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स्लम के बच्चों को पढ़ा रहे हैं 8वीं कक्षा के छात्र ताकि संवर जाए उनका जीवन और बदल सके झुग्गियों की तस्वीर

अगर इरादे मजबूत हों तो कोई काम मुश्किल नहीं लगता है. बंगलुरू के कुछ छात्र भी अपने इरादों के दम पर खुद की और दूसरे बच्चों की जिंदगी बदल रहे हैं. पढ़िए यह कहानी.

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हाइलाइट्स
  • 36 गरीब बच्चों का पढ़ाते हैं ये छात्र

  • खुद पढ़ते हैं 8वीं कक्षा में

अगर आप दुनिया में बदलाव देखना चाहते हैं तो अपने घर से इसकी शुरूआत करें. जैसा कि बेंगलुरू के स्लम एरिया में रहने वाले इन बच्चों ने की है. शहर में ब्रूकफील्ड के आस-पास बसी झुग्गी-झोपड़ियों के कई बच्चे साथ में मिलकर बस्तियों के ऐसे बच्चों को पढ़ा रहे हैं जो स्कूल नहीं जाते हैं. 

कुंदनहल्ली, रामगोंदानाहल्ली जैसी जगहों से आने वाले गरीब घरों के बच्चे अब शिक्षा पा रहे हैं. दिलचस्प बात यह हैं कि इस बच्चों को पढ़ाने वाले सभी बच्चे 8वीं कक्षा के छात्र हैं और खुद भी झुग्गियों में रहते हैं. पर ये बच्चे अब स्कूल जाते हैं. 

इन बच्चों में रक्षिता भंडारी, पायल कुमारी और निखिल कुमार जैसे 9 बच्चे शामिल हैं. जो हर शाम मिलकर 36 बच्चों का पढ़ाते हैं.

दो बैच में पढ़ते हैं छात्र: 

पढ़ाने वाले बच्चों का कहना है कि एक समय था जब वे भी स्कूल नहीं जाते थे. पर अब स्कूल जाने के बाद उन्हें समझ में आता है कि पढ़ाई बहुत ज्यादा जरूरी है. इसलिए जब स्कूल में उन्हें प्रोजेक्ट मिला कि वे अपने आस-पास किसी समस्या को खोजें तो उन्होंने स्कूल न जाने वाले बच्चों को चुना. 

उन्होंने न सिर्फ प्रोजेक्ट का टॉपिक दिया बल्कि कुछ करने की ठानी. और पिछले काफी समय से वे बच्चों को पढ़ा रहे हैं. इन बच्चों को दो बैच में पढ़ाया जाता है- 5 से 6 साल की उम्र के बच्चे अलग और 7 से 12 साल के बच्चे अलग. 

स्कूल में कराना है दाखिला:

इन बच्चों को रोज एक घंटा पढ़ाया जाता है. इस दौरान उन्हें बेसिक मैथ, इंग्लिश आदि पढ़ायी जाती है. ताकि इन बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया जा सके. इस साल जून तक कोशिश है कि किसी तरह इन 36 बच्चों का नाम स्कूल में लिखाया जाए और ये बच्चे नियमित रूप से पढ़ाई करें.