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प्राथमिक विद्यालय की लापरवाही! छात्रा को मिल गए 100 में से 234 अंक, रिपोर्ट कार्ड वायरल होते ही मचा हड़कंप

इस लापरवाही के चलते शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं. ग्रामीणों और अभिभावकों में नाराजगी है. लोगों का कहना है कि अगर रिपोर्ट कार्ड जैसे गंभीर दस्तावेज में भी इतनी बड़ी चूक की जा सकती है, तो बच्चों की शिक्षा और मूल्यांकन कैसे सही तरीके से हो रहा होगा?

सहारनपुर रिपोर्ट कार्ड वायरल (Representative Image/Unsplash) सहारनपुर रिपोर्ट कार्ड वायरल (Representative Image/Unsplash)

सहारनपुर के सरसावा क्षेत्र के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे जिले में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. गांव बरथाकायस्थ पठेड़ कलां स्थित प्राथमिक विद्यालय में एक छात्रा को परीक्षा में 100 में से 234 अंक दे दिए गए. जैसे ही यह रिपोर्ट कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) कोमल कुमारी ने तुरंत जांच के आदेश दिए और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है.

कैसे सामने आया मामला?
यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब कक्षा एक में पढ़ने वाली अफ्शा, जो गांव निवासी जुल्फिकार की बेटी है, का रिपोर्ट कार्ड वायरल हुआ. रिपोर्ट कार्ड में अफ्शा को 100 में से 234 अंक दिए गए थे. यह आंकड़ा देखने के बाद लोगों को पहले तो लगा कि शायद यह कोई मजाक है, लेकिन जब रिपोर्ट कार्ड की पुष्टि हुई, तो शिक्षा विभाग की लापरवाही की पोल खुल गई.

रिपोर्ट कार्ड 29 मार्च को जारी होना था, लेकिन स्कूल की दो शिक्षिकाओं के आपसी मनमुटाव और विवाद के कारण परिणाम घोषित करने में 20 दिन की देरी हुई. आखिरकार 17 अप्रैल को हड़बड़ी में परिणाम जारी किया गया और तब जाकर ये तमाम गड़बड़ियां सामने आईं.

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जल्दबाजी में गड़बड़ी या बड़ी लापरवाही?
प्रधानाध्यापिका का कहना है कि रिपोर्ट कार्ड बनाते समय कुछ तकनीकी गलतियां हुईं. उन्होंने सफाई दी कि अफ्शा को कुल 300 अंकों की परीक्षा में 234 अंक मिले थे, लेकिन गलती से पूर्णांक की जगह 100 लिख दिया गया. हालांकि, सवाल यह उठता है कि ऐसी गलती अन्य छात्रों के साथ भी हुई है या नहीं? क्या यह केवल एक तकनीकी त्रुटि थी या किसी बड़े लापरवाह रवैये का नतीजा?

BSA ने दिए जांच के आदेश
बेसिक शिक्षा अधिकारी कोमल कुमारी ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया है. उन्होंने कहा, "एक स्कूल सरसावा के अंतर्गत आता है, उसकी शिकायत पहले से थी कि रिपोर्ट कार्ड समय से जारी नहीं हुआ. अब जब यह नया मामला सामने आया है, तो खंड शिक्षा अधिकारी को जांच के निर्देश दिए गए हैं. रिपोर्ट कार्ड में प्राप्तांक और पूर्णांक में गड़बड़ी पाई गई है. जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी."

कोमल कुमारी ने यह भी कहा कि जनपद के सभी स्कूलों को 31 मार्च तक रिपोर्ट कार्ड जारी करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इस स्कूल ने आदेश का उल्लंघन किया है.

शिक्षा विभाग पर उठे सवाल
इस लापरवाही के चलते शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं. ग्रामीणों और अभिभावकों में नाराजगी है. लोगों का कहना है कि अगर रिपोर्ट कार्ड जैसे गंभीर दस्तावेज में भी इतनी बड़ी चूक की जा सकती है, तो बच्चों की शिक्षा और मूल्यांकन कैसे सही तरीके से हो रहा होगा?

एक तरफ सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में ऐसी घटनाएं बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करती हैं. यदि रिपोर्ट कार्ड में अंक ही गलत दर्शाए जाएं, तो बच्चों का मनोबल टूटना तय है.

जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. सभी स्कूलों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि आगे से रिपोर्ट कार्ड में किसी भी प्रकार की त्रुटि न हो. साथ ही, स्कूलों के बीच आपसी विवाद और गुटबाजी की वजह से बच्चों को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए भी सख्त निगरानी रखने को कहा गया है.

(राहुल कुमार की रिपोर्ट)