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Success Story: मां ने अपने पुत्र की पढ़ाई के लिए छोड़ी जॉब... पिता ने लिया ट्रांसफर... अब बेटे ने 300 में 300 अंक लाकर एग्जाम में किया टॉप... जानिए जेईई मेन टॉपर ओम प्रकाश की कहानी

Story of JEE Main Topper Om Prakash: जेईई मेन टॉपर ओम प्रकाश ने बताया कि वह रोजाना लगभग 8 से 9 घंटे सेल्फ स्टडी करते हैं. अपने पास फोन नहीं रखते क्योंकि इससे ध्यान भटकता है. उन्होंने बताया कि उनकी इस सफलता में उनके मां-बाप का काफी बड़ा हाथ रहा है. अब आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस ब्रांच से बीटेक करना ओम प्रकाश का लक्ष्य है.

JEE Main Topper Om Prakash JEE Main Topper Om Prakash
हाइलाइट्स
  • आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस ब्रांच से बीटेक करना है ओम प्रकाश का लक्ष्य 

  • 92 फीसदी अंक के साथ 10वीं क्लास किए हैं पास

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की ओर से आयोजित जेईई-मेन 2025 एग्जाम (JEE-Main 2025  Exam) में 100 एनटीए स्कोर हासिल करने वाले ओम प्रकाश (Om Prakash) की सफलता में परिजनों का भी पूरा योगदान है. जेईई-रेस्पोंस शीट और फाइनल आंसर-की के अनुसार ओम प्रकाश ने परफेक्ट स्कोर 300 में से 300 अंक प्राप्त किए हैं.  

पढ़ाई में बेटे का ऐसे किया सपोर्ट 
ओम प्रकाश बेहरा मूलतः ओडिशा के भुवनेश्वर से हैं. वह इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए पिछले तीन सालों से एलन कोटा में पढ़ रहे हैं. भुवनेश्वर से कोटा आकर पढ़ने वाले ओम प्रकाश को कभी घर की कमी महसूस नहीं हुई, क्योंकि माता-पिता ने हमेशा उनके साथ रहने की कोशिश की. मां स्मिता रानी ने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए अपनी जॉब छोड़ दी तो पिता ने ट्रांसफर ले लिया ताकि ओम प्रकाश के नजदीक रह सकें और उसकी पढ़ाई में कोई व्यवधान नहीं आने दें. 

स्मिता रानी भुवनेश्वर में एजुकेशन सब्जेक्ट लेक्चरर के पद पर कार्यरत थीं, लेकिन वह अपने बेटे के साथ रहने के लिए और उसे सपोर्ट करने के लिए कोटा आ गईं. वह पिछले तीन सालों से अपने बेटे के साथ रह रही हैं. इसी तरह ओम प्रकाश के पिता कमलकांत बेहरा ओडिशा प्रशासनिक सेवा में अधिकारी हैं. जब ओम प्रकाश कोटा आया तो उनकी पोस्टिंग भुवनेश्वर में थी. बेटे के पास रहने के लिए उन्होंने अपना ट्रांसफर दिल्ली करवा लिया. दिल्ली से कोटा आना आसान है, इसलिए ओम प्रकाश को कभी ऐसा नहीं लगा कि माता-पिता से दूर हैं. कोटा कोचिंग का माहौल, श्रेष्ठ विद्यार्थियों का साथ और फेकल्टीज के गाइडेंस से ओम प्रकाश ने स्कोर भी परफेक्ट किया.

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क्या है ओम प्रकाश का लक्ष्य
टॉपर ओम प्रकाश का कहना है कि कोटा के बारे में एक परिचित ने बताया था, जो खुद भी कोटा में पढ़ रहे थे. उन्होंने गाइड किया कि कोटा में काफी सुविधा मिल जाएगी. कोटा में कई तरह से आपके लक्ष्य साधने में मदद मिलेगी. ओम का कहना है कि जब वो 10वीं में कोटा आया, तब नहीं सोचा था कि परफेक्ट स्कोर बनेगा. उस समय बस पढ़ाई करने के लिए कोटा आया था और केवल लक्ष्य था कि जेईई मेन और एडवांस्ड दोनों क्रैक करना है. अब जब जेईई मेन क्रैक हो गया है तो एडवांस्ड क्रैक कर आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस ब्रांच से बीटेक करना ओम प्रकाश का लक्ष्य है.

कभी भी डाउट हो सॉल्यूशन हमेशा तैयार 
ओम प्रकाश ने बताया कि उनकी मां उनके साथ ही आ गई थीं, ताकि बेटे को कोई प्रॉब्लम नहीं हो. पिता कमलकांत बेहरा ने ट्रांसफर दिल्ली करवा लिया. कई सालों से वो दिल्ली में ही पोस्टेड हैं. उन्होंने बताया कि कोटा में काफी सुविधा है. फैकल्टी हर तरह से मदद करती है. कोई भी डाउट हो, कभी भी डिस्कशन की जरूरत हो, मैसेज कर देते हैं, वे हमारी मदद करते हैं. बाकी दोस्त भी इतनी मेहनत से पढ़ते हैं कि उन्हें पढ़ते हुए देखकर आपको भी मोटिवेशन आता है. यहां पर बुक, स्टेशनरी, स्टडी मटेरियल सब कुछ आसानी से उपलब्ध है. कोटा एक ऐसी जगह है, जहां पर पढ़ने आने वाले बच्चों को कभी निराशा नहीं होगी.

फोन नहीं है, क्योंकि ध्यान भटकता है 
ओम प्रकाश ने बताया कि वो रोजाना लगभग 8 से 9 घंटे सेल्फ स्टडी करते हैं. 10वीं में उनके 92 फीसदी अंक आए थे. 12वीं बोर्ड की परीक्षा इस साल होने वाली है. उनका कहना है कि रिक्रिएशन के लिए बैडमिंटन खेलता था. ब्रेक चाहिए तो दोस्तों से बातें कर लेता था या फिर रिलैक्स कर लेता था. बाहर घूमने नहीं जाता. फोन नहीं है, क्योंकि इससे ध्यान भटकता है. नोवल्स पढ़ना भी पसंद है. ओम प्रकाश का कहना है कि सुबह 8 बजे उठते थे और रात 12 बजे तक सो जाया करते थे. इस बीच वे पूरे टाइम खाने के अलावा केवल पढ़ाई ही करते रहते हैं.

करता हूं सेल्फ एनालिसिस
ओम प्रकाश ने बताया कि टीचर्स और स्टडी मटेरियल परफेक्ट हैं. फैकल्टी को इन परीक्षाओं का बड़ा अनुभव है. जेईई मेन के लिए एनसीईआरटी सिलेबस पर फोकस किया. वीकली टेस्ट में मार्क्स का ग्राफ कम-ज्यादा होता रहता है, लेकिन मैं अपना बेस्ट देने की कोशिश करता हूं. हर टेस्ट के बाद सेल्फ एनालिसिस करता था और देखता था कि किन गलतियों की वजह से कम अंक आए हैं. अगले टेस्ट में कोशिश रहती थी कि उन गलतियों को नहीं दोहराया जाए.