यूपीएससी सिविल सेवा 2022 की फाइनल परीक्षा में नोएडा की रहने वाली स्मृति मिश्रा ने चौथी रैंक लाकर पूरे उत्तर प्रदेश का मान बढ़ाया है. स्मृति लॉ की पढ़ाई कर रही हैं और अभी उन्होंने आखिरी सेमेस्टर के एग्जाम दिए हैं.
घरवाले और दोस्तों ने दी हिम्मत
स्मृति मिश्रा ने गुड न्यूज टुडे से बात करते हुए बताया कि यह उनका तीसरा अटेंप था जब उन्होंने यूपीएससी का एग्जाम दिया इससे पहले दो बार वह एग्जाम दे चुकी थीं पर उन्हें असफलता हासिल हुई. इस बार वह एग्जाम देने से काफी डर रही थीं लेकिन उनके परिवार और दोस्तों ने उनको काफी हिम्मत दी. इसके बाद जाकर उन्होंने परीक्षा दी. स्मृति के पिता राज कुमार मिश्रा बरेली में डीएसपी के पद पर तैनात हैं.
10 से 12 बार रिजल्ट चेक किया, तब जाकर हुआ विश्वास
रिजल्ट आने से कुछ घंटे पहले स्मृति मेट्रो में ट्रेवल कर रही थीं. उनके लिए वह मेट्रो का सफर सबसे लंबा सफर था क्योंकि उसके बाद यूपीएससी का रिजल्ट आना था. यूपीएससी का जब रिजल्ट आया तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि वह इसमें चौथी रैंक लाई हैं. उन्होंने कम से कम 10 से 12 बार अपना रिजल्ट चेक किया. बार-बार रोल नंबर डाला और जब यकीन हुआ कि उन्होंने सही में इस परीक्षा को पास कर लिया है तो खुशी से चीखने लगीं.
208वीं रैंक हासिल करने वाली सोनू अपने परिवार में ग्रेजुएशन करने वाली पहली लड़की
सोनू कुमारी राजस्थान के एक छोटे सी जगह झुंझुनू की रहने वाली हैं. उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा 2022 की परीक्षा में 208वीं रैंक हासिल की है. सोनू एक बहुत ही सामान्य परिवार से हैं लेकिन खुद में बेहद खास हैं क्योंकि वह अपने पूरे परिवार में ग्रेजुएट होने वाली पहली महिला हैं. वह अब आईएएस ऑफिसर बनने जा रही हैं. सोनू के पिताजी इंडियन आर्मी में हैं और अभी उत्तराखंड में पोस्टेड हैं. सोनू की मां हाउसवाइफ हैं और वह सोनू को पढ़ाने के लिए दिल्ली शहर में रह रही हैं.
सोनू ने आर्मी स्कूल से की है पढ़ाई
सोनू ने आर्मी स्कूल से पढ़ाई की है. सोनू की इस सफलता में उनकी मां का बहुत बड़ा हाथ है. खुद भले ही सोनू की मां ने अधिक पढ़ाई नहीं की है लेकिन सोनू को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाया और इस काबिल बनाया कि आज वह एक आईएएस ऑफिसर बन सकें.
बनीं प्रेरणास्रोत
सोनू राजस्थान के उस गांव से आती हैं जहां पर महिलाओं को बहुत ज्यादा नहीं पढ़ाया-लिखाया जाता है. छोटी सी उम्र में उनकी शादी कर दी जाती है. ऐसे में सोनू का यूपीएससी की परीक्षा को पास करना उन लड़कियों के लिए भी एक प्रेरणा है, जो स्कूल जाना चाहती हैं लेकिन उन्हें पढ़ने नहीं दिया जाता. आगे चलकर सोनू भी इन लड़कियों के लिए काम करना चाहती हैं ताकि हर एक लड़की आगे जाकर पढ़ने का मौका मिल सके और वह अपना अच्छा भविष्य बना सकें.