टीचर्स से ज्यादा बेहतर कोई नहीं बता सकता. नोट्स भारी नहीं हो, की-वर्ड्स लिखो ताकि देखते ही तुरंत याद आ जाए. जो भी नोट्स बना रहे हो, उन्हें एक ही जगह रखें, नोट्स में लिखावट कम होनी चाहिए. ट्री, डायग्राम, एरो या ग्राफ्स कुछ ऐसे ट्रिक्स होनी चाहिए जो आपको याद भी रह जाए और याद दिला भी दे.