गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गुजरात के साबरमती जेल में बंद है. लॉरेंस का नाम बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में सामने आ रहा है. उसका असली नाम बलकरण बरार है. लेकिन बचपन में वो बहुत गोरा और सुंदर था. इसलिए परिवारवाले उसे लॉरेंस के नाम से बुलाने लगे. क्या आप जानते हैं कि लॉरेंस एक ब्रिटिश शिक्षाविद थे. जिन्होंने सनावर के लॉरेंस स्कूल की स्थापना की थी. यह स्कूल एशिया के सबसे पुराने बोर्डिंग स्कूल में से एक है. चलिए इस स्कूल की कहानी जानते हैं.
177 साल पुराना है लॉरेंस स्कूल-
सनावर के लॉरेंस स्कूल की स्थापना करीब पौने दो सौ साल पहले हुई थी. साल 1847 में इसकी शुरुआत हुई थी. यह स्कूल हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के कसौली हिल्स में सनावर में है. यह स्कूल सबसे पुराने बोर्डिंग स्कूलों में से एक है. यह स्कूल 1750 मीटर की ऊंचाई पर है. इस स्कूल की शुरुआत ब्रिटेन के शिक्षाविद सर हेनरी लॉरेंस और उनकी पत्नी होनोरिया लॉरेंस ने की थी.
139 एकड़ में फैला है स्कूल-
सनावर का लॉरेंस स्कूल 139 एकड़ में फैला है. यह एक ऐतिहासिक स्थल है. इस स्कूल में 169 साल पुराना एक स्कूल चैपल है. जिसमें बेहतरीन रंगीन कांच की खिड़कियां हैं. यह चैपल समुदाय का आध्यात्मिक सेंटर है. इसमें रोजाना सभाएं आयोजित होती हैं. जिसमें सभी छात्र और कर्मचारी हिस्सा लेते हैं.
दुनिया का पहला को-एड बोर्डिंग स्कूल-
सनावर के लॉरेंस स्कूल को दुनिया का पहला को-एड बोर्डिंग स्कूल माना जाता है. 15 अप्रैल 1847 को 7 लड़के और 7 लड़कियों के एक ग्रुप से इसकी शुरुआत हुई थी. शुरुआत में इसमें 2 टीचर थे. साल 1853 तक छात्रों की संख्या 195 हो गई. सनावर स्कूल को किंग्स कलर्स से सम्मानित किया गया. यह स्कूल ब्रिटिश साम्राज्य में इस सम्मान से सम्मानित होने वाले 6 स्कूलों में से एक था. आजादी तक ये स्कूल ब्रिटिश सरकार के अधीन रहा.
आजादी के बाद भारत सरकार के हाथ में कमान-
साल 1947 में देश की आजादी के बाद स्कूल के ज्यादातर कर्मचारी और छात्र ब्रिटेन लौट गए. इसके बाद स्कूल का कंट्रोल भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के पास चला गया. साल 1949 में इसे शिक्षा मंत्रालय को ट्रांसफर कर दिया गया. इसके बाद साल 1953 में इसका कंट्रोल ऑटोनॉमस लॉरेंस स्कूल सोसाइटी के पास चला गया.
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